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क्या राजधानी रायपुर में कॉलोनी वेलफेयर एसोसिएशन सक्रिय भूमिका निभा रहे?

राजधानी रायपुर में छोटी-बड़ी मिलाकर करीब 1500 सोसाइटी और कॉलोनियां हैं. ज्यादातर कॉलोनी में वेलफेयर एसोसिएशन का गठन नहीं किया गया है. लोग आपस में ही मिलकर कल्याणकारी गतिविधियों का संचालन करते हैं.

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कॉलोनी और सोसायटियों में बढ़ रही सामूहिकता
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Published : Mar 14, 2021, 6:12 PM IST

रायपुर: प्रदेश की राजधानी रायपुर अब धीरे-धीरे महानगर का रूप ले रही है. सोसायटी और कॉलोनियों के रहवासी सामूहिक और कल्याणकारी कार्यक्रमों का आयोजन आपस में मिल बांट कर करते हैं. कुछ जगह पर सोसायटी वेलफेयर एसोसिएशन का गठन भी किया गया है. इस तरह की सोसायटी और कॉलोनी में सामूहिक कार्यक्रम का आयोजन कॉलोनी के सदस्य मिलकर करते हैं. इसके लिए सोसायटी के सदस्य अपनी स्वेच्छा से सहयोग देते हैं और धूमधाम से कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है.

कॉलोनी और सोसायटियों में बढ़ रही सामूहिकता

शहर में कितनी कॉलोनियां?

आज के समय में ज्यादातर लोग सोसाइटी और कॉलोनियों में रहना पसंद करते हैं. राजधानी में छोटी-बड़ी मिलाकर करीब 1 हजार 500 सोसायटी और कॉलोनियां हैं. जिसमें 100 से लेकर 300 मकान बने हुए हैं. इन कॉलोनी और सोसायटियों में कई तरह की सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का भी आयोजन किया जाता है.

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आय का स्त्रोत

ETV भारत ने राजधानी की कुछ सोसायटी और कॉलोनियों के रहवासियों से बात की. लोगों ने बताया कि उनकी सोसायटी में धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और स्पोर्ट्स से संबंधित गतिविधियों का आयोजन समय-समय पर किया जाता है. इन आयोजनों पर लगने वाली राशि के बारे में सोसायटी और कॉलोनी के सदस्यों ने बताया कि ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन पर राशि के संबंध में किसी प्रकार का दबाव सोसायटी वेलफेयर एसोसिएशन नहीं बनाता. सदस्य स्वेच्छा से जितनी राशि देते हैं, उतना ही सहयोग उनसे लिया जाता है.

ली जाती है शासकीय मदद

कुछ सोसायटी और कॉलोनी ऐसी हैं जहां पर इस तरह की गतिविधियों का संचालन करने के लिए शासन से मदद लेने के साथ ही, कॉलोनी के सदस्य भी कुछ राशि इकट्ठा करते हैं. जिससे समय-समय पर सामाजिक और धार्मिक आयोजन कराया जा सके. सोसायटी और कॉलोनी में रहने वाले लोग आपसी प्रेम और भाईचारे के साथ रहकर अपनी गतिविधियों का संचालन करते हैं. कार्यक्रम संचालन में राशि को लेकर किसी तरह का मनमुटाव यहां के रहवासियों में देखने को नहीं मिला.

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चुनाव की प्रक्रिया और अवधि

वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष और समिति सदस्यों का चुनाव कॉलोनी में रहने वाले लोग करते हैं. ज्यादातर चुनाव की नौबत ही नहीं आती. सभी सर्वसम्मित से जिम्मेदार लोगों को अहम पद देते हैं ताकि कॉलोनी में बेहतर काम हो सके. साल में एक बार यह प्रक्रिया अपनाई जाती है. कई बार लंबे समय तक वही सदस्य काम करते हैं. सिर्फ औपचारिकता के लिए चयन प्रक्रिया अपना ली जाती है.

क्यों जरूरी है रेजिडेंट वेलफेयर एसोसियेशन (RWA)

यह एसोसिएशन सोसाइटी या कॉलोनी की मूलभूत जरूरतों पर नजर रखता है. लोगों को बिजली, पानी के साथ ही सुरक्षा का खास ध्यान रखा जाता है.

