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मौसम की बेरुखी और दामों में हुई बढ़ोतरी से रेनकोट और छाते का बाजार पड़ा सूना - छत्तीसगढ़ में मानसून

बारिश के मौसम में रेनकोट और छाता सबसे जरूरी चीजों में से एक है. रेनकोट और छाता(raincoat and umbrella business) व्यापारियों को मानसून का बेसब्री से इंतजार रहता है. छत्तीसगढ़ में मानसून 9 जून को ही पहुंच गया था. लेकिन उम्मीद के हिसाब से बारिश नहीं हुई है. वहीं छातों और रेनकोट की कीमतों में बढ़ोतरी भी हुई है. जिसकी वजह से दुकानों में ग्राहकों की संख्या बेहद कम है.

low sales of raincoat and umbrella
रेनकोट और छाते का बाजार
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Published : Jun 23, 2021, 9:49 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ में मानसून जून के पहले सप्ताह में ही पहुंच चुका है. बारिश को देखते हुए रेनकोट और छाते का बाजार(raincoat and umbrella business) भी सज गया है. शुरुआत में तो अच्छी बारिश हुई लेकिन फिर मौसम की बेरुखी ने दुकानदारों के चेहरे पर चिंता की लकीरें खीच दी है. रेनकोट के साथ ही छाते के दाम में लगभग 15 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है. जिसकी वजह से भी दुकानों में ग्राहकों की संख्या कम है. मानसून की बात की जाए तो छत्तीसगढ़ में 9 जून को मानसून ने दस्तक जरूर दे दी है. लेकिन जिस तरह की बारिश की उम्मीद कारोबारियों को है वैसी बरसात अभी नहीं हो रही है.

रेनकोट और छाते का बाजार पड़ा सूना

राजधानी में रेनकोट और छाता की लगभग 200 दुकानें है. ज्यादातर ग्राहक ब्रांडेड और अच्छी चीजों को पसंद करते हैं. भले ही उसकी कीमत ज्यादा क्यों ना हो ? ग्राहक छाता और रेनकोट के दाम के बजाय उसकी क्वालिटी पर ज्यादा ध्यान देते हैं. इस बार मार्केट में चाइनीज छाता और चाइनीज रेनकोट की जगह मेड इन इंडिया के प्रोडक्ट ज्यादा हैं. लोग अपनी पसंद के सामान खरीद रहे हैं. चाइना के सामानों का लोग बहिष्कार भी कर रहे हैं.

छत्तीसगढ़ में बारिश से बचने के लिए मोरा का भी होता है उपयोग

बाजार में बारिश के मौसम में छाता और रेनकोट के अलावा मोरा की भी मांग होती है. जो पॉलीथिन से बना होता है. इसका ज्यादातर उपयोग गरीब और मजदूर वर्ग करता है. बारिश के मौसम में कच्चे मकानों में रिपेयरिंग के समय भी इस पॉलीथिन का उपयोग किया जाता है. ताकि बारिश के पानी से बचा जा सके. मोरा का उपयोग किसान खेतों में काम करते समय भी करते हैं.

राहत के साथ आफत: मानसून की पहली बारिश में रायपुर तर-बतर, घरों में घुटने तक भरा पानी

दुकानों में पसरा सन्नाटा

दुकानदारों ने बताया कि कोरोना की वजह से छाता और रेनकोट का बाजार काफी मंदा हो चला है. दुकानों में भी भीड़ देखने को नहीं मिल रही है. बारिश की जैसी उम्मीद लगाई गई थी वैसी बारिश अभी देखने को नहीं मिली है. छाता और रेनकोट की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण भी ग्राहक दुकानों पर दिखाई नहीं दे रहे हैं. दुकानों में सन्नाटा पसरा हुआ है.

