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महानदी विवाद पर जल ट्रिब्यूनल में सुनवाई आज, पानी बंटवारे को लेकर है विवाद

महानदी के पानी के बंटवारे को लेकर छत्तीसगढ़ और ओडिशा में कई सालों से विवाद चल रहा है. इसे लेकर ओडिशा सरकार दिसंबर 2016 में महानदी के पानी पर हक को लेकर अदालत गई थी और महानदी के ऊपरी हिस्से में छत्तीसगढ़ को प्रोजेक्ट्स पर निर्माण कार्य रोकने का आदेश देने की मांग की थी.

महानदी
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Published : Jul 13, 2019, 12:54 PM IST

Updated : Jul 13, 2019, 2:26 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ और ओडिशा के बीच महानदी के पानी को लेकर विवाद सुलझने का नाम नहीं ले रहा है. पानी विवाद को सुलझाने के लिए बनाये गए जल ट्रिब्यूनल में आज फिर से सुनवाई हो रही है. हालांकि 21 मार्च 2019 को ट्रिब्यूनल में हुई सुनवाई के बाद मामले में कोई हल नहीं निकल पाया.

महानदी के पानी के बंटवारे को लेकर छत्तीसगढ़ और ओडिशा में कई सालों से विवाद चल रहा है. इसे लेकर ओडिशा सरकार दिसंबर 2016 में महानदी के पानी पर हक को लेकर अदालत गई थी और महानदी के ऊपरी हिस्से में छत्तीसगढ़ को प्रोजेक्ट्स पर निर्माण कार्य रोकने का आदेश देने की मांग की थी. ये मामला साल 2018 का था, इसके बाद केंद्र सरकार से मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था. जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने मामला ट्रिब्यूनल को सौंपा दिया.

तीन सदस्यीय कमेटी कर रही है सुनवाई
मामले की सुनवाई के लिए ट्रिब्यूनल द्वारा तीन सदस्यों की कमेटी गठित की गई. इसमें जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस रवि रंजन और जस्टिस इंदरमीत कौर को शामिल किया गया है. ट्रिब्यूनल महानदी बेसिन में जल की कुल उपलब्धता के आधार पर नदी के तटीय क्षेत्रों के राज्यों में पानी की हिस्सेदारी सुनिश्चित करेगा. दोनों राज्यों के बीच हुए विवाद में ओडिशा ने आरोप लगाया है कि छत्तीसगढ़ सरकार महानदी के ऊपरी हिस्से पर बांध बना रहा है और इससे उसके किसानों को पानी नहीं मिल रहा है, जो नदी के पानी पर ही काफी हद तक निर्भर हैं.

छत्तीसगढ़ कर रहा ट्रिब्यूनल गठन का विरोध
वहीं छत्तीसगढ़ इस मामले में किसी भी तरह के ट्रिब्यूनल गठित किए जाने का विरोध कर रहा था. अक्टूबर 2016 में दोनों राज्यों के बीच इस मुद्दे को लेकर हुई बातचीत के विफल हो जाने पर ओडिशा ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. ओडिशा ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी याचिका में छत्तीसगढ़ को छह औद्योगिक बराज बनाने से रोकने का अनुरोध किया है. उसने छत्तीसगढ़ को उसके हिस्से से अधिक पानी के प्रयोग से रोकने का भी अनुरोध किया है.

रायपुर: छत्तीसगढ़ और ओडिशा के बीच महानदी के पानी को लेकर विवाद सुलझने का नाम नहीं ले रहा है. पानी विवाद को सुलझाने के लिए बनाये गए जल ट्रिब्यूनल में आज फिर से सुनवाई हो रही है. हालांकि 21 मार्च 2019 को ट्रिब्यूनल में हुई सुनवाई के बाद मामले में कोई हल नहीं निकल पाया.

महानदी के पानी के बंटवारे को लेकर छत्तीसगढ़ और ओडिशा में कई सालों से विवाद चल रहा है. इसे लेकर ओडिशा सरकार दिसंबर 2016 में महानदी के पानी पर हक को लेकर अदालत गई थी और महानदी के ऊपरी हिस्से में छत्तीसगढ़ को प्रोजेक्ट्स पर निर्माण कार्य रोकने का आदेश देने की मांग की थी. ये मामला साल 2018 का था, इसके बाद केंद्र सरकार से मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था. जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने मामला ट्रिब्यूनल को सौंपा दिया.

तीन सदस्यीय कमेटी कर रही है सुनवाई
मामले की सुनवाई के लिए ट्रिब्यूनल द्वारा तीन सदस्यों की कमेटी गठित की गई. इसमें जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस रवि रंजन और जस्टिस इंदरमीत कौर को शामिल किया गया है. ट्रिब्यूनल महानदी बेसिन में जल की कुल उपलब्धता के आधार पर नदी के तटीय क्षेत्रों के राज्यों में पानी की हिस्सेदारी सुनिश्चित करेगा. दोनों राज्यों के बीच हुए विवाद में ओडिशा ने आरोप लगाया है कि छत्तीसगढ़ सरकार महानदी के ऊपरी हिस्से पर बांध बना रहा है और इससे उसके किसानों को पानी नहीं मिल रहा है, जो नदी के पानी पर ही काफी हद तक निर्भर हैं.

छत्तीसगढ़ कर रहा ट्रिब्यूनल गठन का विरोध
वहीं छत्तीसगढ़ इस मामले में किसी भी तरह के ट्रिब्यूनल गठित किए जाने का विरोध कर रहा था. अक्टूबर 2016 में दोनों राज्यों के बीच इस मुद्दे को लेकर हुई बातचीत के विफल हो जाने पर ओडिशा ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. ओडिशा ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी याचिका में छत्तीसगढ़ को छह औद्योगिक बराज बनाने से रोकने का अनुरोध किया है. उसने छत्तीसगढ़ को उसके हिस्से से अधिक पानी के प्रयोग से रोकने का भी अनुरोध किया है.

Intro:महानदी के पानी को लेकर विवाद सुलझाने के लिए बनाए गए जल ट्रिब्यूनल में आज सुनवाई होगी. महानदी के पानी के बंटवारे को लेकर छत्तीसगढ़ और ओडिशा में विवाद की स्थिति है. ओडिशा सरकार दिसंबर 2016 में महानदी के पानी पर हक को लेकर अदालत गई थी और महानदी के ऊपरी हिस्से में छत्तीसगढ़ को प्रोजेक्ट्स पर निर्माण कार्य रोकने का आदेश देने की मांग की थी.

Body:ये मामला साल 2018 में ये मामला केंद्र सरकार से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने मामला ट्रिब्यूनल को सौंपा. मामले की सुनवाई के लिए ट्रिब्यूनल द्वारा तीन सदस्यों की कमेटी गठित की गई है, इसमें जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस रवि रंजन और जस्टिस इंदरमीत कौर हैं. ट्रिब्यूनल महानदी बेसिन में जल की कुल उपलब्धता के आधार पर नदी के तटीय क्षेत्रों के राज्यों में पानी की हिस्सेदारी सुनिश्चित करेगा.

Conclusion:21 मार्च 2019 को भी ट्रिब्यूनल ने सुनवाई की थी लेकिन कोई हल नहीं निकल पाया. साल 2018 में इस समस्या का हल निकालने की कोशिशें हुईं, लेकिन दोनों ही राज्य की सरकार इस पर कोई हल नहीं निकाल सकीं.
Last Updated : Jul 13, 2019, 2:26 PM IST
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