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छत्तीसगढ़ में धूमधाम से मनाया जा रहा है हलछठ

छत्तीसगढ़ में हलषष्ठी यानी खमरछठ पर मां अपनी संतान की सुख-समृद्धि और उन्नति के लिए व्रत रखती हैं. इस दिन रत रखकर महिलाएं इस दिन बिना हल चले हुए पसहर चावल के साथ सब्जी भाजी का उपयोग करती हैं और इस व्रत में भैंस के दूध, घी, और दही का सेवन करती हैं.

कमरछठ
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Published : Aug 21, 2019, 12:53 AM IST

Updated : Aug 21, 2019, 1:00 AM IST

रायपुर: आज पूरे छत्तीसगढ़ में हलषष्ठी का पर्व खमरछठ बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है. इस पर्व में मां अपनी संतान की सुख-समृद्धि और उन्नति के लिए व्रत रखती हैं. हलषष्ठी का पर्व कृष्ण पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है.

छत्तीसगढ़ में धूमधाम से मनाया जा रहा है हलछठ

खमरछठ को बलदाऊ के जन्मदिन के रूप में भी मनाया जाता है. आज के दिन ही भगवान कृष्ण ने जन्म लेने के बाद अपने मामा कंस का वध किया था. इस पर्व के दिन महिलाएं व्रत रखकर पूजा-अर्चना करती हैं. व्रत रखकर महिलाएं इस दिन बिना हल चले हुए पसहर चावल के साथ सब्जी भाजी का उपयोग करती हैं और इस व्रत में भैंस के दूध, घी, और दही का सेवन करती हैं.

षष्ठी का व्रत रखकर सरगी जिसे गड्ढा कहा जाता है, उसमें महिलाएं एकसाथ पूजा अर्चना कर अपनी संतान की सुख समृद्धि और उन्नति के लिए भगवान से प्रथर्ना करती है.
ज्योतिषाचार्य अरुणेश शर्मा ने बताया कि हलषष्ठी व्रत के पूजा अर्चना के लिए कोई विशेष मुहूर्त नहीं है. इसके लिए दिन-भर का समय शुभ माना गया है और सूर्यास्त से पहले महिलाएं हलषष्ठी का व्रत रखने के साथ पूजा-अर्चना संपन्न करने के बाद मां बिना हल चलाए हुए पसहर चावल के साथ सब्जी और भैंस के दूध, दही, घी से बनी सामग्री को ग्रहण कर अपने उपवास को तोड़ती हैं.

रायपुर: आज पूरे छत्तीसगढ़ में हलषष्ठी का पर्व खमरछठ बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है. इस पर्व में मां अपनी संतान की सुख-समृद्धि और उन्नति के लिए व्रत रखती हैं. हलषष्ठी का पर्व कृष्ण पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है.

छत्तीसगढ़ में धूमधाम से मनाया जा रहा है हलछठ

खमरछठ को बलदाऊ के जन्मदिन के रूप में भी मनाया जाता है. आज के दिन ही भगवान कृष्ण ने जन्म लेने के बाद अपने मामा कंस का वध किया था. इस पर्व के दिन महिलाएं व्रत रखकर पूजा-अर्चना करती हैं. व्रत रखकर महिलाएं इस दिन बिना हल चले हुए पसहर चावल के साथ सब्जी भाजी का उपयोग करती हैं और इस व्रत में भैंस के दूध, घी, और दही का सेवन करती हैं.

षष्ठी का व्रत रखकर सरगी जिसे गड्ढा कहा जाता है, उसमें महिलाएं एकसाथ पूजा अर्चना कर अपनी संतान की सुख समृद्धि और उन्नति के लिए भगवान से प्रथर्ना करती है.
ज्योतिषाचार्य अरुणेश शर्मा ने बताया कि हलषष्ठी व्रत के पूजा अर्चना के लिए कोई विशेष मुहूर्त नहीं है. इसके लिए दिन-भर का समय शुभ माना गया है और सूर्यास्त से पहले महिलाएं हलषष्ठी का व्रत रखने के साथ पूजा-अर्चना संपन्न करने के बाद मां बिना हल चलाए हुए पसहर चावल के साथ सब्जी और भैंस के दूध, दही, घी से बनी सामग्री को ग्रहण कर अपने उपवास को तोड़ती हैं.

Intro:रायपुर राजधानी रायपुर सहित पूरे छत्तीसगढ़ में कल मनाया जाएगा हलषष्ठी का पर्व कमरछठ छत्तीसगढ़ में हलषष्ठी के पर्व का काफी महत्व है और माताएं अपनी संतान की सुरक्षा समृद्धि और उन्नति के लिए इस पर्व को बड़े धूमधाम से मनाती हैं हलषष्ठी का पर्व कृष्ण पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है माता देवकी ने हल षष्ठी का व्रत रखकर बलदाऊ को जन्म देने के साथ ही भगवान कृष्ण भी पैदा हुए थे


Body:कमरछठ को बलदाऊ के जन्मदिन के रूप में भी मनाया जाता है भगवान कृष्ण ने जन्म लेने के बाद अपने मामा कंस का वध किया था छत्तीसगढ़ में विशेष रूप से इस पर्व का महत्व है इस पर्व के दिन महिलाएं व्रत रखकर पूजा-अर्चना करती हैं व्रत रखकर महिलाएं इस दिन बिना हल चले हुए सब्जी भाजी चावल का उपयोग करती हैं और इस व्रत में भैंस के दूध घी दही आदि का सेवन करती हैं


Conclusion:षष्ठी का व्रत रखकर सरगी जिसे गड्ढा कहा जाता है महिलाएं एकत्र होकर पूजा अर्चना कर अपनी संतान की सुख समृद्धि और उन्नति के लिए भगवान से दुआएं करती है हलषष्ठी व्रत के पूजा अर्चना के लिए कोई विशेष मुहूर्त नहीं है इसके लिए दिन भर का समय शुभ माना गया है और सूर्यास्त के पहले महिलाएं हलषष्ठी का व्रत रखने के साथ पूजा-अर्चना संपन्न करने के बाद माताएं बिना हल चलाए हुए सब्जी भाजी और भैंस के दूध दही घी से बनी सामग्री को ग्रहण कर अपने उपवास को तोड़ती है


बाइट पंडित अरुणेश शर्मा ज्योतिष रायपुर


रितेश तंबोली ईटीवी भारत रायपुर
Last Updated : Aug 21, 2019, 1:00 AM IST
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