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छत्तीसगढ़ की राजनीति में धान का महत्व

Paddy Purchase 2022 छत्तीसगढ़ में धान का एक अपना अलग ही महत्व है, चाहे वह देश के लिए चावल की आपूर्ति की बात हो, या फिर प्रदेश के किसानों के उत्थान की बात हो. धान उसमें एक अहम भूमिका निभा रहा है.इसके अलावा प्रदेश को आर्थिक रूप से मजबूत करने में भी धान की महत्वपूर्ण भूमिका रही है, इतना ही नहीं राजनीति के लिए भी धान काफी महत्वपूर्ण है. क्योंकि धन के मुद्दे को लेकर प्रदेश में सरकार बनती और बिगड़ती भी है. importance of paddy in chhattisgarh politics

importance of paddy in chhattisgarh politics
छत्तीसगढ़ की राजनीति में धान का महत्व
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Published : Nov 5, 2022, 5:55 PM IST

Updated : Nov 5, 2022, 11:29 PM IST

रायपुर : छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है. यहां धान की ज्यादा पैदावार है ,यही वजह है कि धान से जुड़े किसान व्यापार उद्योग यहां ज्यादा फल फूल रहे हैं. छत्तीसगढ़ धान का उत्पादन करना सिर्फ छत्तीसगढ़ के लिए चावल की आपूर्ति करता है बल्कि देश के दूसरे राज्यों के लिए भी एक बड़ी मात्रा में चावल की आपूर्ति करता है .धान छत्तीसगढ़ की राजनीति में भी एक अलग महत्व रखता है. पूर्व की भाजपा सरकार के द्वारा विधानसभा चुनाव 2013 के ठीक पहले किसानों को धान पर ₹300 प्रति क्विंटल बोनस देने की घोषणा की थी. लेकिन बाद में किसानों को यह बोनस की राशि नहीं दी गई. जिससे किसानों में खासी नाराजगी थी. इसी नाराजगी का फायदा विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस ने उठाया. कांग्रेस ने अपने जन घोषणा पत्र में किसानों को धान का समर्थन मूल्य ₹2500 देने की घोषणा की.कांग्रेस की घोषणा का असर दिखा और प्रदेश की सत्ता पर कांग्रेस ने एकतरफा जीत हासिल करते हुए कब्जा जमा लिया. importance of paddy in chhattisgarh politics

छत्तीसगढ़ की राजनीति में धान का महत्व



2500 रुपये धान का समर्थन मूल्य देने राज्य सरकार को करनी पड़ी जद्दोजहद : धान का समर्थन मूल्य ₹2500 देने के बाद कुछ तकनीकी परेशानी भी कांग्रेस सरकार को उठानी पड़ी. क्योंकि केंद्र सरकार ने ₹2500 समर्थन मूल्य देने पर राज्य से केंद्रीय पूल में चावल लेने से इनकार कर दिया. बाद में राज्य सरकार को केंद्र द्वारा जारी समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी करनी पड़ी, लेकिन शेष राशि राज्य सरकार के द्वारा किसानों को बोनस के रूप में चार किस्तों में दी जा रही है. Paddy purchased in Chhattisgarh



2800 रुपये प्रति क्विंटल धान खरीदने की मांग : इस पर भी भाजपा कांग्रेस सरकार को घेरने से बाज नहीं आई. भाजपा ने बोनस की राशि चार किस्तों की बजाय एक बार में देने की राज्य सरकार से मांग की. इतना ही नहीं तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने तो धान का समर्थन मूल्य उस दौरान 2800 प्रति क्विंटल करने तक की भी मांग कर दी थी. इससे साफ जाहिर है कि छत्तीसगढ़ की राजनीति में धान एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है.



