रायपुर : चेटीचंद सबसे लोकप्रिय सिंधी त्योहार है जो चैत्र महीने के चंद्रमा के बढ़ते चरण के दौरान मनाया जाता है. मुख्य त्योहार भगवान झूलेलाल और बहरानो की पूजा के साथ शुरू होता है. पुरुष सिंधी संगीत पर लोकनृत्य, चेज करते हैं. सिंधियों के समुद्र देवता- झूलेलाल संत की आरती करके पूजा की जाती है. यह जल के देवता वरुण देव की पूजा और धन्यवाद करने का भी दिन है.
कई नामों से जाना जाता है चेटीचंद : यह साईं उदेरोलाल या झूलेलाल का जन्मदिन समारोह है. इस दिन जल देवता, वरुण देवता ने सिंधियों की रक्षा के लिए साई उदेरोलाल के रूप में अवतार लिया था. जल देवता. साई उदेरोलाल, जिन्हें झूलेलाल के नाम से जाना जाता है.ये त्यौहार उनके जन्मदिन के सम्मान में चेटीचंद के रूप में मनाया जाता है.इस पर्व को 'झूलेलाल जयंती' के नाम से भी जाना जाता है.अनुयायी इस दिन को 'चलिहो साहब' के नाम से भी जानते हैं.
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कैसे हुआ झूलेलाल का जन्म : मिरखशाह नामक मुस्लिम राजा ने जब सिंध क्षेत्र में शासन किया तो उसने धर्म परिवर्तन कराना शुरु किया. राजा के अत्याचार से हारकर लोगों ने वरुण देव से प्रार्थना की.वरुण देवता के प्रति उनकी सच्ची भक्ति से खुश होकर वरुण देवता ने मछली पर बैठ कर अपने दिव्य दर्शन दिए और ठट्ठा नगरवासियों की समस्या सुनी. देवता ने कहा कि भक्तों तुम लोग बिलकुल ना घबराओं, मैं तुम्हारी सहायता के लिए नसरपुर में अपने भक्त रतनराय के घर माता देवकी के गर्भ से जन्म लूंगा. वचन के मुताबिक वरुण देव ने रतनराय के घर जन्म लिया. इसके बाद मिरखशाह के आतंक का खात्मा किया.