रायपुरः स्वास्थ मंत्री टीएस सिंहदेव ने गुरुवार को स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और मेडिकल कॉलेजों के विशेषज्ञों से पोस्ट कोविड मैनेजमेंट पर विचार-विमर्श किया. उन्होंने कोरोना की संभावित तीसरी लहर की चुनौतियों से निपटने के लिए पुख्ता तैयारी के निर्देश दिए. स्वास्थ्य मंत्री ने मेडिकल कॉलेजों के विशेषज्ञों से गर्भवती महिलाओं और बच्चों के इलाज के लिए विशेष व्यवस्था करने के आदेश दिए.
उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से एम्स रायपुर और प्रदेश के सभी 9 शासकीय मेडिकल कॉलेजों के विशेषज्ञों से चर्चा की. इस दौरान कोविड-19 के इलाज के बाद मरीजों को आ रही शारीरिक तकलीफों और इससे उत्पन्न स्थिति की समीक्षा कर इसके बेहतर प्रबंधन के निर्देश दिए. उन्होंने सभी मेडिकल कॉलेजों के विशेषज्ञों से कहा कि वे वर्तमान परिस्थितियों, कोविड मरीजों के इलाज, रिकवरी संबंधी तथ्यों और आंकड़ों का विश्लेषण कर बेहतर व्यवस्था बनाएं. स्वास्थ्य मंत्री ने सभी मेडिकल कॉलेजों के विशेषज्ञों से कोरोना मरीजों के इलाज, संक्रमित गर्भवती महिलाओं, बच्चों के उपचार, आईसीयू और वेंटिलेटर के उपयोग के बारे में महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए.
दूसरी लहर में पहली लहर की तुलना में अधिक मरीज मिले
स्वास्थ मंत्री ने कोविड-19 के उपचार संबंधी आंकड़ों और प्रोटोकॉल का अध्ययन कर इसके इलाज से जुड़ी भ्रांतियों और अफवाहों को दूर करने के लिए निर्देश दिए हैं. उन्होंने सभी मेडिकल कॉलेजों से पोस्ट कोविड मैनेजमेंट के लिए आवश्यक तैयारियों और संसाधनों की जानकारी मांगी है. टीएस सिंहदेव ने कहा कि कोविड-19 की दूसरी लहर के बारे में आम धारणा है कि इससे युवा सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं. उन्होंने कहा कि यदि पहली और दूसरी लहर के आंकड़ों को देखा जाए तो इससे प्रभावितों का पैटर्न लगभग एक जैसा है. भले ही अलग-अलग आयु वर्ग के कोरोना संक्रमितों की संख्या दूसरी लहर में पहली लहर की तुलना में अधिक है. उन्होंने कहा कि कोरोना मरीजों के इलाज में दवाइयों के उपयोग को लेकर भी अनेक भ्रांतियां हैं. कई दवाईयों का अनावश्यक बहुत ज्यादा उपयोग भी देखने में आया है. इनके दुष्प्रभाव भी मरीजों में दिख रहे हैं.
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कोरोना संक्रमितों के इलाज से जुड़े तथ्यों और आंकड़ों का विश्लेषण जरूरी
स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला ने बैठक में कहा कि कोरोना संक्रमितों के इलाज से जुड़े तथ्यों और आंकड़ों का गहराई से विश्लेषण जरूरी है. उन्होंने सभी मेडिकल कॉलेजों से कहा कि वे वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए पोस्ट कोविड मैनेजमेंट की अपनी व्यवस्थाओं को बेहतर करें. कोरोना से ठीक हुए लोगों की पोस्ट कोविड मैनेजमेंट के साथ इलाज और दवाईयों के उपयोग का मेडिकल ऑडिट किया जाना चाहिए. उन्होंने इसके लिए मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के साथ मिलकर मेडिकल ऑडिट टीम बनाने का सुझाव भी दिए. उन्होंने कहा कि कोरोना के इलाज में उपयोग की जा रही बहुत सी दवाइयां अभी प्रयोगात्मक (Experimental Drugs) स्तर पर है. इनका अनावश्यक उपयोग नहीं किया जाना चाहिए. इस संबंध में उन्होंने मेडिकल कॉलेजों के अधिष्ठाताओं से अपने विशेषज्ञों को निर्देशित करने के निर्देश दिए हैं.
रायपुर एम्स के निदेशक ने भी दिए सुझाव
एम्स रायपुर के निदेशक डॉ. नितिन एम नागरकर ने कहा कि कोविड-19 के प्रबंधन में प्रोटोकॉल का पालन जरूरी है. दवाइयों के दुष्प्रभाव और इसके प्रयोगात्मक चरण को देखते हुए इनका बहुत सावधानी से उपयोग किया जाना चाहिए. लंबे समय तक चलने वाले वायरस संक्रमण में नए-नए स्ट्रेन्स आते रहते हैं. इनके अनुरूप प्रोटोकॉल में बदलाव करना जरूरी है. उन्होंने गंभीर मरीजों के इलाज में वेंटिलेटर और आईसीयू की जरूरत को अहम बताया. इसके लिए प्रशिक्षित मेडिकल स्टॉफ की मांग भी की.