80% से ज्यादा लोग खेती पर निर्भर : मंत्री अमरजीत भगत का कहना है कि '' प्रदेश में 80% से ज्यादा लोग का जीवन किसानी ओर उससे संबंधित काम पर आधारित है .ऐसे में राज्य सरकार अगर उनकी उपज को खरीदने का काम करते थे इससे बड़ा काम कुछ और नहीं हो सकता. हम लगातार इस प्रदेश में धान खरीदी का रिकॉर्ड बनते जा रहा है. इस साल 110 लाख मैट्रिक टन खरीदने जा रहे हैं.छत्तीसगढ़ राज्य आज 22 साल का युवा हो गया है और उसका काम बता रहा है कि किस प्रकार से प्रदेश आज समृद्धि और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है .किसान समृद्ध हो रहे हैं किसान आर्थिक रूप से संपन्न हो रहे हैं. जो आज धान खरीदी के रिकार्ड स्पष्ट झलक रहा है.''Paddy Purchase 2022


किसान नेता वैगेन्द्र सोनकर का कहना है कि '' दोनों राजनीतिक दल अपने स्वार्थ के लिए किसानों का उपयोग कर रही है.सरकार के द्वारा व्यापारियों को लाभ पहुंचाया जाता है किसानों की सुध नहीं ली जाती है. पूर्व में राइस मिलर को ₹40 प्रति कुंटल धान की मिलिंग के लिए दिया जाता था, लेकिन अब ₹120 दिया जा रहा है इससे राइस मिलर्स का फायदा हो रहा है लेकिन किसानों को कोई लाभ नहीं मिल रहा है.''


कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर का कहना है कि '' 15 साल रमन सरकार ने प्रदेश के किसानों के साथ वादाखिलाफी किया है. ₹2100 धान की कीमत , ₹300 बोनस नहीं दिया है. 8 साल से केंद्र में उनकी सरकार है, किसानों की आमदनी दुगनी करने का वादा किया गया था, उनकी उपज का डेढ़ गुना समर्थन मूल्य देने का वादा किया गया था, उसे भाजपा के द्वारा पूरा नहीं किया गया है. ऐसे में भाजपा किसानों के नाम पर योजना बता कर किसानों को गुमराह नहीं कर सकती है.''

वहीं भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी अमित चिमनानी का कहना है कि '' छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा की उपमा मिली हुई है. जिसे हम सभी गौरव की अनुभूति करते हैं और प्रदेश का किसान काफी मेहनत करता है .उसकी मेहनत से ना सिर्फ यहां के लोगों का पेट भरता है बल्कि अन्य प्रदेशों में भी इस पैदावार को भेजा जाता है तो निश्चित तौर पर छत्तीसगढ़ के लिए हमारे किसान बहुत महत्वपूर्ण है.''

चिमनानी ने कहा कि राज्य सरकार जितना भी पैसा देती है, उसका 80 फ़ीसदी से ज्यादा राशि केंद्र सरकार की होती है. कांग्रेस सरकार एक एजेंसी के रूप में धान खरीदती है. बदले में केंद्र सरकार चावल खरीदती है, उसमें धान खरीदी, का पैसा देती है, लेकिन साथ में बारदाने, ट्रांसपोर्टेशन ओर कमीशन का पैसा मिला कर देती है. अभी 4 सालों में लगभग 80 हजार करोड़ से ज्यादा पैसा केंद्र सरकार ने किसानों के लिए भुगतान किया है. ऐसे में धान खरीदी केंद्र सरकार कर रही है। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद ज्ञापित करते हैं.''



चाउर वाले बाबा के नाम से जाने जाते थे डॉ रमन : वरिष्ठ पत्रकार रामअवतार तिवारी का कहना है कि ''पूर्वर्ती रमन सरकार के द्वारा प्रदेश की गरीब जनता के लिए एक योजना लाई गई थी जो काफी चर्चित रही वह योजना थी गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों के लिए एक रुपए ,दो रुपए प्रति किलो चावल देने की। इस योजना का भाजपा को लाभ भी मिला. 15 सालों तक भाजपा सत्ता पर काबिज रही है. यहां तक की डॉ रमन सिंह को चावल वाले बाबा के नाम से भी जाना जाने लगा. कांग्रेस ने धान बोनस के मुद्दे विधानसभा चुनाव 2018 में जमकर भुनाया. कांग्रेस ने अपने जन घोषणापत्र में किसानों का धान का समर्थन मूल्य ₹2500 देने की घोषणा की जो कांग्रेस के लिए ब्रह्मास्त्र साबित हुआ. चुनाव में कांग्रेस ने एकतरफा जीत हासिल की और 15 सालों तक सत्ता पर काबिज भाजपा महज 15 सीटों पर सिमट गई. ऐसे में कहा जा सकता है कि छत्तीसगढ़ में धान के कटोरे में जो राजनीतिक दल ज्यादा पैसा डालेगा उसकी सरकार बनेगी. और यही वजह है कि छत्तीसगढ़ की राजनीति में धान का एक महत्वपूर्ण स्थान है.''

