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कोरोना काल में शासकीय स्वास्थ्य योजना और निजी हेल्थ इंश्योरेंस मरीजों के लिए संजीवनी साबित हुए - छत्तीसगढ़ में आयुष्मान योजना

छत्तीसगढ़ में शासकीय योजनाओं एवं निजी इंश्योरेंस कंपनियों की वजह से कोरोना काल में लोगों को बड़ी राहत मिली है. शुरुआती दौर में निजी इंश्योरेंस कंपनियों से क्लेम लेने में कुछ लोगों को दिक्कते भी हुई. जिसके बाद  भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने नियमों में शिथिलता लाई. जिससे क्लेम लेने में काफी हद तक आसानी हुई.

In this Corona era government health plans and private health insurance proved to be lifesaving for corona patients.
डॉ खूबचंद बघेल बघेल स्व सहायता योजना
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Published : May 16, 2021, 9:53 PM IST

रायपुर: कोरोना संक्रमण को देखते हुए लोगों का रुझान अब हेल्थ इंश्योरेंस की ओर तेजी से बढ़ रहा है. लोग सामान्य इंश्योरेंस की जगह अब हेल्थ इंश्योरेंस लेने पर ज्यादा जोर दे रहे हैं. जिन लोगों ने पहले से इंश्योरेंस ले रखा है. वह इसके अंतर्गत कोरोना या इस जैसी महामारी से संबंधित बीमारी को लेकर इंश्योरेंस का दायरा बढ़ा रहे हैं. इसके लिए अतिरिक्त प्रीमियम का भुगतान भी दिया जा रहा है. इधर सरकार ने भी लोगों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए विभिन्न शासकीय योजनाओं के माध्यम से कोरोना के उपचार की व्यवस्था की है. जिसके तहत कोरोना के मरीजों को अस्पतालों को भुगतान नहीं करना पड़ता है. यह भुगतान सरकार शासकीय इंश्योरेंस के माध्यम से अस्पतालों को करती हैं. इस कोरोना महामारी के बीच शासकीय और निजी इंश्योरेंस कंपनियों ने लोगों को बड़ी राहत दी है.

कोरोना काल में शासकीय स्वास्थ्य योजना और निजी हेल्थ इंश्योरेंस मरीजों के लिए संजीवनी साबित हुए

आइए देखते हैं कि छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य संबंधित शासकीय योजना का कितना लाभ मिला और देश में निजी इंश्योरेंस कंपनियों ने कितने लोगों को कितनी राशि का भुगतान किया. साथ ही इससे कितने लोग लाभान्वित हुए है.

डॉ खूबचंद बघेल बघेल स्व सहायता योजना/आयुष्मान योजना

डॉ खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना/ आयुष्मान योजना के अंतर्गत अब तक प्रदेश के शासकीय एवं पंजीकृत निजी अस्पतालों में कोविड से पीड़ित 5157 मरीजों का इलाज किया गया.

20% बिस्तर अस्पतालों में आरक्षित

इस योजनाओं के हितग्राहियों के लिए अस्पताल में उपलब्ध कुल बिस्तरों में से 20% बिस्तर आरक्षित करने करने के निर्देश दिए हैं.

अस्पतालों में कोरोना उपचार के लिए राज्य सरकार ने किया दर निर्धारित

शासकीय एवं पंजीकृत निजी अस्पतालों में योजना के अंतर्गत कोविड-19 के उपचार के लिए हर दिन की दरें निर्धारित की गई है जो इस प्रकार है.

जनरल वार्ड 2000
एचडीयू (ऑक्सीजन)5500
आईसीयू (वेंटीलेटर बिना) 7000
आईसीयू (वेंटीलेटर साथ) 9700

कोविड से पीड़ित 5157 मरीजों का किया गया इलाज

इस योजना के अंतर्गत 3978 मरीजों का शासकीय अस्पतालों में और 1179 मरीजों का निजी अस्पतालों में इलाज किया गया है. इस तरह राज्य के ग्रामीण व शहरी अंचलों के मरीजों को मिलाकर कुल 5 हजार 157 मरीजों को आयुष्मान भारत योजना, डॉ खूबचंद बघेल योजना का लाभ दिया गया है.

