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SPECIAL : लॉकडाउन में गायब रहे पेट्स लवर्स, बेरोजगारी के कगार पर शॉपकीपर

लॉकडाउन के दौरान फिश एक्वेरियम और पेट शॉप संचालकों को भी भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है.ETV भारत की टीम ने राजधानी में पेट शॉप के संचालकों से बातचीत की और अनलॉक 1.0 के बाद व्यवसाय की क्या स्थिति है इसका जायजा लिया.

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Published : Jun 17, 2020, 12:13 AM IST

loss to pets shopkeepers
नहीं मिले खरीददार

रायपुर : कोरोना संकट की वजह से हुए लॉकडाउन के दौरान कई व्यवसाय प्रभावित हुए हैं. जिसमें पेट व्यवसाय भी शामिल है. दुकान संचालक कहते हैं कि सबसे बड़ी दिक्कत ट्रांसपोर्टेशन की है. बाहर से पेट्स नहीं आ रहे हैं, जब तक पेट बिकेगा नहीं, तब तक उनका खाना और एसेसीरीज लोग क्यों खरीदेंगे. जब नया डॉग का बच्चा बिकता है, तो उसके साथ फूड और एसेसीरीज भी बिकती है. ETV भारत की टीम ने राजधानी में पेट शॉप के संचालकों से बातचीत की और अनलॉक 1.0 के बाद व्यवसाय की क्या स्थिति है इसका जायजा लिया.

बेरोजगारी की कगार पर पेट्स शॉपकीपर

शहर के शंकर नगर इलाके में पेट शॉप का संचालन करने वाले विजय मंडला ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान व्यवसाय बहुत प्रभावित हुआ है. अचानक लॉकडाउन के चलते कैट के फूड बाहर से नहीं आ रहे थे, जिसके चलते परेशानियां हुईं, साथ ही कैट पालने वाले लोगों को भी दिक्कतें हुईं, अभी अनलॉक होने के बाद बाहर से पेट्स के फूड्स आने शुरू हो गए हैं.

परिवहन सबसे बड़ी समस्या

loss to pets shopkeepers
घाटे में पेट्स से जुड़े कारोबार

दुकानदार कहते हैं कि, ट्रांसपोर्टेशन बंद होने की वजह से बाहर से पेट्स नहीं आ रहे हैं, जब तक नया पेट्स बिकेगा नहीं तब तक उनका खाना और ऐसेसरीज लोग नहीं खरीदते हैं. जब नया डॉग का बच्चा बिकता है तो उसके साथ फूड और ऐसेसरीज भी बिकती है.पपीज सेलिंग की बात की जाए तो 100 फीसदी नुकसान हुआ है. अभी लॉकडाउन खुलने के बाद भी लोग दुकान नहीं पहुंच रहे हैं. आगे क्या होगा कुछ समझ नहीं आ रहा है.

loss to pets shopkeepers
फिश एक्वेरियम

पढ़ें-SPECIAL:कोरोना के इस मुश्किल समय में भी आत्मनिर्भर बन रही धमतरी की महिलाएं

बर्ड्स को घर में ही शिफ्ट करना पड़ा

फिश एक्वेरियम और पेट्स शॉप का व्यवसाय करने वाले अनिल सिंह ने बताया कि लाकडॉउन के दौरान भी परेशानी हुई अब लॉकडाउन खुलने के बाद भी बिजनेस सही नहीं चल रहा है.बेसिक सप्लाई जो की कोलकाता से ज्यादा थी वह लिमिटेड ट्रेन चलने की वजह से नहीं हो पा रही है. कुछ ऑर्डर भी आ रहे हैं, लेकिन हम सप्लाई नहीं कर पा रहे हैं. सौमित्र ने बताया अचानक से लॉकडाउन होने के कारण शॉप में स्टॉक रखा हुआ था, उन्हें मेंटेन करना बेहद मुश्किल था. वहीं बर्ड्स को घर में ही शिफ्ट करना पड़ा.

loss to pets shopkeepers
पेट्स से जुड़े सामान

पढ़ें-SPECIAL: 400 बेड के आइसोलेशन वार्ड में बदला इंडोर स्टेडियम, योग और जिम की भी सुविधा

लॉकडाउन से पहले सारी चीजें आसानी से उपलब्ध होती थी और कहीं से भी चीजें मंगाई जा सकती थी लेकिन कोविड-19 के चलते ट्रांसपोर्टेशन भी प्रभावित हुआ है. अभी सामान मंगवा नहीं पा रहे हैं, कई प्रोडक्ट जो चाइना बेस्ड थे और जिनके पास उनका स्टॉक था वह भी रिटेलरओं को ज्यादा दामों में बेच रहे हैं, जिसके चलते काम प्रभावित हुआ है.

सरकार के नियमों ने बढ़ाई परेशानी

सौमित्र ने बताया कि सरकार की ओर से लॉकडाउन के दौरान पेट्स सेलिंग और इससे जुड़े व्यवसायियों के लिए नए नियम लाए गए. जिसके चलते बहुत सारी व्यवस्थाएं प्रभावित हो रही है.शॉपकीपर एक पेट को अपने बच्चे से भी ज्यादा प्यार करता है और उसकी देखभाल करता है. लेकिन सरकार ने इतने नियम उनपर थोप दिए हैं, कि वे आज बेरोजगार होने के कगार पर हैं.

