रायपुर: देशभर के किसानों ने कृषि बिल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. इस आंदोलन को छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने समर्थन दिया है. इधर प्रदेश में ही किसान कहीं रकबे में कमी और कहीं कर्ज की वजह से आत्महत्या को मजबूर हो रहे हैं. जांजगीर-चांपा जिले की डबरा तहसील के धुरकोट गांव के किसानों ने आत्महत्या की चेतावनी दी है. किसानों ने ETV भारत को बताया कि उनके किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) से लाखों रुपए धुरकोट के समिति प्रबंधक गिरवर निराला ने निकाल लिए हैं, ऐसे में उनके सामने मौत के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है. पीड़ित किसान सोमवार रात पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री टीएस सिंहदेव से मिलने पहुंचे और अपनी परेशानी बताई है. मंत्री ने कार्रवाई का आश्वासन दिया है.
पहले तो धुरकोट के किसानों को इसकी जानकारी नहीं मिली. अब जब किसान धान बेचने के बाद अपनी राशि के बारे में जानकारी लेने बैंक पहुंच रहे हैं, तो पता चल रहा है कि उनके नाम पर तो पहले से ही लाखों रुपए केसीसी निकाला गया है. ऐसा एक-दो किसानों के साथ नहीं बल्कि कई किसानों के साथ किया गया है. ऐसे में किसान जो दिन रात मेहनत कर धान की पैदावार से अच्छी कमाई की उम्मीद लगाए बैठे थे उस पर पानी फिरता नजर आ रहा है. अब इन किसानों ने आत्महत्या तक की चेतावनी दे डाली है. इन किसानों का कहना है कि आज अधिकारियों की मनमानी की वजह से किसान आत्महत्या करने को मजबूर हैं.
अधिकारी पर धमकी देने का भी आरोप
ऐसा नहीं है इन किसानों ने अपनी समस्याओं से अधिकारी नेता मंत्री को अवगत नहीं कराया है. उनका कहना है कि मामले को लेकर विभागीय अधिकारी कलेक्टर, मंत्री सबसे गुहार लगाई है लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. अधिकारी की मनमानी लगातार जारी है. किसानों की मानें तो धुरकोट के समिति प्रबंधक गिरवर निराला को निकालने तक के आदेश दे दिए गए हैं, इसके बावजूद वो अधिकारी पद पर बना हुआ है. किसानों ने अधिकारी पर धमकी देने का भी आरोप लगाया है. इतना ही अधिकारी पर किसानों को धान बिक्री की राशि नहीं देने का भी आरोप है.
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बैंक अधिकारियों पर मिलीभगत का आरोप
मंत्री से मुलाकात के बाद किसान हलधर प्रसाद पटेल ने आरोप लगाया कि धुरकोट के समिति प्रबंधक गिरवर निराला ने किसानों की जमीन के एवज में लाखों रुपए का केसीसी निकाला है. जिस किसान के नाम पर एक से डेढ़ एकड़ जमीन है उस किसान को लगभग 10 से 15 हजार केसीसी मिलता था. लेकिन इस अधिकारी ने डेढ़ से 2 लाख रुपये केसीसी निकाल लिया. इसकी जानकारी किसानों को नहीं है. किसान का कहना है कि इस पूरे गबन में बैंक के अधिकारियों की भी मिलीभगत है क्योंकि बिना उनकी मिलीभगत के इतना बड़ा गबन नहीं किया जा सकता है.
'अगर किसी ने नहीं सुनी तो दे देंगे जान'
हलधर ने बताया कि इसकी शिकायत अधिकारी नेता विधायक सहित कई मंत्रियों से की गई है बावजूद इसके अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है. मंत्री उमेश पटेल से भी इन लोगों ने कार्यवाही की गुहार लगाई थी लेकिन वहां से भी मायूसी हाथ लगी. हलधर का कहना है कि यदि जल्द इस पर कार्रवाई नहीं की गई तो वे सड़कों पर उतरकर आंदोलन धरना प्रदर्शन और भूख हड़ताल करेंगे और फिर भी कार्रवाई नहीं हुई तो वह आत्महत्या कर लेंगे.
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'किसी ने नहीं लिया एक्शन'
किसान नीलांबर पटेल ने बताया कि शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. वे डबरा से लेकर रायपुर तक चक्कर काट रहे हैं लेकिन आज तक कोई एक्शन नहीं लिया गया है.
अपने पैसे के लिए भटक रहे किसान
किसान दयानंद पटेल ने बताया कि आज धान कटाई के बाद उन्हें अपने पैसे के लिए ही इधर-उधर भटकना पड़ रहा है कि पिछले 15 दिनों से वे लगातार चक्कर काट रहे हैं लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. दयानंद ने कहा कि कोरोना के चलते पहले से ही आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं और अब उनका पैसा भी अधिकारी खा रहे हैं तो उन किसानों के सामने आत्महत्या के अलावा कोई और दूसरा रास्ता नहीं है.
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अधिकारी पर धमकी देने का आरोप
किसान चिंतामणि पटेल ने आरोप लगाया कि सरकारी तंत्र में बहुत भ्रष्टाचार व्याप्त है, इस वजह से किसानों को आत्महत्या करना पड़ेगा. बिना पैसा लिए अगर किसान को पैसा जमा करना पड़ेगा, तो उसे जान देनी पड़ेगी. समिति भंग करने के नोटिस के बावजूद अब तक संबंधित अधिकारी के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया है. उल्टा धमकी दी जा रही है कि बिना मेरे कैसे धान बेचोगे.
50 लाख से ज्यादा के गबन का आरोप
धुरकोट सोसायटी के अध्यक्ष लोकनाथ पटेल ने बताया कि फर्जी तरीके से कम जमीन पर अधिक केसीसी बनाकर पैसा निकाला गया है. किसान को नहीं मालूम था कि फर्जी सिग्नेचर करके पैसा निकाला गया है. अभी 11 किसानों ने शिकायत की है और लगभग 21 लाख से ज्यादा की राशि के गबन का मामला सामने आया है. जिन किसानों ने शिकायत नहीं की है उनकी संख्या भी बहुत ज्यादा है. इस तरह से लगभग 50 लाख से ज्यादा गबन किया गया. लोकनाथ ने कहा कि हमारे खाते से धान की राशि में से केसीसी की राशि ना काटी जाए इसलिए हम लोग चक्कर काट रहे हैं बिना राशि निकाले अगर किसान को पैसे जमा करने के लिए दबाव आया तो वह तो आत्महत्या ही करेगा.
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शिकायत पर नहीं हो रही कोई कार्रवाई: किसान
किसान नीलकंठ ने सरकार से मांग की है कि हमारा पैसा न काटा जाए और हमें धान की रकम मिले. नीलकंठ ने कहा कि किसान की शिकायत पर कोई कार्रवाही नहीं होती है. केसीसी जैसे गबन के मामले सामने आ रहे हैं. अधिकारी पैसे खा जाते हैं और ऐसे में किसान को पैसा चुकाना पड़ता है. यही वजह है कि है कि किसान आत्महत्या जैसा कदम उठाता है.
क्या है किसान क्रेडिट कार्ड ?
किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) का छोटे किसानों के लिए बेहद काम की योजना है. इसके जरिए किसानों को उनकी जमीन के आधार पर बिना गारंटी के लोन दिया जा रहा है. इस कार्ड में ब्याज दर भी बेहद कम कम होती है. यही वजह है कि किसान समय-समय पर खेती के लिए केसीसी का इस्तेमाल कर कुछ राशि ले लेता है और जब फसल आती है तो उसे बेचकर इस राशि का भुगतान कर देता है.