In this Corona era government health plans and private health insurance proved to be lifesaving for corona patients.
डॉ खूबचंद बघेल बघेल स्व सहायता योजना

24 घंटों कोरोना जांच का दावा: ईटीवी भारत की पड़ताल में कहीं मरीज मिले-कहीं लटके मिले ताले

जिलेवार मरीजों के इलाज के आंकड़े

जिला मरीजजिलामरीज
रायपुर 862बलौदाबाजार 545
दुर्ग 379 रायगढ़361
जशपुर341सरगुजा324
राजनंदगांव322बालोद305
कांकेर240कोरबा196
जांजगीर चांपा185बिलासपुर172
बेमेतरा127 धमतरी123
बीजापुर110कोरिया94
महासमुंद94 बस्तर71
कोंडागांव63मुंगेली57
बलरामपुर57कबीरधाम55
गरियाबंद 23 दंतेवाड़ा22
सुकमा 01सूरजपुर 01
बलरामपुर01

निजी बीमा कंपनियों से क्लेम लेना नहीं आसान

ये तो रहे राज्य के खूबचंद बघेल और आयुष्मान योजना के तहत कोविड के मरीजों को दिए गए क्लेम की जानकारी. अब बात करते हैं देश के क्लेम की, जहां निजी इंश्योरेंस कंपनियों द्वारा अरबों रुपए का भुगतान किया गया है. हालांकि कई बार निजी कंपनियों के क्लेम में पॉलिसी धारक को कई परेशानियों का सामना भी करना पड़ा. कई बार अस्पताल हेल्थ इंश्योरेंस होने के बावजूद मरीजों की भर्ती नहीं लेते हैं या फिर बेड ना खाली होने का बहाना बना देते हैं. इस परिस्थिति में नकद राशि पॉलिसी धारक से ली जाती है. इस वजह से पॉलिसी धारक को खासी परेशानी उठानी पड़ती है.

In this Corona era government health plans and private health insurance proved to be lifesaving for corona patients.
शासकीय स्वास्थ्य योजना से लोगों को मिल रहा लाभ

इंश्योरेंस क्लेम की प्रक्रिया पहले से हुई आसान

इस तरह की घटना सामने आने के बाद अब ऐसे अस्पतालों को भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI) की तरफ से ब्लैक लिस्टेड करने का प्रावधान भी किया गया है. यदि कोई अस्पताल इंश्योरेंस पॉलिसी होने के बावजूद मरीज को एडमिट नहीं करता है तो सिर्फ संबंधित इंश्योरेंस कंपनी ही नहीं बल्कि अन्य जितनी भी इंश्योरेंस कंपनियां है. उस अस्पताल से टाईअप खत्म कर सकेंगी. अब इंश्योरेंस क्लेम की प्रक्रिया को भी सरल किया गया है जिससे पॉलिसी धारक को जल्द से जल्द क्लेम मिल सके.


जानकारों का यह भी कहना है कि पॉलिसी लेते समय पॉलिसी धारक कई बार प्रीमियम कम करने के लिए एजेंट पर दबाव बनाता है. जिस वजह से एजेंट इंश्योरेंस के तहत मिलने वाले लाभ की कटौती कर देता है. जिसकी जानकारी संबंधित पक्ष को नहीं दी जाती है. इस वजह से बाद में क्लेम के दौरान पॉलिसी धारक को परेशानी उठानी पड़ती है. ऐसे में पॉलिसी लेते समय प्रीमियम के साथ-साथ उसमें मिलने वाली सुविधाओं को भी पॉलिसी धारक को विशेष तौर पर जानना जरूरी है.

केंद्र के CoWIN पोर्टल के साथ छत्तीसगढ़ में CG Teeka एप, राजनीति शुरू

क्लेम लेने में परेशानी होने पर कर सकते हैं संपर्क

पिछले 18 साल से इंश्योरेंस के काम करने वाले सुरेश सिंह ठाकुर ने ETV भारत कि इंश्योरेंस से संबंधित इस पहल की सराहना की. उन्होंने ETV भारत के माध्यम से लोगों से अपील की है कि यदि कोई भी पॉलिसी धारक जिसने किसी भी तरह का इंश्योरेंस लिया हो और उसे क्लेम लेने में किसी भी तरीके की परेशानी आ रही हो तो वह उनसे संपर्क कर सकता है. भले ही वह पॉलिसी धारक किसी और से अपनी पॉलिसी क्यों ना कराया हो . बावजूद इसके वे उसकी निशुल्क मदद के लिए तैयार हैं. उन्होंने अपना मोबाइल नंबर भी ETV भारत से साझा किया है. जो इस प्रकार है. (मो- 9300361000)

कोरोना के बाद इंश्योरेंस करने लोगों का बढ़ा रुझान

जनरल इंश्योरेंस काउंसलिंग (GIC) के आंकड़ों के अनुसार बीमा कंपनियों को इस साल 7 अप्रैल 2021 तक कोरोनावायरस से संबंधित 14,738 करोड़ रुपये के 10.07 लाख दावे मिले. जिसमें से 7,907 करोड़ रुपये के 8.6 लाख क्लेम सेटल कर दिए गए हैं. आने वाले समय में महामारी से जुड़े बीमा क्लेम तेजी से बढ़ सकते है. क्योंकि देश में लगातार कोरोना संक्रमण बढ़ रहा है.

