रायपुर: कजरी तीज 2 सितंबर को मनाई जाएगी. इस दिन माता कजरी यानी कि माता पार्वती की पूजा की जाती है. इस दिन खास विधि से माता की पूजा-अर्चना करनी चाहिए. माता पार्वती सभी कामनाओं को पूरी करती हैं. कजरी तीज पर कुंवारी कन्याएं या फिर विवाहित महिलाएं व्रत रखती हैं. महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए इस व्रत को रखती हैं. वहीं, कई जगहों पर कुंवारी लड़कियां भी सुन्दर वर की इच्छा से इस व्रत को करती हैं.
नीम की टहनियों की होती है विशेष पूजा: इस दिन नीम के टहनियों की पूजा की जाती है, जिसे निमड़ी माता कहा जाता है. निमड़ी माता की स्थापना की जाती है. इसके बाद तालाब जैसा छोटा सा घेरा कर पूजा स्थल पर बनाया जाता है. इस तालाब रूपी घेरा में शुद्ध जल, गंगाजल और पवित्र कच्चे दूध को डाला जाता है. इसके बाद निमड़ी माता की पूजा की जाती है. माता को कई तरह की साग-सब्जी, खीर, ऋतु फल, मिठाई, नैवेद्य चढ़ाया जाता है. इसके साथ ही बताशा, लाई, कुमकुम, सिंदूर, होली बंधन के साथ सुहाग पेटारी भी मां को अर्पित की जाती है. फिर माता को नए कपड़े चढ़ाए जाते हैं. माता की पूरे भक्ति भाव से पूजा की जाती है. कहते हैं कि इस दिन व्रत रखने वाली महिलाओं को निमड़ी माता अखंड सौभाग्य का वर देती है.
कजरी तीज का पावन पर्व उत्तराभाद्र नक्षत्र शुल योग वव और विष्कुंभकरण मीन राशि के चंद्रमा में मनाया जाएगा. यह पर्व सुहागन स्त्रियों के लिए विशेष पर्व माना जाता है. -विनीत शर्मा, पंडित
चांद देखकर खोला जाता है व्रत: इस पूजा में नीम की टहनियों का विशेष महत्व होता है. इन्हें पूजा स्थल में सजाया जाता है. इसके बाद मां की पूजा की जाती है. इस पूजा में तालाबनुमा दूध के पात्र को देखने का खास महत्व है. इसे देखकर ही सभी शुभ काम किए जाते हैं. सभी वस्तुओं की छाया इसमें देखी जाती है. इसके बाद ही पूजा को आगे बढ़ाया जाता है. इसके साथ ही निमड़ी माता की आराधना की जाती है. इस दिन चंद्रमा को देखकर व्रत को तोड़ा जाता है.