रायपुरः भारत (India) की पहली महिला प्रधानमंत्री (First female prime minister) इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) के राजनीतिक जीवन (political life) से भला कौन अंजान है. इनके अंदर के राजनीतिक कुशलता का विपक्षी भी कायल हुआ करता था. वहीं. कई ऐसे दिग्गज फैसले इन्होंने लिये जिनका जिक्र आज भी लोग करते हैं.
इंदिरा के अंदर कई ऐसे गुण थे, जिसे भारत कभी भूल नहीं सकता. इन्हीं गुणों के कारण वो आज भी जानी जाती हैं.आईए देश की पहली महिला प्रधानमंत्री के बारे में हम आपको कुछ ऐसी जानकारी देने जा रहे हैं, जो जानना आपके लिए जरूरी है.
- इंदिरा गांधी का पूरा नाम इंदिरा प्रियदर्शिनी (Indira Priyadarshini) था. हालांकि इंदिरा के घर का नाम 'इंदु'(Indu) था.
- कहा जाता है कि जवाहरलाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) को इंदिरा और फिरोज (Firoz khan) के रिश्ते से एतराज था. जिसके बाद इंदिरा गांधी ने पिता के खिलाफ जाकर साल 1942 में फिरोज से शादी की थी.
- साल 1959 में 42 वर्ष की उम्र में इंदिरा गांधी कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष बन (Indira Gandhi became the President of the Congress Party) गईं और साल 1966 में 24 जनवरी को इंदिरा गांधी भारत की तीसरी और प्रथम महिला प्रधानमंत्री बनीं थीं. इंदिरा 16 साल तक देश की प्रधानमंत्री रहीं थीं.
- 25 जून 1975 को देश में इंदिरा ने आपातकाल (Emergency) की घोषणा कर दी थी, जिसके बाद 21 माह तक देश भर में आपातकाल लागू रहा. आपातकाल के समय विपक्ष के सभी बड़े नेताओं को रातों-रात जेल में डाल दिया गया था. इतना ही नहीं उस वक्त मीडिया की स्वतंत्रता पर भी अंकुश लगाया गया.
- वहीं, आपातकाल का असर साल 1977 में हुए आम चुनाव में साफ तौर पर देखने को मिला. 1977 में इंदिरा गांधी और कांग्रेस पार्टी की करारी हार हुई थी.
- इंदिरा ने 3 जून 1984 को ऑपरेशन ब्लू स्टार (Operation blue star) चलाया था, जिसमें भिंडरावाला और उसके समर्थकों को मार गिराया गया था. एक जून, 1984 से आठ जून, 1984 तक चले इस अभियान में सैकड़ों लोग मारे गए.
- इंदिरा ने देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में भी कदम उठाए. उन्होंने 1969 में 14 निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया. कहा जाता है कि इन बैंकों पर अधिकतर बड़े औद्योगिक घरानों का कब्ज़ा था.
- साल1971 में भारत रत्न (Bharat Ratna) से इंदिरा को सम्मानित किया गया था.
- वहीं, भुवनेश्वर में 30 अक्टूबर 1984 की दोपहर इंदिरा गांधी ने अपना आखिरा भाषण दिया था. अपने भाषण में ही उन्होंने अपने मौत का संकेत दे दिया था.
- उन्होंने कहा था कि मैं आज यहां हूं. कल शायद यहां न रहूं. मुझे चिंता नहीं मैं रहूं या न रहूं. मेरा लंबा जीवन रहा है और मुझे इस बात का गर्व है कि मैंने अपना पूरा जीवन अपने लोगों की सेवा में बिताया है. मैं अपनी आखिरी सांस तक ऐसा करती रहूंगी और जब मैं मरूंगी तो मेरे ख़ून का एक-एक क़तरा भारत को मजबूत करने में लगेगा.
- उनके इस भाषण को सुन लोग हैरान हो गए थे. इंदिरा गांधी 30 अक्टूबर की शाम को ही वहां से वापस दिल्ली लौट आईं. 31 अक्टूबर की सुबह 9 बजे इंदिरा गांधी की हत्या उनके ही कॉन्स्टेबल सतवंत सिंह ने की थी.