रायपुर : कोरोना संकट की वजह से हुए लॉकडाउन के दौरान कई व्यवसाय प्रभावित हुए हैं. जिसमें पेट व्यवसाय भी शामिल है. दुकान संचालक कहते हैं कि सबसे बड़ी दिक्कत ट्रांसपोर्टेशन की है. बाहर से पेट्स नहीं आ रहे हैं, जब तक पेट बिकेगा नहीं, तब तक उनका खाना और एसेसीरीज लोग क्यों खरीदेंगे. जब नया डॉग का बच्चा बिकता है, तो उसके साथ फूड और एसेसीरीज भी बिकती है. ETV भारत की टीम ने राजधानी में पेट शॉप के संचालकों से बातचीत की और अनलॉक 1.0 के बाद व्यवसाय की क्या स्थिति है इसका जायजा लिया.

बेरोजगारी की कगार पर पेट्स शॉपकीपर

शहर के शंकर नगर इलाके में पेट शॉप का संचालन करने वाले विजय मंडला ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान व्यवसाय बहुत प्रभावित हुआ है. अचानक लॉकडाउन के चलते कैट के फूड बाहर से नहीं आ रहे थे, जिसके चलते परेशानियां हुईं, साथ ही कैट पालने वाले लोगों को भी दिक्कतें हुईं, अभी अनलॉक होने के बाद बाहर से पेट्स के फूड्स आने शुरू हो गए हैं.

परिवहन सबसे बड़ी समस्या

loss to pets shopkeepers
घाटे में पेट्स से जुड़े कारोबार

दुकानदार कहते हैं कि, ट्रांसपोर्टेशन बंद होने की वजह से बाहर से पेट्स नहीं आ रहे हैं, जब तक नया पेट्स बिकेगा नहीं तब तक उनका खाना और ऐसेसरीज लोग नहीं खरीदते हैं. जब नया डॉग का बच्चा बिकता है तो उसके साथ फूड और ऐसेसरीज भी बिकती है.पपीज सेलिंग की बात की जाए तो 100 फीसदी नुकसान हुआ है. अभी लॉकडाउन खुलने के बाद भी लोग दुकान नहीं पहुंच रहे हैं. आगे क्या होगा कुछ समझ नहीं आ रहा है.

loss to pets shopkeepers
फिश एक्वेरियम

पढ़ें-SPECIAL:कोरोना के इस मुश्किल समय में भी आत्मनिर्भर बन रही धमतरी की महिलाएं

बर्ड्स को घर में ही शिफ्ट करना पड़ा

फिश एक्वेरियम और पेट्स शॉप का व्यवसाय करने वाले अनिल सिंह ने बताया कि लाकडॉउन के दौरान भी परेशानी हुई अब लॉकडाउन खुलने के बाद भी बिजनेस सही नहीं चल रहा है.बेसिक सप्लाई जो की कोलकाता से ज्यादा थी वह लिमिटेड ट्रेन चलने की वजह से नहीं हो पा रही है. कुछ ऑर्डर भी आ रहे हैं, लेकिन हम सप्लाई नहीं कर पा रहे हैं. सौमित्र ने बताया अचानक से लॉकडाउन होने के कारण शॉप में स्टॉक रखा हुआ था, उन्हें मेंटेन करना बेहद मुश्किल था. वहीं बर्ड्स को घर में ही शिफ्ट करना पड़ा.

loss to pets shopkeepers
पेट्स से जुड़े सामान

पढ़ें-SPECIAL: 400 बेड के आइसोलेशन वार्ड में बदला इंडोर स्टेडियम, योग और जिम की भी सुविधा

लॉकडाउन से पहले सारी चीजें आसानी से उपलब्ध होती थी और कहीं से भी चीजें मंगाई जा सकती थी लेकिन कोविड-19 के चलते ट्रांसपोर्टेशन भी प्रभावित हुआ है. अभी सामान मंगवा नहीं पा रहे हैं, कई प्रोडक्ट जो चाइना बेस्ड थे और जिनके पास उनका स्टॉक था वह भी रिटेलरओं को ज्यादा दामों में बेच रहे हैं, जिसके चलते काम प्रभावित हुआ है.

सरकार के नियमों ने बढ़ाई परेशानी

सौमित्र ने बताया कि सरकार की ओर से लॉकडाउन के दौरान पेट्स सेलिंग और इससे जुड़े व्यवसायियों के लिए नए नियम लाए गए. जिसके चलते बहुत सारी व्यवस्थाएं प्रभावित हो रही है.शॉपकीपर एक पेट को अपने बच्चे से भी ज्यादा प्यार करता है और उसकी देखभाल करता है. लेकिन सरकार ने इतने नियम उनपर थोप दिए हैं, कि वे आज बेरोजगार होने के कगार पर हैं.

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