राजीव गांधी किसान न्याय योजना की अगली किस्त का 21 मई को होगा भुगतान, राहुल गांधी हो सकते हैं शामिल

सकल प्रत्यक्ष प्रीमियम संग्रह भी बढ़ा

साधारण बीमा कंपनियों का सकल प्रत्यक्ष प्रीमियम संग्रह (ग्रॉस डायरेक्ट प्रीमियम रिटेन) 2020-21 में 5.2 फ़ीसदी से बढ़कर 1,98,734.68 करोड़ रुपए रहा. बीमा नियामक इरडा के आंकड़ों के अनुसार इसमें पूर्व वित्त वर्ष 2019-20 में सभी साधारण बीमा कंपनियों का सकल प्रीमियम संग्रह 1,88,916.61 करोड़ रुपये था. भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) के अनुसार इस साल मार्च में साधारण बीमा कंपनियों का कुल प्रीमियम संग्रह 17 फीसदी से बढ़कर 19,298.85 करोड़ रुपये रहा. जो एक साल पहले इसी महीने में 15,635.42 करोड रुपये था. कुल 25 साधारण बीमा कंपनियों का कुल प्रीमियम 2020-21 में 3.35 फीसदी बढ़कर 1,69,840.05 करोड़ रुपए रहा. जो पिछले साल 2019-20 में 1,64,328.20 करोड़ रुपए था.

भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने बीमा कंपनियों से कोरोना मरीजों के क्लेम 60 मिनट के अंदर निपटाने के निर्देश दिए हैं. बावजूद इसके कई बार इंश्योरेंस कंपनी और अस्पतालों के बीच कागजी कार्रवाई पूरी करने में कई दिन बीत जाते हैं. इस वजह से लोगों को खासी परेशानी उठानी पड़ती है. लेकिन जो भी हो इस कोरोना काल में शासकीय योजनाओं एवं निजी इंश्योरेंस कंपनियों की वजह से लोगों को बड़ी राहत मिली है. यदि यह इंश्योरेंस कंपनियां लोगों को सही समय पर क्लेम का भुगतान नहीं करती तो आज परिस्थिति और भी विपरीत हो सकती थी. बहरहाल आने वाले समय में इंश्योरेंस क्लेम की प्रक्रिया को और भी सरल बनाने की जरूरत है. जिससे मरीजों को आपातकालीन स्थिति में तत्काल मदद मिल सके.

रायपुर: कोरोना संक्रमण को देखते हुए लोगों का रुझान अब हेल्थ इंश्योरेंस की ओर तेजी से बढ़ रहा है. लोग सामान्य इंश्योरेंस की जगह अब हेल्थ इंश्योरेंस लेने पर ज्यादा जोर दे रहे हैं. जिन लोगों ने पहले से इंश्योरेंस ले रखा है. वह इसके अंतर्गत कोरोना या इस जैसी महामारी से संबंधित बीमारी को लेकर इंश्योरेंस का दायरा बढ़ा रहे हैं. इसके लिए अतिरिक्त प्रीमियम का भुगतान भी दिया जा रहा है. इधर सरकार ने भी लोगों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए विभिन्न शासकीय योजनाओं के माध्यम से कोरोना के उपचार की व्यवस्था की है. जिसके तहत कोरोना के मरीजों को अस्पतालों को भुगतान नहीं करना पड़ता है. यह भुगतान सरकार शासकीय इंश्योरेंस के माध्यम से अस्पतालों को करती हैं. इस कोरोना महामारी के बीच शासकीय और निजी इंश्योरेंस कंपनियों ने लोगों को बड़ी राहत दी है.

कोरोना काल में शासकीय स्वास्थ्य योजना और निजी हेल्थ इंश्योरेंस मरीजों के लिए संजीवनी साबित हुए

आइए देखते हैं कि छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य संबंधित शासकीय योजना का कितना लाभ मिला और देश में निजी इंश्योरेंस कंपनियों ने कितने लोगों को कितनी राशि का भुगतान किया. साथ ही इससे कितने लोग लाभान्वित हुए है.

डॉ खूबचंद बघेल बघेल स्व सहायता योजना/आयुष्मान योजना

डॉ खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना/ आयुष्मान योजना के अंतर्गत अब तक प्रदेश के शासकीय एवं पंजीकृत निजी अस्पतालों में कोविड से पीड़ित 5157 मरीजों का इलाज किया गया.

