रायपुर: jharkhand political crisis झारखंड की राजनीति का केंद्र छत्तीसगढ़ बन चुका है. यहां मंगलवार को झारखंड के विधायकों को रांची से रायपुर शिफ्ट किया गया. छत्तीसगढ़ में दूसरे राज्यों के विधायकों की बाड़ेबंदी पर सियासत गर्मा गई है. बीजेपी ने छत्तीसगढ़ को दूसरे राज्यों के विधायकों का आरामगाह बता दिया और राज्य सरकार पर हमलावर है (Politics on Jharkhand MLA in Chhattisgarh).
किस तरह की छत्तीसगढ़ में रहती है व्यवस्था: छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार होने की वजह से इन नेताओं के आवभगत में कोई कमी नहीं होती है. इनकी सुख सुविधा के सारे इंतजाम किए जाते हैं. उनकी हर जरूरतों का विशेष ख्याल रखा जाता है. खरीद-फरोख्त सहित हॉर्स ट्रेडिंग की स्थिति निर्मित होने पर उससे बचने के लिए कांग्रेस और उससे संबंधित राजनीतिक दल अपने नेताओं को छत्तीसगढ़ भेज देते हैं.
विपक्ष ने इसे बताया छत्तीसगढ़ की जनता के पैसे का दुरुपयोग: छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने झारखंड के सियासी उठापटक पर अपनी प्रतिक्रिया दी है.पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने कहा है कि झारखंड सरकार और झारखंड मुक्ति मोर्चा को यह समझना चाहिए कि उन्हें अपने विधायकों पर भरोसा नहीं है. रही बात भाजपा की तो भाजपा के लोगों ने झारखंड के विधायकों से ना झारखंड में मुलाकात की है ना मेफेयर रिसॉर्ट में जाने की कोशिश की है. यह सब सियासी ड्रामा झारखंड सरकार को रोकना चाहिए. इसके अलावा होटल में मुर्गा शराब पहुंचाने का आरोप भी पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह ने लगाया है. इस बयान के पहले पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रमन सिंह ने ट्वीट कर राज्य की कांग्रेस सरकार पर एक गंभीर आरोप लगाया है. उन्होंने अपने ट्वीट में एक वीडियो साझा करते हुए लिखा कि "भूपेश जी कान खोलकर सुन लीजिए. छत्तीसगढ़ अय्याशी का अड्डा नहीं है. जो छत्तीसगढ़ियों के पैसे से झारखंड के विधायकों को दारू मुर्गा खिला रहे हैं. असम, हरियाणा के बाद अब झारखंड के विधायकों का डेरा, इन अनैतिक कार्यों के लिए छत्तीसगढ़ महतारी आपको कभी माफ नहीं करेगी"
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रमन सिंह के आरोप पर सीएम बघेल ने किया पलटवार: वही डॉक्टर रमन सिंह के झारखंड के विधायकों को दारू मुर्गा खिलाने के आरोपों पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि, "डॉक्टर रमन सिंह को यह देखना चाहिए कि कर्नाटक के विधायक, महाराष्ट्र के विधायक, राजस्थान के विधायक, मध्यप्रदेश के विधायक दूसरे पार्टी के विधायक जब उठा उठाकर ले गए तब वो चुप क्यों थे. उनकी बोलती बंद क्यों थी. उस समय बोलना था. ये तो हमारी पार्टी के लोग हैं. हमारे गठबंधन के लोग हैं. उनको तकलीफ हो रही है. उनको खुला छोड़ देते. वो वहां खरीद फरोख्त करते. अन्य राज्यों में जब खरीद फरोख्त हो रही थी डॉक्टर रमन सिंह चुप क्यों थे. जिस प्रकार से महाराष्ट्र में बात चल रही है पचास खोखा. झारखंड में बात चल रही है बीस बीस खोखा, रमन सिंह जी उसके बारे में बताएं"
छत्तीसगढ़ की राजनीति में इसका क्या प्रभाव पड़ेगा: प्रदेश में चल रहे इस घटनाक्रम को लेकर वरिष्ठ पत्रकार रामअवतार तिवारी का कहना है कि "किसी भी राजनीतिक दल को रिसॉर्ट की पॉलिटिक्स से बचना चाहिए. इस तरह की राजनीति का जनता पर गलत संदेश जाता है. चाहे कोई भी राजनीतिक दल हो. बार बार इस तरह से जनप्रतिनिधियों को होटल में रुकना कहीं ना कहीं आम लोगो के मन में राजनीतिक दलों के खिलाफ माहौल बनाता है. तिवारी ने कहा कि छत्तीसगढ़ में झारखंड के लाए गए विधायकों की अवभगत करना या फिर इसके पहले जिस तरह से राज्य सभा चुनाव के दौरान कुछ विधायकों को छत्तीसगढ़ लाया गया था. अन्य दूसरे राज्यों के विधायकों को दूसरे राज्यों के रिसॉर्ट में ठहराया जाता है. यह परंपरा पूरी तरह से गलत है. ऐसा नहीं होना चाहिए. झारखंड के पहले दूसरे राज्यों के भी विधायकों को छत्तीसगढ़ लाया गया था. जिससे उन्हें खरीद फरोख्त ओर हॉर्स ट्रेडिंग से बचाया जा सके.