छत्तीसगढ़ में 9 जून को मानसून ने दी है दस्तक

छत्तीसगढ़ में 9 जून को मानसून प्रवेश कर गया. छत्तीसगढ़ में 10 और 11 जून को झमाझम बारिश हुई थी. उसके बाद से मानसून ब्रेक जैसी स्थिति भी देखने को मिल रही है. राजधानी रायपुर में सप्ताह में एक या 2 बार कुछ घंटों के लिए ही बारिश हो रही है. लोगों को उमस भरी गर्मी का सामना करना पड़ रहा है.

रायपुर: छत्तीसगढ़ में मानसून जून के पहले सप्ताह में ही पहुंच चुका है. बारिश को देखते हुए रेनकोट और छाते का बाजार(raincoat and umbrella business) भी सज गया है. शुरुआत में तो अच्छी बारिश हुई लेकिन फिर मौसम की बेरुखी ने दुकानदारों के चेहरे पर चिंता की लकीरें खीच दी है. रेनकोट के साथ ही छाते के दाम में लगभग 15 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है. जिसकी वजह से भी दुकानों में ग्राहकों की संख्या कम है. मानसून की बात की जाए तो छत्तीसगढ़ में 9 जून को मानसून ने दस्तक जरूर दे दी है. लेकिन जिस तरह की बारिश की उम्मीद कारोबारियों को है वैसी बरसात अभी नहीं हो रही है.

रेनकोट और छाते का बाजार पड़ा सूना

राजधानी में रेनकोट और छाता की लगभग 200 दुकानें है. ज्यादातर ग्राहक ब्रांडेड और अच्छी चीजों को पसंद करते हैं. भले ही उसकी कीमत ज्यादा क्यों ना हो ? ग्राहक छाता और रेनकोट के दाम के बजाय उसकी क्वालिटी पर ज्यादा ध्यान देते हैं. इस बार मार्केट में चाइनीज छाता और चाइनीज रेनकोट की जगह मेड इन इंडिया के प्रोडक्ट ज्यादा हैं. लोग अपनी पसंद के सामान खरीद रहे हैं. चाइना के सामानों का लोग बहिष्कार भी कर रहे हैं.

छत्तीसगढ़ में बारिश से बचने के लिए मोरा का भी होता है उपयोग

बाजार में बारिश के मौसम में छाता और रेनकोट के अलावा मोरा की भी मांग होती है. जो पॉलीथिन से बना होता है. इसका ज्यादातर उपयोग गरीब और मजदूर वर्ग करता है. बारिश के मौसम में कच्चे मकानों में रिपेयरिंग के समय भी इस पॉलीथिन का उपयोग किया जाता है. ताकि बारिश के पानी से बचा जा सके. मोरा का उपयोग किसान खेतों में काम करते समय भी करते हैं.

राहत के साथ आफत: मानसून की पहली बारिश में रायपुर तर-बतर, घरों में घुटने तक भरा पानी

दुकानों में पसरा सन्नाटा

दुकानदारों ने बताया कि कोरोना की वजह से छाता और रेनकोट का बाजार काफी मंदा हो चला है. दुकानों में भी भीड़ देखने को नहीं मिल रही है. बारिश की जैसी उम्मीद लगाई गई थी वैसी बारिश अभी देखने को नहीं मिली है. छाता और रेनकोट की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण भी ग्राहक दुकानों पर दिखाई नहीं दे रहे हैं. दुकानों में सन्नाटा पसरा हुआ है.

छत्तीसगढ़ में 9 जून को मानसून ने दी है दस्तक

छत्तीसगढ़ में 9 जून को मानसून प्रवेश कर गया. छत्तीसगढ़ में 10 और 11 जून को झमाझम बारिश हुई थी. उसके बाद से मानसून ब्रेक जैसी स्थिति भी देखने को मिल रही है. राजधानी रायपुर में सप्ताह में एक या 2 बार कुछ घंटों के लिए ही बारिश हो रही है. लोगों को उमस भरी गर्मी का सामना करना पड़ रहा है.

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