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Human trafficking in Chhattisgarh : छत्तीसगढ़ में मानव तस्करी एक बड़ी चुनौती, इसके खिलाफ कैसे हैं कानून ? - National Human Trafficking Awareness Day

भारत ही नहीं पूरी दुनिया में मानव तस्करी एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आई है. कभी जिस्मफरोशी के धंधे तो कभी मजदूरी के लिए मानव तस्करी की जाती है. इसमें ज्यादातर एक राज्य से दूसरे राज्य या फिर किसी दूसरे देश के लोगों को किसी और देश में बिना किसी वैध कागजातों के ले जाया जाता है. ऐसे मामलों में संबंधित व्यक्ति को पुलिस रिकवर करने के बाद भी ज्यादा जानकारी हाथ नहीं लगने के कारण परेशान रहती है.भारत की यदि बात की जाए तो यहां भी मानव तस्करी के मामले सामने आते रहते हैं.छत्तीसगढ़ के आदिवासी जिले मानव तस्करी के गढ़ हैं.जहां के भोले भाले लोगों को बहकाकर दलाल दूसरे राज्यों में बेच देते हैं.दुनिया में मानव तस्करी के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए 11 जनवरी के दिन राष्ट्रीय मानव तस्करी जागरूकता दिवस मनाया जाता है.

Human trafficking in Chhattisgarh
मानव तस्करी एक बड़ी चुनौती
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Published : Jan 11, 2023, 8:36 PM IST

मानव तस्करी एक बड़ी चुनौती

रायपुर : राष्ट्रीय मानव तस्करी जागरूकता दिवस को मनाने का उद्देश्य मानव तस्करी के पीड़ित लोगों को अधिकार दिलाना और उनकी स्थिति के बारे में लोगों को जागरूक करना है. मानव तस्करी के लिए केंद्र और राज्य सरकार लगातार काम कर रही है.फिर भी देश में आज भी मानव तस्करी जारी है. छत्तीसगढ़ की बात की जाए तो प्रदेश में राज्य सरकार मानव तस्करी रोकने के लिए लगातार काम कर रही है.

ह्यूमन ट्रैफिकिंग सेल का गठन: राज्य सरकार ने हर जिलों में ह्यूमन ट्रैफिकिंग सेल का गठन भी किया है. इसके बावजूद भी प्रदेश में ह्यूमन ट्रैफिकिंग बन्द नही हो पाई है .सीधे तौर पर यह मानव तस्करी जैसा प्रतीत नहीं होती. लेकिन समय के साथ मानव तस्करी का स्वरूप बदला है. छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्र से आज भी लोग रोजगार के लिए अन्य विकसित राज्यों में पलायन कर जाते हैं.मजदूरी देने के नाम पर दूसरे राज्यों में मजदूरों को बंधक बनाकर काम लिया जाता है.


छत्तीसगढ़ में महिला मानव तस्करी का स्वरूप : 2005 से मानव तस्करी के विरुद्ध काम कर रही सामाजिक कार्यकर्ता और अधिवक्ता सेवती पन्ना ने बताया " सरकार अपने स्तर पर मानव तस्करी रोकने का काम कर रही है, लेकिन छत्तीसगढ़ में मानव तस्करी का स्वरूप बदल गया है. पहले बच्चों और युवाओं को रोजगार देने के नाम पर प्लेसमेंट के जरिए अन्य राज्य ले जाया जाता था. लेकिन अब इनमें कमी आई है. छत्तीसगढ़ में लेबर ट्रैफिकिंग हो रही है. लेकिन अब दलाल सीधे यह काम नहीं करते. अब फोन के माध्यम से यह चीजें चलती है और इनमें ज्यादातर पति पत्नी और परिवार जाते हैं.


बंधुआ मजदूर के शिकार छत्तीसगढ़ के गरीब : सेवती पन्ना ने बताया कि " मानव तस्करी का स्वरूप बदल गया है, अब नाबालिग और युवाओं को नहीं ले जाकर पूरे परिवार को ले जाया जाता है. 5 से 6 महीने वे लोग वहां काम करते हैं. उन्हें काम की कीमत नहीं मिल पाती. वहां उनका शोषण होता है. उनकी महिलाओं और उनकी बेटियों का भी शोषण होता,उचित मजदूरी नही दी जाती हैं, दलाल को कमीशन मिलता है.

लगातार बढ़ रहा शोषण: वर्तमान में भी शोषण और अत्याचार कम नहीं हुआ है, मैं सरकार से मांग करती हूं कि केंद्र सरकार की ओर से जो राशि आती है. प्रदेश में जो स्कीम उन्मूलन के नाम पर बनाई जाती है,वह राशि उन्हीं में खर्च हो, जो लोग बंधुआ मजदूरी के लिए मजबूर होते हैं. उनकी मजबूरी को समझा जाए और उनके कारणों पर ध्यान देकर पंचायतों को आदेशित किया जाए. ताकि लोग गांव के गांव छोड़कर पलायन ना करें.

