रायपुर: 6 महीने के लिए कोरोना ड्यूटी में रखे गए कर्मचारियों और अधिकारियों को अब काम से निकाल दिया गया है. कोरोना काल में जान की बाजी लगाकर लोगों की सेवा करने वाले कोरोना वॉरियर्स अपनी नौकरी बचाने के लिए राजधानी में प्रदर्शन कर रहे हैं. सरकार के प्रति उनका गुस्सा भी आज फूटा है.
उग्र आंदोलन की चेतावनी
स्वास्थ्य विभाग के इन कर्मचारियों में गुस्सा देखा गया. नियमित करने की मांग को लेकर राजधानी में शनिवार को जोरदार प्रदर्शन हुआ है. दरअसल राज्य आपदा मोचन निधि अंतर्गत कार्यरत कर्मचारियों को 6 महीने के सेवा के बाद निकाल दिया गया. कर्मचारियों ने इसके विरोध में मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री के नाम तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा है. उन्होंने चेतावनी दी है कि मांगे पूरी नहीं होती तो 10 दिनों के बाद उग्र आंदोलन किया जाएगा.
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स्वास्थ्य विभाग के खिलाफ गुस्सा
राजधानी के बूढ़ा तालाब धरना स्थल पर स्वास्थ्य विभाग से निकाले गए कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया है. उनका कहना है कि हमने जान जोखिम में डालकर 6 महीने तक कोरोना मरीजों की सेवा की है. बावजूद इसके सरकार उन्हें स्वास्थ्य विभाग से निकाल रही है. जबकि वर्तमान में कोरोना संक्रमण बढ़ने लगा है.
कोरोना के बढ़ते केसों के बीच बंद कोविड सेंटर होंगे शुरू
स्वास्थ्य विभाग में कोविड अस्पताल आइसोलेशन सेंटर के साथ-साथ सैंपलिंग मॉनिटरिंग और मोबाइल टीम जैसे कार्यों को अधिकारी और कर्मचारियों के द्वारा पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ पूरा किया गया. लेकिन अब सरकार बजट का अभाव और दूसरे अन्य कारण बताकर इन्हें स्वास्थ्य विभाग से निकाल रही है.
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कुछ कर्मचारियों की सेवा समाप्त
कर्मचारियों का कहना है कि उनके कई साथी कोरोना पॉजिटिव हुए हैं. कई लोगों की मौत भी हुई है. कोरोना वॉरियर्स के रूप में काम कर रही महिलाओं का गर्भपात भी हुआ है. इन कर्मचारियों को स्वास्थ्य विभाग की ओर से 31 मार्च को सेवा समाप्त करने का अल्टीमेटम मिला है. कुछ कर्मचारियों का 28 फरवरी को सेवा समाप्त कर दिया गया.