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जानें क्या है कश्मीर का इतिहास और अनुच्छेद 370 - 72 वां गणतंत्र दिवस

साल 2021 में भारत अपना 72 वां गणतंत्र दिवस मना रहा है. इस मौके पर ETV भारत की इस रिपोर्ट में जानें क्या है कश्मीर का इतिहास और अनुच्छेद 370.

History of Kashmir and Article 370 in this report of ETV Bharat
कश्मीर का इतिहास और अनुच्छेद 370
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Published : Jan 26, 2021, 9:06 AM IST

Updated : Jan 26, 2021, 1:11 PM IST

भारत एक समृद्ध संस्कृति वाला देश है. अब भारत अपना 72 वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहा है. देश में कई राज्य हैं, जो भारत के सभी कानूनों का पालन करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. आइए अब जानते हैं कश्मीर का इतिहास क्या है और क्या है अनुच्छेद 370. इसके अलावा इस रिपोर्ट में कश्मीर के लिए सरदार वल्लभभाई पटेल की भूमिका.

जानें क्या है कश्मीर का इतिहास और अनुच्छेद 370

2019 में हटाया गया अनुच्छेद 370

आजादी के पहले, जवाहरलाल नेहरू की कैबिनेट में भी अनुच्छेद 370 का बिल था. उस समय 370 के पक्ष में सरदार वल्लभभाई पटेल, शमा प्रसाद मुखर्जी सहित नेता थे. यह ध्यान रखना जरुरी है कि आजादी के दौरान प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू ने कश्मीर के लिए कई बातें कहीं, जबकि सरदार वल्लभभाई पटेल ने कहा कि अन्य राज्यों के साथ विशेष काम किया जा रहा है. तीन राज्यों को दूसरे देश में विलय करने के लिए फैसला जवाहरलाल नेहरू ने सरदार वल्लभभाई पटेल की सलाह पर किया था या नहीं, ये कहा नहीं जा सकता.

पढें- ग्वालियर में आज भी है संविधान की मूल प्रति, 284 सदस्यों के हैं हस्ताक्षर

15 दिसंबर को भारतीय नेता कहा थें जब पंजाब सेना ने सीमा पार की. उसी समय एक आक्रमण किया जा सकता था, भारतीय सेना पर हमला किया जा सकता था, लेकिन उस समय, जवाहरलाल नेहरू के दृष्टिकोण के मुताबिक ऐसा हो सकता था.

क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक

राजनीतिक विश्लेषक के मुताबिक सरदार वल्लभभाई पटेल और जवाहरलाल नेहरू ने कश्मीर के मुद्दों और आंतरिक पहलुओं पर मतभेद के बावजूद देश में जम्मू और कश्मीर के मुद्दे पर एक साथ काम किया, जिसने उस समय जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा दिया और साथ ही वास्तविक मुद्दों पर बातचीत के दौरान उनके वरिष्ठ सहयोगियों द्वारा आयंगर और शेख अब्दुल्ला के साथ कई महीनों तक चला.

पढ़ें- 'प्रस्तावना' संविधान की आत्मा, हम भारत के लोग...

वर्तमान कश्मीर लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बन रहा है

कश्मीर पर्यटन के लिए एक लोकप्रिय गंतव्य बन गया है क्योंकि लंबे समय से विकास कार्य चल रहे हैं और इसे केंद्र सरकार ने एक विशेष दर्जा दिया है. यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि जवाहरलाल नेहरू ने अपने मंत्रिमंडल में एक अनुच्छेद प्रस्तुत किया था. उसी से अनुच्छेद 370 को हटाने के काम पर चर्चा की जा रही है.

सरदार वल्लभभाई पटेल की दूरदर्शिता और सरदार वल्लभभाई पटेल से प्राप्त तीन और दशकों पुरानी समस्या के साथ, साल 2019 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में अनुच्छेद 370 को हटाने का निर्णय लिया गया. यह एक संवेदनशील क्षेत्र है, लेकिन समर्थन के साथ और जम्मू और कश्मीर के साथ-साथ लद्दाख क्षेत्र में सरदार पटेल के सपनों को पूरा करने और उन्हें पूरा करने का आत्मविश्वास होगा.

भारत एक समृद्ध संस्कृति वाला देश है. अब भारत अपना 72 वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहा है. देश में कई राज्य हैं, जो भारत के सभी कानूनों का पालन करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. आइए अब जानते हैं कश्मीर का इतिहास क्या है और क्या है अनुच्छेद 370. इसके अलावा इस रिपोर्ट में कश्मीर के लिए सरदार वल्लभभाई पटेल की भूमिका.

जानें क्या है कश्मीर का इतिहास और अनुच्छेद 370

2019 में हटाया गया अनुच्छेद 370

आजादी के पहले, जवाहरलाल नेहरू की कैबिनेट में भी अनुच्छेद 370 का बिल था. उस समय 370 के पक्ष में सरदार वल्लभभाई पटेल, शमा प्रसाद मुखर्जी सहित नेता थे. यह ध्यान रखना जरुरी है कि आजादी के दौरान प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू ने कश्मीर के लिए कई बातें कहीं, जबकि सरदार वल्लभभाई पटेल ने कहा कि अन्य राज्यों के साथ विशेष काम किया जा रहा है. तीन राज्यों को दूसरे देश में विलय करने के लिए फैसला जवाहरलाल नेहरू ने सरदार वल्लभभाई पटेल की सलाह पर किया था या नहीं, ये कहा नहीं जा सकता.

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15 दिसंबर को भारतीय नेता कहा थें जब पंजाब सेना ने सीमा पार की. उसी समय एक आक्रमण किया जा सकता था, भारतीय सेना पर हमला किया जा सकता था, लेकिन उस समय, जवाहरलाल नेहरू के दृष्टिकोण के मुताबिक ऐसा हो सकता था.

क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक

राजनीतिक विश्लेषक के मुताबिक सरदार वल्लभभाई पटेल और जवाहरलाल नेहरू ने कश्मीर के मुद्दों और आंतरिक पहलुओं पर मतभेद के बावजूद देश में जम्मू और कश्मीर के मुद्दे पर एक साथ काम किया, जिसने उस समय जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा दिया और साथ ही वास्तविक मुद्दों पर बातचीत के दौरान उनके वरिष्ठ सहयोगियों द्वारा आयंगर और शेख अब्दुल्ला के साथ कई महीनों तक चला.

पढ़ें- 'प्रस्तावना' संविधान की आत्मा, हम भारत के लोग...

वर्तमान कश्मीर लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बन रहा है

कश्मीर पर्यटन के लिए एक लोकप्रिय गंतव्य बन गया है क्योंकि लंबे समय से विकास कार्य चल रहे हैं और इसे केंद्र सरकार ने एक विशेष दर्जा दिया है. यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि जवाहरलाल नेहरू ने अपने मंत्रिमंडल में एक अनुच्छेद प्रस्तुत किया था. उसी से अनुच्छेद 370 को हटाने के काम पर चर्चा की जा रही है.

सरदार वल्लभभाई पटेल की दूरदर्शिता और सरदार वल्लभभाई पटेल से प्राप्त तीन और दशकों पुरानी समस्या के साथ, साल 2019 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में अनुच्छेद 370 को हटाने का निर्णय लिया गया. यह एक संवेदनशील क्षेत्र है, लेकिन समर्थन के साथ और जम्मू और कश्मीर के साथ-साथ लद्दाख क्षेत्र में सरदार पटेल के सपनों को पूरा करने और उन्हें पूरा करने का आत्मविश्वास होगा.

Last Updated : Jan 26, 2021, 1:11 PM IST
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