रायपुर: वित्त मंत्री के तौर पर सीएम भूपेश बघेल अपने कार्यकाल का दूसरा बजट पेश करेंगे. इस बजट से प्रदेश के किसानों ने बहुत उम्मीद लगा रखी है. कांग्रेस सरकार ने किसानों से बड़े वादे किए हैं. हालांकि धान के समर्थन मूल्य और खरीदी में बदइंतजामी को लेकर किसानों ने सड़क पर प्रदर्शन भी किया. ऐसे में किसानों के हित में कैसा हो सकता है राज्य का बजट इस पर हमने चर्चा की जाने-माने किसान और कृषि अर्थव्यवस्था के जानकार डॉक्टर राजाराम त्रिपाठी से.
पहला सवाल - राज्य के किसानों के हित में भूपेश सरकार के बजट में क्या प्रावधान होना चाहिए ?
उत्तर- ये सरकार किसानों की सरकार है. इस सरकार को प्रचंड बहुमत भी किसानों की उम्मीदों के बदौलत ही मिली है. ऐसे में भूपेश सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है कि वे किसानों के लिए बेहतर से बेहतर माहौल बनाएं. उन्हें उच्च गुणवत्ता वाले बीज, खाद और बाजार उपलब्ध कराए.
दूसरा सवाल- छत्तीसगढ़ में हर्बल खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार क्या कदम उठा सकती है ?
उत्तर- छत्तीसगढ़ वन बाहुल्य वाला राज्य है, यहां प्राकृतिक रूप से जड़ी बूटियों का भंडार है. ऐसे में यहां सरकार धान की खेती के साथ ही उच्च मूल्य देने वाली जड़ी बूटी और सुगंधित पौधे, मसालों की खेती को बढ़ावा देने का प्रावधान करे. इससे प्रदेश के किसानों को और ज्यादा लाभ हो सकता है. इसके लिए सरकार को सबसे पहले छत्तीसगढ़ राज्य औषधीय प्लांट बोर्ड को पुनर्जिवित करने की जरूरत है.
तीसरा सवाल- युवाओं को कृषि से जोड़ने के लिए सरकार किस तरह सहयोग कर सकती है. साथ ही कृषि के क्षेत्र में स्टार्टअप करने वालों को सरकार कैसे मदद कर सकती है ?
उत्तर- सरकार को समझना होगा कि छत्तीसगढ़ युवाओं का प्रदेश है. अगर हम इस युवा शक्ति को कृषि के क्षेत्र में लगा दें तो आने वाले चार से पांच सालों में सकारात्मक परिणाम देखने को मिल सकता है. इस प्रदेश में कृषि योग्य 13 लाख 84 हजार हेक्टेयर जमीन खाली पड़ी है. इन जमीनों को स्टार्टअप करने वाले युवाओं को देते हैं. तो क्रांतिकारी बदलाव देखने को मिल सकता है. इसके तहत सरकार जैविक खेती को भी बढ़ावा दे सकती है. किसान आयोग का गठन होना चाहिए. साथ ही इस बजट में उसके लिए राशि का प्रावधान भी होना चाहिए.
चौथा सवाल- हर्बल कृषि करने वाले किसानों को ऋण नहीं मिल पा रहा है. सरकार को इस संबंध में क्या सुझाव देना चाहेंगे ?
उत्तर- आज हालात ये है कि प्रदेश में गैर परंपरागत तरीके से खेती करने वाले किसी भी किसान को ऋण नहीं मिल पा रहा है. जबकी हर्बल खेती , मसालों की खेती से किसान ज्यादा मुनाफा कमा सकता है. सरकार को चाहिए कि इस दिशा में नवाचार कर रहे किसानों के साथ ही इसके प्रसंस्करण करने वाले उद्यमियों को सहज ऋण उपलब्ध होने से काफी बदलाव आ सकता है. उम्मीद है कि सरकार किसानों के भलाई में इन सुझावों की ओर जरूर ध्यान देगी. उम्मीद करते हैं कि भूपेश बघेल का बहीखाता किसानों की उम्मीद पर खरा उतरे.