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संकट में सरोवर:आखिर कब होगा कंकाली तालाब का सौंदर्यीकरण

रायपुर में तालाबों का अस्तित्व खत्म होता जा रहा है. शहर के कंकाली मंदिर की बात की जाए तो वहां का इतिहास और मान्यता बहुत अद्भुत है. इसे संकट से बचाने लोगों को आगे बढ़कर जिम्मेदारी लेनी होगी.

pond in crisis
संकट में सरोवर
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Published : Jan 15, 2020, 9:54 AM IST

रायपुर: राजधानी को 'तालाबों की नगरी' के नाम से जाना जाता है. शहर के प्राचीनतम तालाबों में से एक कंकाली तालाब है. शहर के बीच स्थित तालाब शहर की सुंदरता को बढ़ाता है. वहीं कंकाली तालाब का ऐतिहासिक महत्व है.

इतिहासकार डॉक्टर रमेंद्रनाथ मिश्र बताते हैं कि तालाब का निर्माण महंत कृपाल गिरी ने कराया था. वहीं बताया जाता है कि तालाबों का तांत्रिक महत्व भी है. शहर के बीच स्थित तालाब की स्तिथि यह है कि आस्था के नाम पर अब भी लोगों द्वारा पूजन सामग्री का विसर्जन तालाब में किया जाता है. जिसके कारण तालाब का पानी प्रदूषित हो रहा है.

संकट में सरोवर

कंकाली तालाब का इतिहास
इतिहासकार मिश्र बताते हैं कि कृपाल गिरी ने कंकाली तालाब के घाट पर चारों तरफ से पचरी (सीढ़ी) का निर्माण कराया गया है. तालाब के बीच में शिव मंदिर है, जो हमेशा पानी में डूबा रहता है. देवी का मंदिर ऊंचे स्थान पर टीले में है. कंकाली माता मंदिर के नाम से इस तालाब का नाम कंकाली तालाब पड़ा. बताया जाता है कि यह पहले तांत्रिक परम्परा से जुड़ा हुआ था.

तालाब में है सुरंग
कंकाली तालाब में दो सुरंग हैं, जो 11 फीट चौड़ी है. बताया जाता है कि सुरंग का रास्ता राजा के किले की ओर जाता था. एक सुरंग बूढ़ा तालाब होकर महाराज तालाब की ओर निकलती है. दूसरी सुरंग तात्यापारा की ओर निकलती है. बताया जाता है की तालाब ओवरफ्लो पानी सुरंग के जरिए बाहर निकलता है.

चर्म रोग दूर होता है
वहीं ऐसी मान्यता है कि यहां के तालाब के पानी से स्नान करने से चर्म रोग दूर होता है. दूर-दूर से लोग यहां स्नान करने आते हैं. तालाब के अस्तित्व को लेकर इतिहासकार ने कहा कि तालाब का अस्तित्व तभी बच सकता है, जब जनता सजग रहे. पूजन की सामग्री का विसर्जन तालाब में ना किया जाए.

पढ़े:युवा महोत्सव में बेमेतरा ने मारी बाजी, जिले ने 7 पदक किए अपने नाम

तालाब का सौंदर्यीकरण
वहीं नगर निगम और सरकार ने तालाब का सौंदर्यीकरण करने का संकल्प लिया है. तालाब के सामने जो खुमचे और दुकानें लगाई जाती हैं, उसे हटवाकर सुंदर स्वरूप दिया जा सकता है. वहीं तालाब की सफाई के लिए लोगों को संकल्प कर श्रमदान करना चाहिए. तभी कंकाली तालाब का विकास हो पाएगा.

रायपुर: राजधानी को 'तालाबों की नगरी' के नाम से जाना जाता है. शहर के प्राचीनतम तालाबों में से एक कंकाली तालाब है. शहर के बीच स्थित तालाब शहर की सुंदरता को बढ़ाता है. वहीं कंकाली तालाब का ऐतिहासिक महत्व है.

इतिहासकार डॉक्टर रमेंद्रनाथ मिश्र बताते हैं कि तालाब का निर्माण महंत कृपाल गिरी ने कराया था. वहीं बताया जाता है कि तालाबों का तांत्रिक महत्व भी है. शहर के बीच स्थित तालाब की स्तिथि यह है कि आस्था के नाम पर अब भी लोगों द्वारा पूजन सामग्री का विसर्जन तालाब में किया जाता है. जिसके कारण तालाब का पानी प्रदूषित हो रहा है.

संकट में सरोवर

कंकाली तालाब का इतिहास
इतिहासकार मिश्र बताते हैं कि कृपाल गिरी ने कंकाली तालाब के घाट पर चारों तरफ से पचरी (सीढ़ी) का निर्माण कराया गया है. तालाब के बीच में शिव मंदिर है, जो हमेशा पानी में डूबा रहता है. देवी का मंदिर ऊंचे स्थान पर टीले में है. कंकाली माता मंदिर के नाम से इस तालाब का नाम कंकाली तालाब पड़ा. बताया जाता है कि यह पहले तांत्रिक परम्परा से जुड़ा हुआ था.