20% बिस्तर अस्पतालों में आरक्षित

इस योजनाओं के हितग्राहियों के लिए अस्पताल में उपलब्ध कुल बिस्तरों में से 20% बिस्तर आरक्षित करने करने के निर्देश दिए हैं.

अस्पतालों में कोरोना उपचार के लिए राज्य सरकार ने किया दर निर्धारित

शासकीय एवं पंजीकृत निजी अस्पतालों में योजना के अंतर्गत कोविड-19 के उपचार के लिए हर दिन की दरें निर्धारित की गई है जो इस प्रकार है.

जनरल वार्ड 2000
एचडीयू (ऑक्सीजन)5500
आईसीयू (वेंटीलेटर बिना) 7000
आईसीयू (वेंटीलेटर साथ) 9700

कोविड से पीड़ित 5157 मरीजों का किया गया इलाज

इस योजना के अंतर्गत 3978 मरीजों का शासकीय अस्पतालों में और 1179 मरीजों का निजी अस्पतालों में इलाज किया गया है. इस तरह राज्य के ग्रामीण व शहरी अंचलों के मरीजों को मिलाकर कुल 5 हजार 157 मरीजों को आयुष्मान भारत योजना, डॉ खूबचंद बघेल योजना का लाभ दिया गया है.

In this Corona era government health plans and private health insurance proved to be lifesaving for corona patients.
डॉ खूबचंद बघेल बघेल स्व सहायता योजना

24 घंटों कोरोना जांच का दावा: ईटीवी भारत की पड़ताल में कहीं मरीज मिले-कहीं लटके मिले ताले

जिलेवार मरीजों के इलाज के आंकड़े

जिला मरीजजिलामरीज
रायपुर 862बलौदाबाजार 545
दुर्ग 379 रायगढ़361
जशपुर341सरगुजा324
राजनंदगांव322बालोद305
कांकेर240कोरबा196
जांजगीर चांपा185बिलासपुर172
बेमेतरा127 धमतरी123
बीजापुर110कोरिया94
महासमुंद94 बस्तर71
कोंडागांव63मुंगेली57
बलरामपुर57कबीरधाम55
गरियाबंद 23 दंतेवाड़ा22
सुकमा 01सूरजपुर 01
बलरामपुर01

निजी बीमा कंपनियों से क्लेम लेना नहीं आसान

ये तो रहे राज्य के खूबचंद बघेल और आयुष्मान योजना के तहत कोविड के मरीजों को दिए गए क्लेम की जानकारी. अब बात करते हैं देश के क्लेम की, जहां निजी इंश्योरेंस कंपनियों द्वारा अरबों रुपए का भुगतान किया गया है. हालांकि कई बार निजी कंपनियों के क्लेम में पॉलिसी धारक को कई परेशानियों का सामना भी करना पड़ा. कई बार अस्पताल हेल्थ इंश्योरेंस होने के बावजूद मरीजों की भर्ती नहीं लेते हैं या फिर बेड ना खाली होने का बहाना बना देते हैं. इस परिस्थिति में नकद राशि पॉलिसी धारक से ली जाती है. इस वजह से पॉलिसी धारक को खासी परेशानी उठानी पड़ती है.

In this Corona era government health plans and private health insurance proved to be lifesaving for corona patients.
शासकीय स्वास्थ्य योजना से लोगों को मिल रहा लाभ

इंश्योरेंस क्लेम की प्रक्रिया पहले से हुई आसान

इस तरह की घटना सामने आने के बाद अब ऐसे अस्पतालों को भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI) की तरफ से ब्लैक लिस्टेड करने का प्रावधान भी किया गया है. यदि कोई अस्पताल इंश्योरेंस पॉलिसी होने के बावजूद मरीज को एडमिट नहीं करता है तो सिर्फ संबंधित इंश्योरेंस कंपनी ही नहीं बल्कि अन्य जितनी भी इंश्योरेंस कंपनियां है. उस अस्पताल से टाईअप खत्म कर सकेंगी. अब इंश्योरेंस क्लेम की प्रक्रिया को भी सरल किया गया है जिससे पॉलिसी धारक को जल्द से जल्द क्लेम मिल सके.


