ETV Bharat / state

SPECIAL: कोरोना ने छीना हाउस मेड का रोजगार, काम और पैसों के लिए इंतजार - Maid upset due to corona and lockdown

कोरोना महामारी की दूसरी लहर और लॉकडाउन ने घरों में काम करने वाली सहायिकाओं की जिंदगी बेपटरी कर दी है. हाउस मेड के लिए अपना ही घर चलाना मुश्किल हो गया. रायपुर में धीरे-धीरे अनलॉक हो गया है. हाउस मेड काम पर लौट रही हैं. ETV भारत से बातचीत में उनका दर्द छलक गया.

maids in corona period
कोरोना और लॉकडाउन
author img

By

Published : Jun 8, 2021, 11:15 PM IST

रायपुर: कई घरों का काम जिनके बिना अधूरा रह जाता है, उनका 'काम' कोरोना महामारी ने ऐसा छीना कि वे एक-एक पैसे के लिए मजबूर हो गईं. कोविड-19 महामारी की पहली लहर के बाद जैसे-तैसे पटरी पर लौटती जिंदगी में कोरोना की दूसरी लहर ने मानो भूचाल ला दिया. धीरे-धीरे सामान्य होती लाइफस्टाइल के बाद लोगों ने घरों में काम करने वाली सहायिकाओं (House Maid) को फिर से बुलाना शुरू किया था. लेकिन सेकेंड वेव में वे फिर से घर बैठने को मजबूर हो गईं. हालांकि अब फिर कोरोना संक्रमित मरीज कम हो रहे हैं और लोगों ने एक बार फिर हाउस मेड को काम पर बुलाना शुरू किया है.

कोरोना और लॉकडाउन छीना हाउस मेड का रोजगार
कोरोना की वजह से राजधानी के घरों में झाड़ू-पोछा, बर्तन, कपड़े साफ करने वाली और खाना बनाने वाली सहायिकाओं को घर बिठा दिया था. सोनिया यादव बताती हैं कि जब से लॉकडाउन शुरू हुआ, उनका काम बंद हो गया. पहले वे चार से पांच घरों में काम करती थी लेकिन अब एक ही घर में रोजगार है. ऐसे में उन्हें रोजी-मजदूरी करनी पड़ रही है. वे कहती हैं कि उनके घर की स्थिति लॉकडाउन की वजह से खराब हो गई है. कभी दूसरे काम मिलते हैं, कभी नहीं मिलते ऐसे में उनका घर चलाना मुश्किल हो जाता है.

दूसरों को भोजन कराने वाले खुद हुए रोटी को मोहताज, कोरोना से कैटरर्स व्यवसाय को भारी नुकसान


'उधार लेकर चलाया काम'

सुशीला यादव बताती हैं कि वे जब दूसरे घरों में काम करने जाती हैं तो कोरोना के लिए जरूरी सभी साविधानियां रखती हैं. वे कहती हैं कि लॉकडाउन के दौरान उन्हें उधार लेना पड़ा. सरकार की तरफ से चावल मिल रहा था लेकिन 10 लोगों के परिवार में बहुत सी जरूरतें होती हैं, जिन्हें पूरा करना ही पड़ता है. सुशीला यादव बताती हैं उनके घर में बच्चे हैं इसलिए काम के दौरान सभी सावधानियां रखनी पड़ती हैं.

'लॉकडाउन में परिवार चलाना हुआ मुश्किल'

गंगा भूआर्य बताती हैं कि वे 4 घरों में फिलहाल काम कर रही हैं. लॉकडाउन में पैसों की बहुत दिक्कत हुई लेकिन थोड़े-थोड़े पैसों में एडजस्ट करना पड़ा. हालांकि जिनके घर उन लोगों ने काम किया, वहां से पैसे मिले. वे कहती हैं कि दूसरे के घर काम करने जाने पर डर तो लगता है कि कोरोना न हो जाए लेकिन काम तो करना पड़ा.

सावधान होकर घरों में काम करने आती हैं हाउस मेड

घरों में काम करने वाली सहायिकाओं को कोरोना के कारण कुछ सप्ताह तक घरों में नहीं बुलाया गया था. लेकिन अब धीरे-धीरे स्थितियां सामान्य होने के बाद फिर से काम करने वाली ने आना शुरू कर दिया है. वे सतर्क होकर घर आती हैं और पूरी गाइडलाइन का पालन करते हुए काम कर रही हैं. लॉकडाउन के दौरान जिनके घरों में वे काम करती हैं, उन लोगों ने उन्हें पैसा भी दिया. लता धुरंधर कहती हैं कि एक महीने उन लोगों ने अपने घरों में खुद को कैद कर लिया, क्योंकि संक्रमण का डर था लेकिन अब हाउस मेड वापस काम पर लौट आई हैं और सावधानी से अपना काम पूरा करती हैं.