सेवती पन्ना ने बताया कि '' रोजगार की तलाश में घर का घर बड़ी संख्या में पलायन करता है. जैसे ही वह घर छोड़ता है. उनका शोषण रास्ते से ही शुरू हो जाता है. काम देने के नाम पर दूसरे राज्यों में शारीरिक यातनाएं और उनके परिवार की महिलाओं की अस्मिता भी लूट ली जाती है, आज भी यह अन्याय गया नहीं है. इसलिए जो लोग पलायन कर रहे हैं. बंधुआ मजदूरी हो रही है वह बंद होनी चाहिए. इस ओर सरकार को ध्यान देने की आवश्यकता है."



इन राज्यों में हो रहा शोषण : मानवाधिकार कार्यकर्ता निर्मल गोराना ने बताया कि " मानव तस्करी गुलामी का एक प्रकार है और पूरे देश में मानव तस्करी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. छत्तीसगढ़ राज्य की बात की जाए तो छत्तीसगढ़ जैसे राज्य जिसे धान का कटोरा कहा जाता है. लेकिन छत्तीसगढ़ की गलियों से मानव तस्करी शुरू होती है. जहां दलित और गरीब कामगार लोग रहते हैं, लगातार वहां लेबर ट्रैफिकिंग बढ़ रही है. जिसकी पहचान न पुलिस कर रही है. ना एंटी ट्रैफिकिंग यूनिट कर रही है पिछले 10 सालों में 5000 से ज्यादा मजदूरों को नेशनल कैंपिंग कमिटी फॉर एजुकेशन ऑफ बॉन्डेड लेबर नें जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, दिल्ली जैसे राज्यों से मुक्त करवाया है.यह मुक्त मजदूर है उनमें 99 प्रतिशत मजदूर ह्यूमन ट्रैफिकिंग के शिकार हैं.''


अत्याचार करने वालों पर नहीं होती कानूनी कार्रवाई : निर्मल गोराना ने बताया कि ''छत्तीसगढ़ की सरकार बंधवा मजदूरों को मुक्त करवा तो लाती है .लेकिन गरीबों पर अत्याचार करने वाले लोगों के खिलाफ एफआइआर दर्ज नहीं की जाती, ऐसे मामलों में पुनर्वास भी नहीं होता है. मामला चाहे बंधुआ मजदूरी का हो और मानव तस्करी का इन दोनों में अंतर संबंध है. छत्तीसगढ़ के मजदूर भयंकर रूप से मानव तस्करी और बंधुआ मजदूरी के शिकार हैं. विकसित राज्यों में आज छत्तीसगढ़ के मजदूरों का जो खून चूसा जा रहा है. छत्तीसगढ़ की सरकार को पहल करने की आवश्यकता है.

मानव तस्करी पर एक्शन की जरूरत: निर्मल गोराना ने कहा कि" मानव तस्करी और गुलामी के मुद्दे पर काम करने की आवश्यकता है. एक टास्क फोर्स गठित करने की आवश्यकता है. जो अलग-अलग राज्यों में काम कर रहे पीड़ित मजदूरों को समाज की मुख्यधारा से जोडे और उनकी मुक्ति और पुनर्वास की व्यवस्था की जाए.छत्तीसगढ़ सरकार के पास स्टेट विक्टम कंपनसेशन स्कीम है.जिसके तहत मानव तस्करी से पीड़ित लोगों के पुनर्वास किया जाए और उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ा जाए. इसके साथ ही यह प्रयास करने की आवश्यकता है कि सामाजिक संगठनों प्रशासनिक तंत्र की मदद से मिलजुल कर प्रयास करें ताकि समाज को बंधुआ मजदूरी और बाल विवाह बाल मजदूरी और मानव तस्करी से मुक्त किया जाए सके"

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मानव तस्करी रोकने छत्तीसगढ़ सरकार कर रही है काम : मानव तस्करी रोकने के लिए सरकार जिले के हर मुख्यालय में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट बनाया गया.लगातार यह सेल प्रदेश में मानव तस्करी को रोकने के लिए काम कर रहा है. इसे साथ ही समय-समय पर एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट पुलिस एवं अन्य विभागों के संबंधित अधिकारियों को प्रशिक्षण और सेमिनार आयोजित करता है. इसके साथ ही मानव तस्करी के अपराधों का रिकॉर्ड और अन्य राज्यों से समन्वय स्थापित करने का भी काम करता है.

