रायपुर: आज महाराणा प्रताप जयंती है. साल में दो बार महाराणा प्रताप की जयंती मनाई जाती है. एक अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 9 मई को तो दूसरा हिन्दू पंचांग के अनुसार. आइए आपको हम महाराणा प्रताप की वीरता के साथ-साथ ये भी बताते हैं कि आखिरकार क्यों साल में दो दिन महाराणा प्रताप की जयंती मनाई जाती है.
महाराणा प्रताप का जन्म: देश में अंग्रेजी कैलेंडर और हिन्दू पंचांग दोनों को महत्व दिया जाता है. अधिकतर लोग हिन्दू पंचांग के आधार पर व्रत और त्योहार मनाते हैं. महाराणा प्रताप के जयंती की बात की जाए तो उनका जन्म 9 मई 1540 में हुआ था. जबकि पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को महाराणा का जन्म हुआ था. यही कारण है कि कुछ ही दिनों के अंतराल में दो बार महाराणा प्रताप की जयंती मनाई जाती है.
मुगलों से लिया था लोहा: महाराणा प्रताप वीर थे, मुगलों का शासन उन्हें स्वीकार नहीं था. यही कारण है कि उन्होंने सदा अपने साम्राज्य की रक्षा के लिए मुगलों को समय-समय पर दांतों तले चने चबाने पर मजबूर कर दिया था. वो मुगलों के सामने कभी नहीं झुके, यही कारण है कि आज भी हर वर्ग के लोग उनकी गाथा गाते हैं.
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महाराणा प्रताप से जुड़ी रोचक बातें: महाराणा प्रताप युद्ध कला और नीति निर्माण में निपुण थे. आज भी मेवाड़ में उनके शौर्य की गाथा लोकगीतों के माध्यम से गाई जाती है. उनकी विशेषता यह थी कि युद्ध के समय वह एक मयान में दो तलवार रखते थे. एक तलवार वो खुद के लिए और दूसरी तलवार शत्रु के लिए होता था. महाराणा किसी निहत्थे पर वार नहीं करते थे.