उम्मीद करते हैं कि लॉकडाउन खत्म होने के साथ ही इन्हें पूरा काम और पैसे मिलें, जिससे हाउस मेड की जिंदगी फिर पटरी पर लौट आए.

रायपुर: कई घरों का काम जिनके बिना अधूरा रह जाता है, उनका 'काम' कोरोना महामारी ने ऐसा छीना कि वे एक-एक पैसे के लिए मजबूर हो गईं. कोविड-19 महामारी की पहली लहर के बाद जैसे-तैसे पटरी पर लौटती जिंदगी में कोरोना की दूसरी लहर ने मानो भूचाल ला दिया. धीरे-धीरे सामान्य होती लाइफस्टाइल के बाद लोगों ने घरों में काम करने वाली सहायिकाओं (House Maid) को फिर से बुलाना शुरू किया था. लेकिन सेकेंड वेव में वे फिर से घर बैठने को मजबूर हो गईं. हालांकि अब फिर कोरोना संक्रमित मरीज कम हो रहे हैं और लोगों ने एक बार फिर हाउस मेड को काम पर बुलाना शुरू किया है.

कोरोना और लॉकडाउन छीना हाउस मेड का रोजगार
कोरोना की वजह से राजधानी के घरों में झाड़ू-पोछा, बर्तन, कपड़े साफ करने वाली और खाना बनाने वाली सहायिकाओं को घर बिठा दिया था. सोनिया यादव बताती हैं कि जब से लॉकडाउन शुरू हुआ, उनका काम बंद हो गया. पहले वे चार से पांच घरों में काम करती थी लेकिन अब एक ही घर में रोजगार है. ऐसे में उन्हें रोजी-मजदूरी करनी पड़ रही है. वे कहती हैं कि उनके घर की स्थिति लॉकडाउन की वजह से खराब हो गई है. कभी दूसरे काम मिलते हैं, कभी नहीं मिलते ऐसे में उनका घर चलाना मुश्किल हो जाता है.

दूसरों को भोजन कराने वाले खुद हुए रोटी को मोहताज, कोरोना से कैटरर्स व्यवसाय को भारी नुकसान


'उधार लेकर चलाया काम'

सुशीला यादव बताती हैं कि वे जब दूसरे घरों में काम करने जाती हैं तो कोरोना के लिए जरूरी सभी साविधानियां रखती हैं. वे कहती हैं कि लॉकडाउन के दौरान उन्हें उधार लेना पड़ा. सरकार की तरफ से चावल मिल रहा था लेकिन 10 लोगों के परिवार में बहुत सी जरूरतें होती हैं, जिन्हें पूरा करना ही पड़ता है. सुशीला यादव बताती हैं उनके घर में बच्चे हैं इसलिए काम के दौरान सभी सावधानियां रखनी पड़ती हैं.

'लॉकडाउन में परिवार चलाना हुआ मुश्किल'

गंगा भूआर्य बताती हैं कि वे 4 घरों में फिलहाल काम कर रही हैं. लॉकडाउन में पैसों की बहुत दिक्कत हुई लेकिन थोड़े-थोड़े पैसों में एडजस्ट करना पड़ा. हालांकि जिनके घर उन लोगों ने काम किया, वहां से पैसे मिले. वे कहती हैं कि दूसरे के घर काम करने जाने पर डर तो लगता है कि कोरोना न हो जाए लेकिन काम तो करना पड़ा.

सावधान होकर घरों में काम करने आती हैं हाउस मेड

घरों में काम करने वाली सहायिकाओं को कोरोना के कारण कुछ सप्ताह तक घरों में नहीं बुलाया गया था. लेकिन अब धीरे-धीरे स्थितियां सामान्य होने के बाद फिर से काम करने वाली ने आना शुरू कर दिया है. वे सतर्क होकर घर आती हैं और पूरी गाइडलाइन का पालन करते हुए काम कर रही हैं. लॉकडाउन के दौरान जिनके घरों में वे काम करती हैं, उन लोगों ने उन्हें पैसा भी दिया. लता धुरंधर कहती हैं कि एक महीने उन लोगों ने अपने घरों में खुद को कैद कर लिया, क्योंकि संक्रमण का डर था लेकिन अब हाउस मेड वापस काम पर लौट आई हैं और सावधानी से अपना काम पूरा करती हैं.

उम्मीद करते हैं कि लॉकडाउन खत्म होने के साथ ही इन्हें पूरा काम और पैसे मिलें, जिससे हाउस मेड की जिंदगी फिर पटरी पर लौट आए.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.