जानकारों का यह भी कहना है कि पॉलिसी लेते समय पॉलिसी धारक कई बार प्रीमियम कम करने के लिए एजेंट पर दबाव बनाता है. जिस वजह से एजेंट इंश्योरेंस के तहत मिलने वाले लाभ की कटौती कर देता है. जिसकी जानकारी संबंधित पक्ष को नहीं दी जाती है. इस वजह से बाद में क्लेम के दौरान पॉलिसी धारक को परेशानी उठानी पड़ती है. ऐसे में पॉलिसी लेते समय प्रीमियम के साथ-साथ उसमें मिलने वाली सुविधाओं को भी पॉलिसी धारक को विशेष तौर पर जानना जरूरी है.

केंद्र के CoWIN पोर्टल के साथ छत्तीसगढ़ में CG Teeka एप, राजनीति शुरू

क्लेम लेने में परेशानी होने पर कर सकते हैं संपर्क

पिछले 18 साल से इंश्योरेंस के काम करने वाले सुरेश सिंह ठाकुर ने ETV भारत कि इंश्योरेंस से संबंधित इस पहल की सराहना की. उन्होंने ETV भारत के माध्यम से लोगों से अपील की है कि यदि कोई भी पॉलिसी धारक जिसने किसी भी तरह का इंश्योरेंस लिया हो और उसे क्लेम लेने में किसी भी तरीके की परेशानी आ रही हो तो वह उनसे संपर्क कर सकता है. भले ही वह पॉलिसी धारक किसी और से अपनी पॉलिसी क्यों ना कराया हो . बावजूद इसके वे उसकी निशुल्क मदद के लिए तैयार हैं. उन्होंने अपना मोबाइल नंबर भी ETV भारत से साझा किया है. जो इस प्रकार है. (मो- 9300361000)

कोरोना के बाद इंश्योरेंस करने लोगों का बढ़ा रुझान

जनरल इंश्योरेंस काउंसलिंग (GIC) के आंकड़ों के अनुसार बीमा कंपनियों को इस साल 7 अप्रैल 2021 तक कोरोनावायरस से संबंधित 14,738 करोड़ रुपये के 10.07 लाख दावे मिले. जिसमें से 7,907 करोड़ रुपये के 8.6 लाख क्लेम सेटल कर दिए गए हैं. आने वाले समय में महामारी से जुड़े बीमा क्लेम तेजी से बढ़ सकते है. क्योंकि देश में लगातार कोरोना संक्रमण बढ़ रहा है.

राजीव गांधी किसान न्याय योजना की अगली किस्त का 21 मई को होगा भुगतान, राहुल गांधी हो सकते हैं शामिल

सकल प्रत्यक्ष प्रीमियम संग्रह भी बढ़ा

साधारण बीमा कंपनियों का सकल प्रत्यक्ष प्रीमियम संग्रह (ग्रॉस डायरेक्ट प्रीमियम रिटेन) 2020-21 में 5.2 फ़ीसदी से बढ़कर 1,98,734.68 करोड़ रुपए रहा. बीमा नियामक इरडा के आंकड़ों के अनुसार इसमें पूर्व वित्त वर्ष 2019-20 में सभी साधारण बीमा कंपनियों का सकल प्रीमियम संग्रह 1,88,916.61 करोड़ रुपये था. भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) के अनुसार इस साल मार्च में साधारण बीमा कंपनियों का कुल प्रीमियम संग्रह 17 फीसदी से बढ़कर 19,298.85 करोड़ रुपये रहा. जो एक साल पहले इसी महीने में 15,635.42 करोड रुपये था. कुल 25 साधारण बीमा कंपनियों का कुल प्रीमियम 2020-21 में 3.35 फीसदी बढ़कर 1,69,840.05 करोड़ रुपए रहा. जो पिछले साल 2019-20 में 1,64,328.20 करोड़ रुपए था.

भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने बीमा कंपनियों से कोरोना मरीजों के क्लेम 60 मिनट के अंदर निपटाने के निर्देश दिए हैं. बावजूद इसके कई बार इंश्योरेंस कंपनी और अस्पतालों के बीच कागजी कार्रवाई पूरी करने में कई दिन बीत जाते हैं. इस वजह से लोगों को खासी परेशानी उठानी पड़ती है. लेकिन जो भी हो इस कोरोना काल में शासकीय योजनाओं एवं निजी इंश्योरेंस कंपनियों की वजह से लोगों को बड़ी राहत मिली है. यदि यह इंश्योरेंस कंपनियां लोगों को सही समय पर क्लेम का भुगतान नहीं करती तो आज परिस्थिति और भी विपरीत हो सकती थी. बहरहाल आने वाले समय में इंश्योरेंस क्लेम की प्रक्रिया को और भी सरल बनाने की जरूरत है. जिससे मरीजों को आपातकालीन स्थिति में तत्काल मदद मिल सके.

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