रायपुर: वैशाख कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि गुरुवार 13 अप्रैल 2023 को कालाष्टमी पर्व मनायी जाएगी. कालाष्टमी पर्व गुरुवार पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र उत्तराषाढ़ा नक्षत्र शिवयोग बालव और कौलव करण धनु और मकर राशि के प्रभाव में मनाया जाएगा. कालाष्टमी भैरव पूजा की तिथि मानी जाती है. इस दिन काल भैरव जी की पूजा की जाती है. इस रात पूजा करने का विशेष महत्व है. इस दिन शिव पार्वती व काल भैरव के निशा काल में विराट पूजा की जाती है. इस दिन श्राद्ध तर्पण भी किया जाता है.
कालाष्टमी में होती है श्वान की पूजा: कालाष्टमी में श्वान की पूजा भी की जाती है. श्वान को खाना खिलाना, श्वान की सेवा करना, श्वान को स्नान कराना पवित्र माना गया है. इस दिन श्वान का विशेष महत्व रहता है. यह तांत्रिकों एवं दक्षिणपंथी साधकों के लिए वरदान का दिन होता है. इस दिन को तंत्र सिद्धि के रूप में जाना जाता है. पौराणिक मान्यता है कि ब्रह्मा और विष्णु जी में श्रेष्ठता को लेकर जब विवाद हो गया था तब देवता शिवजी के पास जाते हैं. इस उलझन से निकलने के लिए मार्गदर्शन की मांग करते हैं. ब्रह्मा जी के कहने पर शिवजी को गुस्सा आ जाता है. तब इसी समय काल भैरव जी का जन्म होता है. तब से कालाष्टमी के दिन काल भैरव जी की पूजा की जाती है.
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शत्रुओं का होता है नाश: काल भैरव की पूजा करने से मन में आत्मविश्वास, साहस, दृढ़ संकल्प विकसित होते हैं. शत्रुओं, परेशानियों, विपदा में विजय पाने के लिए इस दिन व्रत और काल भैरव का अनुष्ठान करने पर तुरंत सफलता मिलती है. तामसिक वृत्ति के लोग दक्षिणपंथी तांत्रिक इस रात में निशा पूजन करते हैं. पूरी रात काल भैरव जी की पूजा की जाती है. श्री काल भैरव जी अभीष्ट सिद्धि के देवता है. शत्रु संहार, शत्रु नाश के लिए काल भैरव जी को प्रसन्न किया जाता है. काल भैरव जी का वाहन श्वान माना गया है. इसलिए इस दिन श्वान की सेवा की जाती है.