मानव तस्करी के खिलाफ चलाया जा रहा जागरुकता अभियान: इसके साथ ही मानव तस्करी के विरोध समय-समय पर जन जागरूकता अभियान भी यूनिट के द्वारा किया जा रहा है.अक्टूबर 2022 में मानव तस्करी को रोकने और बचाव कार्य करने के लिए पुलिस मुख्यालय में पुलिस अधिकारियों का प्रशिक्षण किया गया था. पुलिस हर जिले में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट में नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की गई थी. प्रशिक्षण के दौरान यह जानकारी दी गई थी कि प्रदेश में मानव तस्करी के पीड़ितों को मुक्त कराने में छत्तीसगढ़ का प्रदर्शन देश में पहला है.

मानव तस्करी एक बड़ी चुनौती

रायपुर : राष्ट्रीय मानव तस्करी जागरूकता दिवस को मनाने का उद्देश्य मानव तस्करी के पीड़ित लोगों को अधिकार दिलाना और उनकी स्थिति के बारे में लोगों को जागरूक करना है. मानव तस्करी के लिए केंद्र और राज्य सरकार लगातार काम कर रही है.फिर भी देश में आज भी मानव तस्करी जारी है. छत्तीसगढ़ की बात की जाए तो प्रदेश में राज्य सरकार मानव तस्करी रोकने के लिए लगातार काम कर रही है.

ह्यूमन ट्रैफिकिंग सेल का गठन: राज्य सरकार ने हर जिलों में ह्यूमन ट्रैफिकिंग सेल का गठन भी किया है. इसके बावजूद भी प्रदेश में ह्यूमन ट्रैफिकिंग बन्द नही हो पाई है .सीधे तौर पर यह मानव तस्करी जैसा प्रतीत नहीं होती. लेकिन समय के साथ मानव तस्करी का स्वरूप बदला है. छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्र से आज भी लोग रोजगार के लिए अन्य विकसित राज्यों में पलायन कर जाते हैं.मजदूरी देने के नाम पर दूसरे राज्यों में मजदूरों को बंधक बनाकर काम लिया जाता है.


छत्तीसगढ़ में महिला मानव तस्करी का स्वरूप : 2005 से मानव तस्करी के विरुद्ध काम कर रही सामाजिक कार्यकर्ता और अधिवक्ता सेवती पन्ना ने बताया " सरकार अपने स्तर पर मानव तस्करी रोकने का काम कर रही है, लेकिन छत्तीसगढ़ में मानव तस्करी का स्वरूप बदल गया है. पहले बच्चों और युवाओं को रोजगार देने के नाम पर प्लेसमेंट के जरिए अन्य राज्य ले जाया जाता था. लेकिन अब इनमें कमी आई है. छत्तीसगढ़ में लेबर ट्रैफिकिंग हो रही है. लेकिन अब दलाल सीधे यह काम नहीं करते. अब फोन के माध्यम से यह चीजें चलती है और इनमें ज्यादातर पति पत्नी और परिवार जाते हैं.


बंधुआ मजदूर के शिकार छत्तीसगढ़ के गरीब : सेवती पन्ना ने बताया कि " मानव तस्करी का स्वरूप बदल गया है, अब नाबालिग और युवाओं को नहीं ले जाकर पूरे परिवार को ले जाया जाता है. 5 से 6 महीने वे लोग वहां काम करते हैं. उन्हें काम की कीमत नहीं मिल पाती. वहां उनका शोषण होता है. उनकी महिलाओं और उनकी बेटियों का भी शोषण होता,उचित मजदूरी नही दी जाती हैं, दलाल को कमीशन मिलता है.

लगातार बढ़ रहा शोषण: वर्तमान में भी शोषण और अत्याचार कम नहीं हुआ है, मैं सरकार से मांग करती हूं कि केंद्र सरकार की ओर से जो राशि आती है. प्रदेश में जो स्कीम उन्मूलन के नाम पर बनाई जाती है,वह राशि उन्हीं में खर्च हो, जो लोग बंधुआ मजदूरी के लिए मजबूर होते हैं. उनकी मजबूरी को समझा जाए और उनके कारणों पर ध्यान देकर पंचायतों को आदेशित किया जाए. ताकि लोग गांव के गांव छोड़कर पलायन ना करें.

सेवती पन्ना ने बताया कि '' रोजगार की तलाश में घर का घर बड़ी संख्या में पलायन करता है. जैसे ही वह घर छोड़ता है. उनका शोषण रास्ते से ही शुरू हो जाता है. काम देने के नाम पर दूसरे राज्यों में शारीरिक यातनाएं और उनके परिवार की महिलाओं की अस्मिता भी लूट ली जाती है, आज भी यह अन्याय गया नहीं है. इसलिए जो लोग पलायन कर रहे हैं. बंधुआ मजदूरी हो रही है वह बंद होनी चाहिए. इस ओर सरकार को ध्यान देने की आवश्यकता है."



