रायपुर : होली से 8 दिन पहले होलाष्टक लगता है. फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से लेकर होलिका दहन तक के समय को होलाष्टक कहा जाता है. ऐसा माना जाता है कि इस समय किसी भी तरह का शुभ काम लाभदायक नहीं होता है. इस साल होलाष्टक 3 मार्च से शुरू हो रहा है जो 9 मार्च होलिका दहन के दिन तक रहेगा. सोमवार दोपहर 12.52 बजे से होलाष्टक लगेगा, लेकिन इसकी शुरूआत मंगलवार से मानी जाएगी.
पंडित अरुण शर्मा ज्योतिषाचार्य के मुताबिक होलाष्टक की शुरुआत वाले दिन ही भगवान शंकर ने कामदेव को भस्म कर दिया था. इस काल में हर दिन अलग-अलग ग्रह उग्र रूप में होते हैं.यही वजह है कि होलाष्टक में शुभ कार्य नहीं किया जाता, लेकिन जन्म और मृत्यु के बाद किए जाने वाले कार्य कर सकते हैं. होलाष्टक की अवधि भक्ति की शक्ति का प्रभाव बताती है. इस अवधि में तप करना ही अच्छा रहता है.
होलाष्टक की प्रथा
होलाष्टक शुरू होने पर एक पेड़ की शाखा काटकर उसे जमीन पर लगाते हैं. इसमें रंग-बिरंगे कपड़ों के टुकड़े बांध देते हैं. इसे भक्त प्रहलाद का प्रतीक माना जाता है. मान्यता यह भी है कि होली के पहले 8 दिनों तक विष्णु भक्त प्रहलाद को काफी यातनाएं दी गई थी. प्रहलाद को फाल्गुन शुक्ल पक्ष अष्टमी को ही हिरण्यकश्यप ने बंदी बना लिया था. लेकिन प्रहलाद विष्णु कृपा से हर बार बच गए.
होलाष्टक को माना जाता है अशुभ
होलिका ने अपने भाई हिरण्यकश्यप की परेशानी देख प्रहलाद को लेकर अग्नि में प्रवेश किया था. होलिका को ब्रह्मा ने अग्नि से ना जलने का वरदान दिया था, लेकिन अग्नि में प्रवेश करते ही प्रहलाद बच गए और होलिका अग्नि में समा गई. प्रहलाद की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने नरसिंह का अवतार लेकर हिरण्यकश्यप का वध किया.