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नवरात्रि 2021: मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्‍वरूप की उपासना से आता है संयम और सदाचार

नवरात्र के दूसरे दिन में मां के (Brahmacharini) ब्रह्मचारिणी एवं तपश्चारिणी रूप को पूजा जाता है. जो साधक मां के इस रूप की पूजा करते हैं उन्हें तप, त्याग, वैराग्य, संयम और सदाचार की प्राप्ति होती है.

Sharadiya Navratri 2021
शारदीय नवरात्रि 2021
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Published : Oct 3, 2021, 8:37 PM IST

Updated : Oct 8, 2021, 6:20 AM IST

रायपुर: देवी ब्रह्मचारिणी की उपासना (Worship of Brahmacharini) से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की वृद्धि होती है. जीवन की कठिन समय में भी उसका मन कर्तव्य पथ से विचलित नहीं होता है. देवी अपने साधकों की मलिनता, दुर्गणों और दोषों को खत्म करती है. देवी की कृपा से सर्वत्र सिद्धि तथा विजय की प्राप्ति होती है. नवरात्र के दूसरे दिन में मां के (Brahmacharini) ब्रह्मचारिणी एवं तपश्चारिणी रूप को पूजा जाता है. जो साधक मां के इस रूप की पूजा करते हैं उन्हें तप, त्याग, वैराग्य, संयम और सदाचार की प्राप्ति होती है और जीवन में वे जिस बात का संकल्प कर लेते हैं उसे पूरा करके ही रहते हैं.

शारदीय नवरात्र 2021: पहला दिन मां शैलपुत्री को समर्पित, होती है हर मनोकामनाएं पूरी

मां भगवती को नवरात्र के दूसरे दिन चीनी का भोग लगाना चाहिए. मां को शक्कर का भोग प्रिय है. मान्यता है कि ऐसा करने से मनुष्य दीर्घायु होता है. इनकी उपासना करने से मनुष्य में तप, त्याग, सदाचार आदि की वृद्धि होती है. ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा नवरात्रि के दूसरे दिन की जाती है. देवी ब्रह्मचारिणी का स्वरूप ज्योर्तिमय है. ये मां दुर्गा की नौ शक्तियों में से दूसरी शक्ति हैं. तपश्चारिणी, अपर्णा और उमा इनके अन्य नाम हैं. इनकी पूजा करने से सभी काम पूरे होते हैं, रुकावटें दूर हो जाती हैं और विजय की प्राप्ति होती है. इसके अलावा हर तरह की परेशानियां भी खत्म होती हैं. देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है.

मां का दरबार

अभी शारदीय नवरात्रि चल रही है. नोएडा के भक्तों में शारदीय नवरात्र को लेकर खूब उत्साह है. मां के भक्त सुबह से ही भारी संख्या में मंदिरों के बाहर दर्शन के लिए देखे जा सकते हैं. नवरात्र में लोग इस दौरान पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ मां भवानी की पूजा अर्चना करते हैं.

नौ अलग-अलग स्वरुपों की होती है पूजा

रायपुर के मंदिरों में शारदीय नवरात्रि के पहले दिन से श्रद्धालुओं की भीड़ लगने की संभावना है. नवरात्रि में महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती जो साक्षात श्री शक्ति का स्वरूप हैं. इनकी आराधना करने से लोगों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. पुजारी के मुताबिक इस नवरात्रि में महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती जो साक्षात श्री शक्ति का स्वरूप हैं. उनका पूजन करना चाहिए. नवरात्र के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग शक्ति स्वरूपों की पूजा की जाती है.

मां दंतेश्वरी के मंदिर में प्रज्वलित होंगे मनोकामना दीप, मंदिर के कपाट संशय बरकरार

मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्‍वरूप की आज होती है पूजा-अर्चना

नवरात्रि के दूसरे दिन मतलब द्वितीया को मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्‍वरूप की भक्त पूजा-अर्चना करते हैं. ब्रह्म का शाब्दिक अर्थ तपस्‍या है और चारिणी का अर्थ है आचरण करने वाली अर्थात तप का आचरण करने वाली मां ब्रह्मचारिणी देवी. मां के दाएं हाथ में जप माला और बाएं हाथ में कमंडल शोभायमान है. मां दुर्गा के इस स्‍वरूप की उपासना करने से त्याग, तप, वैराग्य, संयम और सदाचार की वृद्धि होती है.