क्या है प्रावधान

वेलफेयर एसोसिएशन बनने तक कॉलोनी में जरूरी सुविधाओं का ध्यान रखने की जिम्मेदारी बिल्डर की होती है. एसोसिएशन बनने के बाद इसके सदस्य कॉलोनीवासियों से मीटिंग कर बुनियादी सुविधाओं पर ध्यान देते हैं. इसके अलावा विभिन्न सांस्कृतिक और धार्मिक गतिविधियां भी आयोजित की जाती हैं.

रायपुर: प्रदेश की राजधानी रायपुर अब धीरे-धीरे महानगर का रूप ले रही है. सोसायटी और कॉलोनियों के रहवासी सामूहिक और कल्याणकारी कार्यक्रमों का आयोजन आपस में मिल बांट कर करते हैं. कुछ जगह पर सोसायटी वेलफेयर एसोसिएशन का गठन भी किया गया है. इस तरह की सोसायटी और कॉलोनी में सामूहिक कार्यक्रम का आयोजन कॉलोनी के सदस्य मिलकर करते हैं. इसके लिए सोसायटी के सदस्य अपनी स्वेच्छा से सहयोग देते हैं और धूमधाम से कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है.

कॉलोनी और सोसायटियों में बढ़ रही सामूहिकता

शहर में कितनी कॉलोनियां?

आज के समय में ज्यादातर लोग सोसाइटी और कॉलोनियों में रहना पसंद करते हैं. राजधानी में छोटी-बड़ी मिलाकर करीब 1 हजार 500 सोसायटी और कॉलोनियां हैं. जिसमें 100 से लेकर 300 मकान बने हुए हैं. इन कॉलोनी और सोसायटियों में कई तरह की सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का भी आयोजन किया जाता है.

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आय का स्त्रोत

ETV भारत ने राजधानी की कुछ सोसायटी और कॉलोनियों के रहवासियों से बात की. लोगों ने बताया कि उनकी सोसायटी में धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और स्पोर्ट्स से संबंधित गतिविधियों का आयोजन समय-समय पर किया जाता है. इन आयोजनों पर लगने वाली राशि के बारे में सोसायटी और कॉलोनी के सदस्यों ने बताया कि ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन पर राशि के संबंध में किसी प्रकार का दबाव सोसायटी वेलफेयर एसोसिएशन नहीं बनाता. सदस्य स्वेच्छा से जितनी राशि देते हैं, उतना ही सहयोग उनसे लिया जाता है.

ली जाती है शासकीय मदद

कुछ सोसायटी और कॉलोनी ऐसी हैं जहां पर इस तरह की गतिविधियों का संचालन करने के लिए शासन से मदद लेने के साथ ही, कॉलोनी के सदस्य भी कुछ राशि इकट्ठा करते हैं. जिससे समय-समय पर सामाजिक और धार्मिक आयोजन कराया जा सके. सोसायटी और कॉलोनी में रहने वाले लोग आपसी प्रेम और भाईचारे के साथ रहकर अपनी गतिविधियों का संचालन करते हैं. कार्यक्रम संचालन में राशि को लेकर किसी तरह का मनमुटाव यहां के रहवासियों में देखने को नहीं मिला.

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चुनाव की प्रक्रिया और अवधि

वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष और समिति सदस्यों का चुनाव कॉलोनी में रहने वाले लोग करते हैं. ज्यादातर चुनाव की नौबत ही नहीं आती. सभी सर्वसम्मित से जिम्मेदार लोगों को अहम पद देते हैं ताकि कॉलोनी में बेहतर काम हो सके. साल में एक बार यह प्रक्रिया अपनाई जाती है. कई बार लंबे समय तक वही सदस्य काम करते हैं. सिर्फ औपचारिकता के लिए चयन प्रक्रिया अपना ली जाती है.

क्यों जरूरी है रेजिडेंट वेलफेयर एसोसियेशन (RWA)

यह एसोसिएशन सोसाइटी या कॉलोनी की मूलभूत जरूरतों पर नजर रखता है. लोगों को बिजली, पानी के साथ ही सुरक्षा का खास ध्यान रखा जाता है.

क्या है प्रावधान

वेलफेयर एसोसिएशन बनने तक कॉलोनी में जरूरी सुविधाओं का ध्यान रखने की जिम्मेदारी बिल्डर की होती है. एसोसिएशन बनने के बाद इसके सदस्य कॉलोनीवासियों से मीटिंग कर बुनियादी सुविधाओं पर ध्यान देते हैं. इसके अलावा विभिन्न सांस्कृतिक और धार्मिक गतिविधियां भी आयोजित की जाती हैं.

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