रायपुर : राजधानी रायपुर के ऐतिहासिक और प्राचीन मंदिरों में से एक महादेव घाट स्थित हटकेश्वरनाथ के धाम में सुबह से ही भक्तों की लंबी लाइन देखने को मिली. लोग घंटों लाइन में लगकर भगवान हटकेश्वरनाथ के दर्शन करने मंदिर तक पहुंचे. मंदिर में जल चढ़ाने के लिए अलग से व्यवस्था की गई है. देश के 12 ज्योतिर्लिंगों की तरह ही यहां का हटकेश्वरनाथ धाम भी प्रसिद्ध है. यह स्वयंभू शिवलिंग है. पर्व और त्योहार के समय हटकेश्वरनाथ धाम में दूरदराज से हजारों की तादाद में भक्त दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. महाशिवरात्रि पर्व को देखते हुए पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था भी लगाई गई हैं
शिव को प्रसन्न करने जुटे भक्त :महाशिवरात्रि के दिन भक्त पूरी श्रद्धा भाव के साथ भगवान भोलेनाथ को पूजा अर्चना कर अपनी मन्नत और मनोकामना के लिए यहां पहुंचते हैं. महाशिवरात्रि के दिन लोग उपवास रहकर भगवान भोलेनाथ की श्रद्धा पूर्वक पूजा अर्चना करते हैं. आज के दिन भगवान को बेलपत्र, धतूरा, कनेर के फूल, दूध, दही और जल अर्पित करके विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है. भक्तों का मानना है कि जो भी भक्त पूरी भक्ति भाव से मन्नत या मनोकामना लेकर आते हैं, उनकी मनोकामना भगवान हटकेश्वरनाथ के धाम में जरूर पूरी होती है.
महाशिवरात्रि के दिन होता है विशेष आयोजन : खारून नदी के तट पर हटकेश्वर नाथ धाम में माघी पूर्णिमा, कार्तिक पूर्णिमा, सावन का महीना और महाशिवरात्रि के समय दूरदराज से हजारों की तादाद में भक्त भगवान भोलेनाथ का दर्शन करने पहुंचते हैं. ऐसा भी कहा जाता है कि देश के 12 ज्योतिर्लिंगों की तरह यह भी अपनी तरह का एक ज्योतिर्लिंग है. यह स्वयंभू शिवलिंग है. हटकेश्वरनाथ धाम के नाम से अपनी पहचान रखने वाला यह मंदिर बहुत पुराना होने के साथ ही ऐतिहासिक मंदिरों में से एक है.
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किसने बनवाया था मंदिर : ऐसी मान्यता है कि हटकेश्वरनाथ का यह मंदिर बहुत पुराना होने के साथ ही ऐतिहासिक भी है. इस मंदिर की स्थापना 1402 ईस्वी में राजा ब्रह्मदेव ने पुत्र रत्न की प्राप्ति होने के बाद की थी . मंदिर के पास एक अखंड धूनी भी निरंतर जल रही है. इस अखंड धूनी की शुरुआत प्रथम पीढ़ी के महंत शिवगिरी ने तंत्र मंत्र से की थी. इस अखंड धूनी की राख से भगवान हटकेश्वरनाथ की पूजा अर्चना और आराधना की जाती है.
Mahashivratri 2023 : रायपुर के हटकेश्वरनाथ मंदिर में उमड़े श्रद्धालु
महाशिवरात्रि के अवसर पर छत्तीसगढ़ के शिवमंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ चुकी है.भक्त अपने भोलेनाथ के दर्शन और पूजा के लिए सुबह से ही लंबी कतारों में लगे हैं. रायपुर के हटकेश्वरनाथ मंदिर का नजारा भी कुछ ऐसा ही है.इस ऐतिहासिक मंदिर में पूजा अर्चना के लिए लंबी लाइन लगी.भक्तों को कष्ट ना हो इसके लिए मंदिर प्रबंधन ने जलाभिषेक के अलग से व्यवस्था कर रखी है.
रायपुर : राजधानी रायपुर के ऐतिहासिक और प्राचीन मंदिरों में से एक महादेव घाट स्थित हटकेश्वरनाथ के धाम में सुबह से ही भक्तों की लंबी लाइन देखने को मिली. लोग घंटों लाइन में लगकर भगवान हटकेश्वरनाथ के दर्शन करने मंदिर तक पहुंचे. मंदिर में जल चढ़ाने के लिए अलग से व्यवस्था की गई है. देश के 12 ज्योतिर्लिंगों की तरह ही यहां का हटकेश्वरनाथ धाम भी प्रसिद्ध है. यह स्वयंभू शिवलिंग है. पर्व और त्योहार के समय हटकेश्वरनाथ धाम में दूरदराज से हजारों की तादाद में भक्त दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. महाशिवरात्रि पर्व को देखते हुए पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था भी लगाई गई हैं
शिव को प्रसन्न करने जुटे भक्त :महाशिवरात्रि के दिन भक्त पूरी श्रद्धा भाव के साथ भगवान भोलेनाथ को पूजा अर्चना कर अपनी मन्नत और मनोकामना के लिए यहां पहुंचते हैं. महाशिवरात्रि के दिन लोग उपवास रहकर भगवान भोलेनाथ की श्रद्धा पूर्वक पूजा अर्चना करते हैं. आज के दिन भगवान को बेलपत्र, धतूरा, कनेर के फूल, दूध, दही और जल अर्पित करके विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है. भक्तों का मानना है कि जो भी भक्त पूरी भक्ति भाव से मन्नत या मनोकामना लेकर आते हैं, उनकी मनोकामना भगवान हटकेश्वरनाथ के धाम में जरूर पूरी होती है.
महाशिवरात्रि के दिन होता है विशेष आयोजन : खारून नदी के तट पर हटकेश्वर नाथ धाम में माघी पूर्णिमा, कार्तिक पूर्णिमा, सावन का महीना और महाशिवरात्रि के समय दूरदराज से हजारों की तादाद में भक्त भगवान भोलेनाथ का दर्शन करने पहुंचते हैं. ऐसा भी कहा जाता है कि देश के 12 ज्योतिर्लिंगों की तरह यह भी अपनी तरह का एक ज्योतिर्लिंग है. यह स्वयंभू शिवलिंग है. हटकेश्वरनाथ धाम के नाम से अपनी पहचान रखने वाला यह मंदिर बहुत पुराना होने के साथ ही ऐतिहासिक मंदिरों में से एक है.
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किसने बनवाया था मंदिर : ऐसी मान्यता है कि हटकेश्वरनाथ का यह मंदिर बहुत पुराना होने के साथ ही ऐतिहासिक भी है. इस मंदिर की स्थापना 1402 ईस्वी में राजा ब्रह्मदेव ने पुत्र रत्न की प्राप्ति होने के बाद की थी . मंदिर के पास एक अखंड धूनी भी निरंतर जल रही है. इस अखंड धूनी की शुरुआत प्रथम पीढ़ी के महंत शिवगिरी ने तंत्र मंत्र से की थी. इस अखंड धूनी की राख से भगवान हटकेश्वरनाथ की पूजा अर्चना और आराधना की जाती है.