रायपुर: कोरोना वारयस (coronavirus) के नए स्ट्रेन (new strain) ने सबकी चिंता बढ़ा दी है. दिनों-दिन कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमण के चलते प्रदेश के सभी जिलों में लॉकडाउन (lockdown) घोषित किया गया है. लॉकडाउन का असर सब पर देखा जा सकता है. लोग घरों के भीतर रहने को मजबूर हैं. पिछले एक सालों से स्कूल बंद होने से बच्चे भी घरों में कैद हैं. ऐसे में बच्चे अब ऊबने लगे हैं. बच्चों में अकेलापन, चिड़चिड़ापन जैसी समस्याएं देखने को मिल रही हैं. ऐसे में माता पिता की यह जिम्मेदारी बहुत बढ़ जाती है कि वे अपने बच्चों के शारीरिक, स्वास्थ्य के साथ मानसिक स्वास्थ्य का कैसे ध्यान रखें. ऐसे स्थिति पर हम बच्चों के साथ कैसा व्यवहार करें. ETV भारत ने मनोचिकित्सक डॉ. सुरभि दुबे (Psychiatrist Dr. Surbhi Dubey) से खास बातचीत की.
सवाल: कोरोना के चलते पिछले एक साल से बच्चे घरों में कैद हैं. ऐसे में उनके मस्तिष्क पर किस तरह का असर पड़ रहा है ?
डॉ. सुरभि दुबे: कोरोना से माता-पिता भयभीत हैं. बच्चे भी डरे हुए हैं. बच्चों को कोरोना न हो इसके लिए पैरेंट्स ने उनका बाहर जाना पूरी तरह से बंद कर दिया है. बच्चे टीवी और मोबाइल के सामने ज्यादा वक्त बिता रहे हैं. उनकी दिनचर्या बदल रही है. असर दिमाग पर पड़ा है. चिड़चिड़ापन, गुस्सा वे जल्दी हो जा रहे हैं. ऐसे में माता-पिता बच्चों को पर्याप्त समय दें. बाहर अगर जा रहे हैं तो सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखें. मास्क पहनें. लिहाजा घर की छत, गार्डन पर बच्चों को खेलने दें. बच्चों को पर्याप्त समय दें. बच्चे यदि टीवी, मोबाइल पर ज्यादा समय बिता रहे हैं तो ऐसे में उनके लिए एक्टिविटी प्लान करनी चाहिए, जिससे वे बिजी रहें. बच्चों को किचन में इंवॉल्व करें. कुछ फैमिली गेम्स प्लान करके रखें. कुछ रोल प्लेइंग गेम्स प्लान करें. जिसमें बच्चों की पढ़ाई भी हो जाए और उनका ध्यान भी मोबाइल और टीवी से हट जाए.
कोरोना काल: अपनी पसंदीदा चीजों से ही बोर हुए बच्चे, दिमाग पर पड़ा असर
सवाल: जिन बच्चों को कोरोना हो चुका है उनके दिमाग पर कैसे असर पड़ता है ?
डॉ. सुरभि दुबे: देखिए कोरोना में हम जो दवाई खाते हैं. उसका भी असर दिमाग पर पड़ता है. कभी बच्चों को डिसऑरिएंटेशन हो सकता है. कभी बच्चों को कन्फ्यूजन हो सकता है. कुछ बच्चों में व्यवहारिक बदलाव आ सकते हैं. मिर्गी की बीमारी हो सकती है. शुगर की बीमारी हो सकती है. ऐसे में पैरेंट्स को ध्यान रखना जरूरी है. कोरोना के दौरान जो बच्चे होम आइसोलेशन में रहते हैं. वे माता-पिता से दूर हो जाते हैं. ऐसे में बच्चे अपने-आपको अकेला समझने लगते हैं. माता-पिता को चाहिए कि बच्चों के ठीक होने के बाद उन्हें प्रोत्साहन दें. उनसे मिलें, एक-दूसरे की बातें शेयर करें. उन पर गुस्सा न हों.
सवाल: जिन छोटी फैमली में यदि बच्चे की मां कोरोना पॉजिटिव हो जाती है तो ऐसे में बच्चों का ख्याल कैसे रखना चाहिए ?
डॉ. सुरभि दुबे: इसमें कुछ चीजें बहुत ध्यान रखने की जरूरत है. जब बच्चे की मां कोरोना पॉजिटिव आए तो उसे बीमारी के बारे में बता देना चाहिए. यदि मां घर पर होम आइसोलेट हैं तो सुरक्षा के लिए बच्चे को दूर रखना चाहिए. लेकिन इस बात का भी समझना बहुत जरूरी है कि बच्चे को समय-समय पर उसकी मां के अच्छे ट्रीटमेंट की जानकारी देते रहें. उससे कहते रहें कि मां जल्दी ठीक हो जाएगी. बच्चे की मां दूसरे कमरे में है तो बच्चे से वीडियो कॉलिंग के जरिए बात कराते रहें. जिससे वह अपने आपको अकेला नहीं समझेंगे.