रायपुर: देवी ब्रह्मचारिणी की उपासना (Worship of Brahmacharini) से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की वृद्धि होती है. जीवन की कठिन समय में भी उसका मन कर्तव्य पथ से विचलित नहीं होता है. देवी अपने साधकों की मलिनता, दुर्गणों और दोषों को खत्म करती है. देवी की कृपा से सर्वत्र सिद्धि तथा विजय की प्राप्ति होती है. नवरात्र के दूसरे दिन में मां के (Brahmacharini) ब्रह्मचारिणी एवं तपश्चारिणी रूप को पूजा जाता है. जो साधक मां के इस रूप की पूजा करते हैं उन्हें तप, त्याग, वैराग्य, संयम और सदाचार की प्राप्ति होती है और जीवन में वे जिस बात का संकल्प कर लेते हैं उसे पूरा करके ही रहते हैं.

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मां भगवती को नवरात्र के दूसरे दिन चीनी का भोग लगाना चाहिए. मां को शक्कर का भोग प्रिय है. मान्यता है कि ऐसा करने से मनुष्य दीर्घायु होता है. इनकी उपासना करने से मनुष्य में तप, त्याग, सदाचार आदि की वृद्धि होती है. ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा नवरात्रि के दूसरे दिन की जाती है. देवी ब्रह्मचारिणी का स्वरूप ज्योर्तिमय है. ये मां दुर्गा की नौ शक्तियों में से दूसरी शक्ति हैं. तपश्चारिणी, अपर्णा और उमा इनके अन्य नाम हैं. इनकी पूजा करने से सभी काम पूरे होते हैं, रुकावटें दूर हो जाती हैं और विजय की प्राप्ति होती है. इसके अलावा हर तरह की परेशानियां भी खत्म होती हैं. देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है.

मां का दरबार

अभी शारदीय नवरात्रि चल रही है. नोएडा के भक्तों में शारदीय नवरात्र को लेकर खूब उत्साह है. मां के भक्त सुबह से ही भारी संख्या में मंदिरों के बाहर दर्शन के लिए देखे जा सकते हैं. नवरात्र में लोग इस दौरान पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ मां भवानी की पूजा अर्चना करते हैं.

नौ अलग-अलग स्वरुपों की होती है पूजा

रायपुर के मंदिरों में शारदीय नवरात्रि के पहले दिन से श्रद्धालुओं की भीड़ लगने की संभावना है. नवरात्रि में महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती जो साक्षात श्री शक्ति का स्वरूप हैं. इनकी आराधना करने से लोगों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. पुजारी के मुताबिक इस नवरात्रि में महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती जो साक्षात श्री शक्ति का स्वरूप हैं. उनका पूजन करना चाहिए. नवरात्र के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग शक्ति स्वरूपों की पूजा की जाती है.

मां दंतेश्वरी के मंदिर में प्रज्वलित होंगे मनोकामना दीप, मंदिर के कपाट संशय बरकरार

मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्‍वरूप की आज होती है पूजा-अर्चना

नवरात्रि के दूसरे दिन मतलब द्वितीया को मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्‍वरूप की भक्त पूजा-अर्चना करते हैं. ब्रह्म का शाब्दिक अर्थ तपस्‍या है और चारिणी का अर्थ है आचरण करने वाली अर्थात तप का आचरण करने वाली मां ब्रह्मचारिणी देवी. मां के दाएं हाथ में जप माला और बाएं हाथ में कमंडल शोभायमान है. मां दुर्गा के इस स्‍वरूप की उपासना करने से त्याग, तप, वैराग्य, संयम और सदाचार की वृद्धि होती है.

Last Updated : Oct 8, 2021, 6:20 AM IST
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