इन राज्यों में हो रहा शोषण : मानवाधिकार कार्यकर्ता निर्मल गोराना ने बताया कि " मानव तस्करी गुलामी का एक प्रकार है और पूरे देश में मानव तस्करी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. छत्तीसगढ़ राज्य की बात की जाए तो छत्तीसगढ़ जैसे राज्य जिसे धान का कटोरा कहा जाता है. लेकिन छत्तीसगढ़ की गलियों से मानव तस्करी शुरू होती है. जहां दलित और गरीब कामगार लोग रहते हैं, लगातार वहां लेबर ट्रैफिकिंग बढ़ रही है. जिसकी पहचान न पुलिस कर रही है. ना एंटी ट्रैफिकिंग यूनिट कर रही है पिछले 10 सालों में 5000 से ज्यादा मजदूरों को नेशनल कैंपिंग कमिटी फॉर एजुकेशन ऑफ बॉन्डेड लेबर नें जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, दिल्ली जैसे राज्यों से मुक्त करवाया है.यह मुक्त मजदूर है उनमें 99 प्रतिशत मजदूर ह्यूमन ट्रैफिकिंग के शिकार हैं.''


अत्याचार करने वालों पर नहीं होती कानूनी कार्रवाई : निर्मल गोराना ने बताया कि ''छत्तीसगढ़ की सरकार बंधवा मजदूरों को मुक्त करवा तो लाती है .लेकिन गरीबों पर अत्याचार करने वाले लोगों के खिलाफ एफआइआर दर्ज नहीं की जाती, ऐसे मामलों में पुनर्वास भी नहीं होता है. मामला चाहे बंधुआ मजदूरी का हो और मानव तस्करी का इन दोनों में अंतर संबंध है. छत्तीसगढ़ के मजदूर भयंकर रूप से मानव तस्करी और बंधुआ मजदूरी के शिकार हैं. विकसित राज्यों में आज छत्तीसगढ़ के मजदूरों का जो खून चूसा जा रहा है. छत्तीसगढ़ की सरकार को पहल करने की आवश्यकता है.

मानव तस्करी पर एक्शन की जरूरत: निर्मल गोराना ने कहा कि" मानव तस्करी और गुलामी के मुद्दे पर काम करने की आवश्यकता है. एक टास्क फोर्स गठित करने की आवश्यकता है. जो अलग-अलग राज्यों में काम कर रहे पीड़ित मजदूरों को समाज की मुख्यधारा से जोडे और उनकी मुक्ति और पुनर्वास की व्यवस्था की जाए.छत्तीसगढ़ सरकार के पास स्टेट विक्टम कंपनसेशन स्कीम है.जिसके तहत मानव तस्करी से पीड़ित लोगों के पुनर्वास किया जाए और उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ा जाए. इसके साथ ही यह प्रयास करने की आवश्यकता है कि सामाजिक संगठनों प्रशासनिक तंत्र की मदद से मिलजुल कर प्रयास करें ताकि समाज को बंधुआ मजदूरी और बाल विवाह बाल मजदूरी और मानव तस्करी से मुक्त किया जाए सके"

ये भी पढ़ें-मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर्स नहीं करेंगे प्राइवेट प्रैक्टिस



मानव तस्करी रोकने छत्तीसगढ़ सरकार कर रही है काम : मानव तस्करी रोकने के लिए सरकार जिले के हर मुख्यालय में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट बनाया गया.लगातार यह सेल प्रदेश में मानव तस्करी को रोकने के लिए काम कर रहा है. इसे साथ ही समय-समय पर एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट पुलिस एवं अन्य विभागों के संबंधित अधिकारियों को प्रशिक्षण और सेमिनार आयोजित करता है. इसके साथ ही मानव तस्करी के अपराधों का रिकॉर्ड और अन्य राज्यों से समन्वय स्थापित करने का भी काम करता है.

मानव तस्करी के खिलाफ चलाया जा रहा जागरुकता अभियान: इसके साथ ही मानव तस्करी के विरोध समय-समय पर जन जागरूकता अभियान भी यूनिट के द्वारा किया जा रहा है.अक्टूबर 2022 में मानव तस्करी को रोकने और बचाव कार्य करने के लिए पुलिस मुख्यालय में पुलिस अधिकारियों का प्रशिक्षण किया गया था. पुलिस हर जिले में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट में नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की गई थी. प्रशिक्षण के दौरान यह जानकारी दी गई थी कि प्रदेश में मानव तस्करी के पीड़ितों को मुक्त कराने में छत्तीसगढ़ का प्रदर्शन देश में पहला है.

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