तालाब में है सुरंग
कंकाली तालाब में दो सुरंग हैं, जो 11 फीट चौड़ी है. बताया जाता है कि सुरंग का रास्ता राजा के किले की ओर जाता था. एक सुरंग बूढ़ा तालाब होकर महाराज तालाब की ओर निकलती है. दूसरी सुरंग तात्यापारा की ओर निकलती है. बताया जाता है की तालाब ओवरफ्लो पानी सुरंग के जरिए बाहर निकलता है.

चर्म रोग दूर होता है
वहीं ऐसी मान्यता है कि यहां के तालाब के पानी से स्नान करने से चर्म रोग दूर होता है. दूर-दूर से लोग यहां स्नान करने आते हैं. तालाब के अस्तित्व को लेकर इतिहासकार ने कहा कि तालाब का अस्तित्व तभी बच सकता है, जब जनता सजग रहे. पूजन की सामग्री का विसर्जन तालाब में ना किया जाए.

पढ़े:युवा महोत्सव में बेमेतरा ने मारी बाजी, जिले ने 7 पदक किए अपने नाम

तालाब का सौंदर्यीकरण
वहीं नगर निगम और सरकार ने तालाब का सौंदर्यीकरण करने का संकल्प लिया है. तालाब के सामने जो खुमचे और दुकानें लगाई जाती हैं, उसे हटवाकर सुंदर स्वरूप दिया जा सकता है. वहीं तालाब की सफाई के लिए लोगों को संकल्प कर श्रमदान करना चाहिए. तभी कंकाली तालाब का विकास हो पाएगा.

Intro:रायपुर को तालाबों की नगरी कहा जाता है वहीं शहर के प्राचीनतम तालाबों में से एक कंकाली तालाब है।
शहर के बीच स्थित या तालाब शहर की सुंदरता को बढ़ाता है वही कंकाली तालाब का ऐतेहासिक महत्व है।
इतिहासकार बताते हैं कि तालाब का निर्माण महंत कृपाल गिरी ने कराया था, वही बताया जाता है की तालाबो को तांत्रिक महत्व भी है। शहर के बीच स्थित है तालाब की स्तिथि यह है कि आस्था के नाम पर अब भी लोगो द्वारा पूजन सामग्री का विसर्जन तालाब में किया जाता है जिसके कारण तालाब का पानी प्रदूषित हो रहा है ।।


Body:इतिहास का डॉ रमेंद्रनाथ मिश्र बतातें है कि कृपाल गिरी गोस्वामी ने कंकाली तालाब का निर्माण कराया था, चारों तरफ से पचरी का निर्माण कराया गया है, तालाब में।घाट का निर्माण कराया गया है।
तालाब के बीच में शिव मंदिर स्थापित है जो हमेशा पानी में डूबे रहती है। देवी का मंदिर ऊंचे स्थान में टीले में है एक कंकाली माता मंदिर के नाम से इस तालाब का नाम कंकाली तालाब पड़ा। बताया जाता है कि यह पहले तांत्रिक परम्परा से जुड़ा हुआ था।

तालाब में है सुरंग

कंकाली तालाब में दो सुरंग है, जो 11 फिट व्यास की है। बताया जाता है कि सुरंग का रास्ता राजा के किले की ओर जाता था । एक सुरंग बूढ़ा तालाब होकर महाराज बनतालाब क्यों निकलती है। दूसरी सुरंग तात्या पारा की ओर निकलती है । बताया जाता है की तालाब ओवरफ्लो पानी सुरंग के जरिए बाहर निकलता है।

चर्म रोग दूर होता है।

वही ऐसी मान्यता है कि यहां के तालाब के पानी से स्नान करने से चर्म रोग दूर होता है, दूर-दूर से लोग यहां स्नान करने आते हैं ।


Conclusion:तालाब के अस्तित्व को लेकर इतिहासकार ने कहा कि तालाब का अस्तित्व तभी बच सकता है जब जनता सजग रहे पूजन की सामग्री का विसर्जन तालाब में ना किया जाए। वही नगर निगम और सरकार ने तालाब का सौंदर्यीकरण करने के संकल्प लिया है तो तालाब के सामने जो खुमचे और दुकाने लगाए जाते है तो उसे हटवा कर सुंदर स्वरूप दिया जा सकता है ताकि रायपुर शहर में आने वाले लोग पर्यटन की दृष्टि से उस तालाब को समझ सके। वहीं तालाब की सफाई के लिए लोगों को संकल्प के श्रमदान करना चाहिए तभी कंकाली तालाब का विकास हो पाएगा।



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डॉ रामेंद्रनाथ मिश्र
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