रायपुर: हिन्दू मान्यताओं के हिसाब से आषाढ़ शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को जया पार्वती व्रत के शुरुआत की तिथि मानी जाती है. 1 जुलाई को अनुराधा नक्षत्र शुभ योग कौलव और तैतिलकरण अमृत योग के साथ ही वृश्चिक राशि के चंद्रमा में यह पर्व मनाया जाएगा. जया पार्वती व्रत के शुभ दिन माता पार्वती गौरी की पूजा की जाती है.
मिलता है मनचाहा फल: इस शुभ दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान और ध्यान से निवृत्त होकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से मनचाहे फल मिलते हैं. यह महोत्सव 5 से 6 दिनों का होता है. श्रावण कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि यानी 6 जुलाई को यह व्रत समाप्त होता है.
व्रत समाप्ति के समय गेहूं की रोटी, जौ की रोटी चावल की रोटी आदि ग्रहण कर इस त्यौहार को मनाया जाता है. इस पूरे व्रत काल में नमक और तेल का उपयोग वर्जित माना जाता है. नमक का प्रयोग इस समय विशुद्ध रूप में किया जाना चाहिए. यह व्रत अनेक कामनाओं को पूर्ण करने वाला होता है. व्रती की समस्त मनोरथ इस व्रत से पूर्ण होते हैं. आज के शुभ दिन माता पार्वती और भोलेनाथ जी की पूजा आराधना की जाती है. भगवान शिव को योग आसन एवं ध्यान के द्वारा स्मरण किया जाता है. इसके साथ ही भगवान शिव को रुद्राभिषेक, दुग्ध अभिषेक, जलाभिषेक और अष्टगंध के द्वारा भगवान शिव की पूजा की जाती है. आज के शुभ दिन माता पार्वती और भोलेनाथ जी की सुंदर तस्वीर को निहारना पूजन करना और स्मरण करना उत्तम माना गया है. -विनीत शर्मा, पंडित
जया पार्वती वर्त की ऐसी है मान्यता: ऐसी कन्याएं जिनके विवाह में अड़चन आ रही हो वे सभी कुंवारी कन्याओं को इस व्रत का पालन पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ करना चाहिए. ऐसी मान्यता है कि, जया पार्वती का व्रत संकल्पित होकर करने पर शिव जैसे ही पति की प्राप्ति होती है. समस्त कामनाएं और इच्छाएं पूर्ण होती है. साथ ही आज के शुभ दिन दान पूजन पुण्य आदि करने पर भी अनेक लाभ मिलते हैं. इस व्रत का समापन 6 जुलाई दिन गुरुवार धनिष्ठा नक्षत्र तृतीय योग और श्रीवत्स आनंद योग में किया जाएगा.
इस उपवास समाप्ति के बाद अन्नपूर्णा का आशीर्वाद लेकर अच्छी तरह से भोजन ग्रहण करना चाहिए. संतुलित रूप से रोटी, चावल, जूस आदि का सेवन कर इस व्रत का समापन किया जाता है. माता पार्वती भक्तों की आराधना से प्रसन्न होकर उन्हें मनचाहे पति की प्राप्ति का आशीर्वाद प्रदान करती हैं.