रायपुर: अमरूद की बागवानी छत्तीसगढ़ के किसान कैसे और किन किन जगहों पर कर सकते हैं. किसान अधिक पैदावार लेने के साथ ही अच्छा मुनाफा कमा सकें. इसके लिए छत्तीसगढ़ के तीन भौगोलिक कृषि क्षेत्र हैं, जहां पर किसान अमरूद की बागवानी करके अच्छा लाभ अर्जित कर सकते हैं. जिसमें अंबिकापुर का इलाका रायपुर का इलाका और बस्तर का पठारी क्षेत्र है. इन जगहों पर अमरूद की अच्छी बागवानी की जा सकती है. अधिक उत्पादन के लिए किसानों को ऑर्गेनिक खेती के लिए ललित किस्म इलाहाबाद सफेदा, लखनऊ 49, श्वेता अमरूद की इन प्रजातियों को लगाने से अच्छी पैदावार के साथ ही किसान अच्छा लाभ कमा सकते हैं.
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बारिश की समाप्ति और ठंड के शुरुआती दिनों में अमरुद की बागवानी करनी चाहिए: इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के फल वैज्ञानिक डॉ. घनश्याम दास साहू ने बताया कि "पूरे छत्तीसगढ़ के साथ ही दूसरे प्रदेशों में वीएनआर बीही इन किस्मों का चयन करके बहुत अच्छे से ऑर्गेनिक खेती करें. अमरूद में लगने वाले कीट प्रकोप से बचाव के लिए कैसे और किस तरह से रासायनिक दवाओं का छिड़काव करें. अमरूद की बागवानी करते समय किसानों को यह बात ध्यान में रखना चाहिए. इसकी बागवानी ठंड के समय करनी चाहिए. बारिश की समाप्ति के साथ ही ठंड की शुरुआत में अमरूद की बागवानी करना किसानों के लिए लाभदायक है.
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में अमरूद के 5 किस्म के 1600 पौधे लगाए गए: इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के फल वैज्ञानिक डॉ. घनश्याम दास साहू ने बताया कि "प्रदेश के किसानों को अमरूद के पौधों को लगाते समय इस बात विशेष ध्यान रखना होगा कि जिन जगहों पर अमरुद के पौधे लगे हैं, उन जगहों पर बारिश का पानी किसी भी हाल में ठहराव ना हो. नीम युक्त कीटनाशक दवा का छिड़काव करने से अमरूद के फलों को कीटों के प्रकोप से काफी हद तक बचाया जा सकता है. प्रदेश के किसानों को अमरूद की सघन बागवानी करनी चाहिए. इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में 1 एकड़ में अमरूद के 5 किस्म के लगभग 1600 पौधे लगाए गए हैं."