रायपुरः रामजन्मभूमि अयोध्या की तरह वो समस्त भूभाग भी भारतवासियों के लिए आस्था का केंद्र है, जहां-जहां वनगमन के दौरान प्रभु श्रीराम के चरण पड़े. राम ने 14 वर्ष के वनवास के दौरान अयोध्या से निकलकर रामेश्वरम से होते हुए श्रीलंका तक का सफर किया था, माना जाता है कि भगवान राम ने छत्तीसगढ़ में वनवास का सबसे लम्बा समय काटा. बैकुंठपुर जिले से शुरू होकर राम का सफर बस्तर के दंडकारण्य तक चला था. छत्तीसगढ़ भगवान राम का ननिहाल भी है. यही वजह है कि भगवान राम के प्रति छत्तीसगढ़ में लोगों की गहरी आस्था है. राम की यात्रा भारतीय मानस की यात्रा है. लोक-मानस से जुड़ाव के चलते राम वनगमन पथ का विशेष महत्व हो जाता है.
ऐसा है राम वनगमन पथ
- श्रीराम वनवास यात्रा के दौरान मध्यप्रदेश के चित्रकूट से आगे बढ़ते हुए छत्तीसगढ़ में कोरिया जिले से प्रवेश किया था
- यहां वे बैकुंठपुर में रेण नदी जिसे रेणुका नदी भी कहा जाता है, के किनारों से छत्तीसगढ़ में प्रवेश करते हैं
- बैकुंठपुर में वे जमदाग्नि यानी परशुराम के पिता के आश्रम पहुंचे.
- इसके बाद कुछ समय उन्होंने रामगढ़ में बिताया, यहां से आगे बढ़कर वे सूरजपुर जिले के विश्रामपुर पहुंचे
- फिर मैनपाट होते हुए रायगढ़ जिले में प्रवेश किया
- यहां धरमजयगढ़ और लक्ष्मण पादुका होते हुए वर्तमान जांजगीर जिले में प्रवेश करते हैं.
- जांजगीर के चंद्रहासिनी चंद्रपुर होते हुए शिवरीनारायण पहुंचे
- इसके बाद आगे बढ़ते हुए राम ने महासमुंद जिले में प्रवेश किया
- महासमुंद जिले के कसडोल होते हुए तुरतुरिया पहुंचे जहां ऋषि वाल्मिकी के आश्रम में कुछ वक्त बिताया.
- इसके बाद ऐतिहासिक नगरी सिरपुर से होते हुए रायपुर संभाग में उनका प्रवेश हुआ
- राजिम, पंचकोशी, मधुबन, रुद्री होते हुए धमतरी जिले के सिहावा स्थित श्रृंगी ऋषि के सप्तऋषि आश्रम पहुंचे.
- इसके बाद वो बस्तर की ओर आगे बढ़ गए और नारायणपुर के राकसहाड़ा, चित्रकोट, बारसूर, गीदम होते हुए कुटुमसर पहुंचे.(दंतेवाड़ा)
- फिर शबरीनदी के किनारे सुकमा जिले के रामाराम होते हुए कोंटा इंजरम से बढ़ते हुए छत्तीसगढ़ की सीमा को पार कर तेलंगाना के भद्राचलम के पर्ण कुटी पहुंचे.
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इस तरह भगवान राम ने सीता और लक्ष्मण के साथ अपने वनवास का ज्यादातर वक्त दंडकारण्य या दंडक वन में बिताया, जिसके कई प्रमाण आज भी मौजूद हैं. इब प्रदेश सरकार के इस सर्किट को फिर से नए सिरे से डेवलप करने के ऐलान से इन स्थानों को देश के साथ दुनिया में भी नई पहचान मिल पाएगी.