रायपुर: छत्तीसगढ़ में आद्यौगिक विकास और निवेश को रफ्तार देने के लिए सरकार 27 जनवरी 2022 इनवेस्टगढ़ छत्तीसगढ़ इनवेस्टर मीट का आयोजन करने जा रही है. इस आयोजन से प्रदेश की अर्थव्यवस्था में गति लाने का काम किया जाएगा. साल 2022 में सरकार कई योजनाएं लाने की तैयारी में हैं. साथ ही कुछ पुरानी योजनाओं को तेजी से लागू किया जाएगा. 27 जनवरी से शुरू होने वाला 'इनवेस्टगढ़ छत्तीसगढ़' इनवेस्टर मीट 31 जनवरी तक चलेगा. जिसमें देश विदेश से उद्योगपति और व्यापारी इसमें शिरकत करेंगे. 'इनवेस्टगढ़ छत्तीसगढ़' इनवेस्टर मीट से सरकार की उम्मीदें बढ़ी हुई है.
बघेल सरकार की उद्योग नीति बेहतर, इनवेस्टर मीट से छत्तीसगढ़ को होगा फायदा
कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर का कहना है कि नए साल में होने वाले इस इन्वेस्टर मीट से प्रदेश को बहुत लाभ मिलेगा. भूपेश सरकार में उद्योगपतियों ने छत्तीसगढ़ में उद्योग स्थापित करने में रुचि दिखाई है. इसकी वजह बघेल सरकार की नई उद्योग नीति है. इस उद्योग नीति के तहत बघेल सरकार उद्योगपतियों की हर संभव मदद कर रही है. यही वजह है कि देश, विदेश के उद्योगपति छत्तीसगढ़ में उद्योग लगाने में रुचि दिखा रहे हैं. कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि पूर्व की रमन सरकार के दौरान इनवेस्टर मीट में सिर्फ MoU हुए. लेकिन उद्योग स्थापित नहीं हो पाया. सरकार के नुमाइंदे विदेश घूमने गए, लेकिन छत्तीसगढ़ का औद्यौगिक विकास नहीं हो सका. इसकी बड़ी वजह थी कि उस समय की उद्योग नीति सही नहीं थी.
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कांग्रेस के दावों को बीजेपी ने किया खारिज
भाजपा नेता गौरीशंकर श्रीवास ने इनवेस्टर मीट इनवेस्टगढ़ छत्तीसगढ़ के आयोजन पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने बघेल सरकार की उद्योग नीति को खोखली नीति करार दिया है. श्रीवास ने कहा कि वर्तमान सरकार ने यहां पर निवेश के लिए किसी प्रकार से अनुकूल माहौल नहीं बनाया है. ना सिंगल विंडो प्रणाली लागू की गई है. बीजेपी की सरकार ने जो एमओयू को किया था. उसे वर्तमान सरकार ने रद्द करके प्रदेश में बड़े निवेशकों के मन में अविश्वास की भावना पैदा किया है. जिसका खामियाजा सरकार को भुगतना पड़ेगा. श्रीवास ने कहा कि भूपेश सरकार के द्वारा आयोजित किया जाने वाला यह इन्वेस्टर मीट पूरी तरह से फ्लॉप साबित होगा. क्योंकि कोई भी उद्योगपति इसमें रुचि नहीं दिखा रहा है. इसलिए यह सिर्फ हवा हवाई रहेगा और पैसे की बर्बादी होगी.
अब तक प्रदेश में हुए MoU की स्थिति
- रमन सरकार में ग्लोबल इनवेस्टर मीट में 275 एमओयू हुए थे.
- कुल 93,830 करोड़ रुपए के निवेश की संभावना जताई गई थी.
- इसमें से 6 एमओयू के तहत उद्योगों की स्थापना हुई है. इन उद्योगों में उत्पादन शुरू हो चुका है.
- 25 उद्योगों के लिए जमीन की तलाश की जा रही है.
- साल 2001 से 2018 तक 3,03,115 करोड़ रुपये का पूंजी निवेश छत्तीसगढ़ में हुआ.
- साल 2001 से 2018 तक कुल 211 MoU किए गए.
- इस दौरान कुल 78,776 करोड़ रुपए का वास्तविक पूंजी निवेश हुआ.
- 67 MoU के तहत उद्योग की स्थापना और उत्पादन शुरू हो चुका है.
- 61 MoU पर काम किया जा रहा है.
- 55 MoU में अभी काम शुरू नहीं हुआ है.
- करीब 28 MoU अभी प्रक्रिया में है.
भूपेश सरकार ने 158 MoU को किया रद्द
राज्य में उद्योग लगाने के लिए हुए 158 समझौतों (एमओयू) को छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार ने रद्द कर दिया है. यह फैसला जुलाई 2021 में हुए राज्य निवेश प्रोत्साहन बोर्ड की 15वीं बैठक में किया गया था. इसमें सर्वाधिक 103 MoU रमन सरकार के कार्यकाल 2012 में हुए ग्लोबल इन्वेस्टर मीट के दौरान हुए थे. एमओयू के करीब 9 वर्ष बाद भी इनमें से किसी भी उद्योग ने उद्योग की स्थापना की पहल नहीं की. इसी वजह से इसे रद्द किया गया.
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कांग्रेस सरकार में हुए 132 एमओयू
जानकारी के अनुसार साल 2019 से लेकर सितंबर 2021 तक कांग्रेस सरकार के द्वारा 132 एमओयू किए गए हैं. जिसमें प्रस्तावित पूंजी निवेश 58,950 करोड रुपए है. इसमें 78000 से अधिक लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है.
1564 नई औद्योगिक यूनिट की हुई स्थापना
जानकारी के मुताबिक कांग्रेस सरकार आने के बाद प्रदेश में 1564 नई औद्योगिक इकाई स्थापित हुई है. इसमें 30000 से अधिक लोगों को रोजगार मिला है. इस इनवेस्टर मीट से सरकार को कई उम्मीदें हैं. अगर उद्योगपतियों को छत्तीसगढ़ की मौजूदा उद्योग नीति और प्रस्ताव पसंद आती है तो प्रदेश में निवेश को बढ़ावा मिल सकता है.