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SPECIAL: लॉकडाउन ने तोड़ी मजदूरों की कमर, संकट में हजारों जिंदगियां ! - गरीब मजदूर परिवारों का दर्द

लॉकडाउन ने आर्थिक रुप से कमजोर लोगों की मुसीबतें बढ़ा दी है. वहीं शासन प्रशासन की तरफ से इन परिवारों को जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ देने का दावा किया जा रहा है. लेकिन मजदूरों को मिलने वाली यह राहत नाकाफी है. सरकार की तरफ से किए जा रहे उपायों को मजदूरों ने नाकाफी बताया है.

Lockdown ruined laborers' lives
लॉकडाउन से बर्बाद हुई मजदूरों की जिंदगी
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Published : Apr 17, 2020, 11:48 AM IST

रायपुर : कोरोना वायरस के बढ़ते मामले से पूरे देश में कोहराम मचा है. कोरोना की रोकथाम के लिए लॉकडाउन किया गया है, जिसके सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिल रहे है. लेकिन इस लॉकडाउन ने गरीब, मजदूर परिवारों पर संकट ला दिया है. काम-काज पूरी तरह से बंद हो चुके हैं. ऐसे में इन परिवारों को दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं हो पा रही है.

लॉकडाउन से बर्बाद हुई मजदूरों की जिंदगी

सरकार की ओर से चल रही सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के भरोसे ही इन परिवारों का जीवन चल रहा है. वहीं केंद्र और राज्य दोनों सरकारों की ओर से चल रही जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ देने का दावा किया जा रहा है. ETV भारत की टीम ने सरकार के जवाबदार अधिकारियों और हितग्राहियों से बात कर योजनाओं की हकीकत की जानकारी ली है.

सरकार की इन योजनाओं और दावों की सच्चाई जानने ईटीवी भारत की टीम पड़ताल के लिए निकली. हितग्राहियों से ईटीवी भारत ने सरकार की तमाम योजनाओं को लेकर चर्चा की. इस दौरान लोगों में शासन प्रशासन के खिलाफ खासी नाराजगी देखने को मिली.

'500 रुपये में क्या होगा?'

हितग्राहियों ने बताया कि राशन के नाम पर केवल चावल ही नसीब हो रहा है. सरकार की ओर से जनधन खातों में पैसे आने की आस को लेकर सुबह से बैंकों के बाहर खड़े रहते है. घंटों इंतजार के बाद सिर्फ 500 रुपये मिल रहे हैं. 500 रुपये में क्या होगा?

'मदद पहुंचाई जा रही है'

ETV भारत की टीम ने इस विषय पर अधिकारियों से बात की, उनका कहना है कि 'राज्य सरकार की ओर से भी श्रमिक और गरीब परिवारों को राहत देने के लिए राहत शिविर, श्रमिक हेल्पलाइन, किसान हेल्पलाइन, कम्प्लेन नंबर, 104 और अन्य योजनाएं चल रही है. जिसके तहत जरूरतमंदों को लगातार मदद पहुंचाई जा रही है'.

मदद मुहैया कराने के प्रयास जारी

कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम के लिए किए गए लॉकडाउन के सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं. लेकिन इस लॉकडाउन ने आर्थिक रुप से कमजोर लोगों की मुसीबत बढ़ा दी है. वहीं प्रशासन लगातार इन परिवारों तक मदद मुहैया कराने की कोशिश कर रहा है.

रायपुर : कोरोना वायरस के बढ़ते मामले से पूरे देश में कोहराम मचा है. कोरोना की रोकथाम के लिए लॉकडाउन किया गया है, जिसके सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिल रहे है. लेकिन इस लॉकडाउन ने गरीब, मजदूर परिवारों पर संकट ला दिया है. काम-काज पूरी तरह से बंद हो चुके हैं. ऐसे में इन परिवारों को दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं हो पा रही है.

लॉकडाउन से बर्बाद हुई मजदूरों की जिंदगी

सरकार की ओर से चल रही सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के भरोसे ही इन परिवारों का जीवन चल रहा है. वहीं केंद्र और राज्य दोनों सरकारों की ओर से चल रही जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ देने का दावा किया जा रहा है. ETV भारत की टीम ने सरकार के जवाबदार अधिकारियों और हितग्राहियों से बात कर योजनाओं की हकीकत की जानकारी ली है.

सरकार की इन योजनाओं और दावों की सच्चाई जानने ईटीवी भारत की टीम पड़ताल के लिए निकली. हितग्राहियों से ईटीवी भारत ने सरकार की तमाम योजनाओं को लेकर चर्चा की. इस दौरान लोगों में शासन प्रशासन के खिलाफ खासी नाराजगी देखने को मिली.

'500 रुपये में क्या होगा?'

हितग्राहियों ने बताया कि राशन के नाम पर केवल चावल ही नसीब हो रहा है. सरकार की ओर से जनधन खातों में पैसे आने की आस को लेकर सुबह से बैंकों के बाहर खड़े रहते है. घंटों इंतजार के बाद सिर्फ 500 रुपये मिल रहे हैं. 500 रुपये में क्या होगा?

'मदद पहुंचाई जा रही है'

ETV भारत की टीम ने इस विषय पर अधिकारियों से बात की, उनका कहना है कि 'राज्य सरकार की ओर से भी श्रमिक और गरीब परिवारों को राहत देने के लिए राहत शिविर, श्रमिक हेल्पलाइन, किसान हेल्पलाइन, कम्प्लेन नंबर, 104 और अन्य योजनाएं चल रही है. जिसके तहत जरूरतमंदों को लगातार मदद पहुंचाई जा रही है'.

मदद मुहैया कराने के प्रयास जारी

कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम के लिए किए गए लॉकडाउन के सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं. लेकिन इस लॉकडाउन ने आर्थिक रुप से कमजोर लोगों की मुसीबत बढ़ा दी है. वहीं प्रशासन लगातार इन परिवारों तक मदद मुहैया कराने की कोशिश कर रहा है.

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