रायपुर : छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है. यहां धान की ज्यादा पैदावार है ,यही वजह है कि धान से जुड़े किसान व्यापार उद्योग यहां ज्यादा फल फूल रहे हैं. छत्तीसगढ़ धान का उत्पादन करना सिर्फ छत्तीसगढ़ के लिए चावल की आपूर्ति करता है बल्कि देश के दूसरे राज्यों के लिए भी एक बड़ी मात्रा में चावल की आपूर्ति करता है .धान छत्तीसगढ़ की राजनीति में भी एक अलग महत्व रखता है. पूर्व की भाजपा सरकार के द्वारा विधानसभा चुनाव 2013 के ठीक पहले किसानों को धान पर ₹300 प्रति क्विंटल बोनस देने की घोषणा की थी. लेकिन बाद में किसानों को यह बोनस की राशि नहीं दी गई. जिससे किसानों में खासी नाराजगी थी. इसी नाराजगी का फायदा विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस ने उठाया. कांग्रेस ने अपने जन घोषणा पत्र में किसानों को धान का समर्थन मूल्य ₹2500 देने की घोषणा की.कांग्रेस की घोषणा का असर दिखा और प्रदेश की सत्ता पर कांग्रेस ने एकतरफा जीत हासिल करते हुए कब्जा जमा लिया. importance of paddy in chhattisgarh politics

छत्तीसगढ़ की राजनीति में धान का महत्व



2500 रुपये धान का समर्थन मूल्य देने राज्य सरकार को करनी पड़ी जद्दोजहद : धान का समर्थन मूल्य ₹2500 देने के बाद कुछ तकनीकी परेशानी भी कांग्रेस सरकार को उठानी पड़ी. क्योंकि केंद्र सरकार ने ₹2500 समर्थन मूल्य देने पर राज्य से केंद्रीय पूल में चावल लेने से इनकार कर दिया. बाद में राज्य सरकार को केंद्र द्वारा जारी समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी करनी पड़ी, लेकिन शेष राशि राज्य सरकार के द्वारा किसानों को बोनस के रूप में चार किस्तों में दी जा रही है. Paddy purchased in Chhattisgarh



2800 रुपये प्रति क्विंटल धान खरीदने की मांग : इस पर भी भाजपा कांग्रेस सरकार को घेरने से बाज नहीं आई. भाजपा ने बोनस की राशि चार किस्तों की बजाय एक बार में देने की राज्य सरकार से मांग की. इतना ही नहीं तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने तो धान का समर्थन मूल्य उस दौरान 2800 प्रति क्विंटल करने तक की भी मांग कर दी थी. इससे साफ जाहिर है कि छत्तीसगढ़ की राजनीति में धान एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है.



80% से ज्यादा लोग खेती पर निर्भर : मंत्री अमरजीत भगत का कहना है कि '' प्रदेश में 80% से ज्यादा लोग का जीवन किसानी ओर उससे संबंधित काम पर आधारित है .ऐसे में राज्य सरकार अगर उनकी उपज को खरीदने का काम करते थे इससे बड़ा काम कुछ और नहीं हो सकता. हम लगातार इस प्रदेश में धान खरीदी का रिकॉर्ड बनते जा रहा है. इस साल 110 लाख मैट्रिक टन खरीदने जा रहे हैं.छत्तीसगढ़ राज्य आज 22 साल का युवा हो गया है और उसका काम बता रहा है कि किस प्रकार से प्रदेश आज समृद्धि और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है .किसान समृद्ध हो रहे हैं किसान आर्थिक रूप से संपन्न हो रहे हैं. जो आज धान खरीदी के रिकार्ड स्पष्ट झलक रहा है.''Paddy Purchase 2022


