रायपुर: छत्तीसगढ़ में शराब बंदी को लेकर लंबे वक्त से सियासत तेज है. चुनाव प्रचार के दौरान भी बीजेपी के नेता शराबबंदी को लेकर सरकार को घेरते रहे हैं. रविवार को जब कांग्रेस का घोषणापत्र रायपुर में कांग्रेस की प्रदेश प्रभारी कुमारी शैलजा जारी कर रहीं थीं, तब मीडिया ने उसने उनसे शराबबंदी को लेकर सवाल पूछा. शराबबंदी पर पूछे गए सवाल का जवाब देने में कुमारी शैलजा असहज हो गईं. इस दौरान मंच पर सरकार के कद्दावर मंत्री शिवकुमार डहरिया भी मौजूद थे, वो भी शराब बंदी पर सीधा जवाब नहीं देते हुए गोल मोल जवाब देते रहे. कांग्रेस ने अपने पिछले घोषणापत्र में शराबबंदी को लेकर कहा था कि वो सरकार में आए तो शराबबंदी जरूर करेंगे
शराबबंदी पर सवाल,गोल-मोल जवाब: रायपुर में जहां कुमारी शैलजा ने कांग्रेस का घोषणा पत्र जारी किया वहीं राजनांदगांव में प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पार्टी का चुनावी घोषणापत्र जारी किया. कांग्रेस के जारी किए घोषणा पत्र को लेकर जब ईटीवी भारत की टीम ने कांग्रेस प्रदेश प्रभारी कुमारी शैलजा और मंत्री शिवकुमार डहरिया से सवाल पूछा कि इस बार उन्होने अपने घोषणापत्र में शराबबंदी को जगह क्यों नहीं दी.
शराबबंदी का किया था वादा: पिछली बार आपने अपने घोषणापत्र में शराबबंदी की बात प्रमुखता से रखी थी. इस सवाल का सीधा जवाब न तो कुमारी शैलजा ने दिया नहीं डहरिया ने. इसके उलट शैलजा ने कांग्रेस के जारी हुए घोषणापत्र की बड़ी बाते गिनाते हुए कहा कि कांग्रेस गांव गरीब और किसानों की पार्टी और उसी की सरकार है, हम जो कहते हैं वो करके दिखाते हैं. शैलजा ने कहा कि हमारा घोषणापत्र भरोसा के घोषणपत्र है
सियासत में वादों का का क्या काम: राजनीति में शराबबंदी और नियमितिकरण दो ऐसे मुद्दे हैं जिनको लेकर लंबे वक्त से सियायत चल रही है. बीजेपी इस मुद्दे को लेकर लगातार सरकार को घेरती रही है. अब देखना ये है कि इस बार जनता के बीच ये दोनों मुद्दे कितनी अपनी छाप छोड़ पाते हैं.