किसान नेता वैगेन्द्र सोनकर का कहना है कि '' दोनों राजनीतिक दल अपने स्वार्थ के लिए किसानों का उपयोग कर रही है.सरकार के द्वारा व्यापारियों को लाभ पहुंचाया जाता है किसानों की सुध नहीं ली जाती है. पूर्व में राइस मिलर को ₹40 प्रति कुंटल धान की मिलिंग के लिए दिया जाता था, लेकिन अब ₹120 दिया जा रहा है इससे राइस मिलर्स का फायदा हो रहा है लेकिन किसानों को कोई लाभ नहीं मिल रहा है.''


कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर का कहना है कि '' 15 साल रमन सरकार ने प्रदेश के किसानों के साथ वादाखिलाफी किया है. ₹2100 धान की कीमत , ₹300 बोनस नहीं दिया है. 8 साल से केंद्र में उनकी सरकार है, किसानों की आमदनी दुगनी करने का वादा किया गया था, उनकी उपज का डेढ़ गुना समर्थन मूल्य देने का वादा किया गया था, उसे भाजपा के द्वारा पूरा नहीं किया गया है. ऐसे में भाजपा किसानों के नाम पर योजना बता कर किसानों को गुमराह नहीं कर सकती है.''

वहीं भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी अमित चिमनानी का कहना है कि '' छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा की उपमा मिली हुई है. जिसे हम सभी गौरव की अनुभूति करते हैं और प्रदेश का किसान काफी मेहनत करता है .उसकी मेहनत से ना सिर्फ यहां के लोगों का पेट भरता है बल्कि अन्य प्रदेशों में भी इस पैदावार को भेजा जाता है तो निश्चित तौर पर छत्तीसगढ़ के लिए हमारे किसान बहुत महत्वपूर्ण है.''

चिमनानी ने कहा कि राज्य सरकार जितना भी पैसा देती है, उसका 80 फ़ीसदी से ज्यादा राशि केंद्र सरकार की होती है. कांग्रेस सरकार एक एजेंसी के रूप में धान खरीदती है. बदले में केंद्र सरकार चावल खरीदती है, उसमें धान खरीदी, का पैसा देती है, लेकिन साथ में बारदाने, ट्रांसपोर्टेशन ओर कमीशन का पैसा मिला कर देती है. अभी 4 सालों में लगभग 80 हजार करोड़ से ज्यादा पैसा केंद्र सरकार ने किसानों के लिए भुगतान किया है. ऐसे में धान खरीदी केंद्र सरकार कर रही है। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद ज्ञापित करते हैं.''



चाउर वाले बाबा के नाम से जाने जाते थे डॉ रमन : वरिष्ठ पत्रकार रामअवतार तिवारी का कहना है कि ''पूर्वर्ती रमन सरकार के द्वारा प्रदेश की गरीब जनता के लिए एक योजना लाई गई थी जो काफी चर्चित रही वह योजना थी गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों के लिए एक रुपए ,दो रुपए प्रति किलो चावल देने की। इस योजना का भाजपा को लाभ भी मिला. 15 सालों तक भाजपा सत्ता पर काबिज रही है. यहां तक की डॉ रमन सिंह को चावल वाले बाबा के नाम से भी जाना जाने लगा. कांग्रेस ने धान बोनस के मुद्दे विधानसभा चुनाव 2018 में जमकर भुनाया. कांग्रेस ने अपने जन घोषणापत्र में किसानों का धान का समर्थन मूल्य ₹2500 देने की घोषणा की जो कांग्रेस के लिए ब्रह्मास्त्र साबित हुआ. चुनाव में कांग्रेस ने एकतरफा जीत हासिल की और 15 सालों तक सत्ता पर काबिज भाजपा महज 15 सीटों पर सिमट गई. ऐसे में कहा जा सकता है कि छत्तीसगढ़ में धान के कटोरे में जो राजनीतिक दल ज्यादा पैसा डालेगा उसकी सरकार बनेगी. और यही वजह है कि छत्तीसगढ़ की राजनीति में धान का एक महत्वपूर्ण स्थान है.''

Last Updated : Nov 5, 2022, 11:29 PM IST
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