रायपुर: बेरोजगारी और भुखमरी से परेशान होकर सीएम हाउस के बाहर आत्मदाह करने वाले हरदेव सिन्हा की मंगलावर देर रात इलाज के दौरान मौत हो गई है. युवक ने अपनी परेशानी के समाधान के लिए मुख्यमंत्री से मिलने का प्रयास किया था, लेकिन असफल रहने पर उसने आत्मदाह की कोशिश की थी. हरदेव का पिछले 24 दिनों से निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था.
केंद्रीय राज्यमंत्री रेणुका सिंह ने किया ट्वीट
हरदेव सिंह की मौत के बाद सरगुजा सांसद और केंद्रीय राज्यमंत्री रेणुका सिंह ने हैशटैग #JusticeForHardev के नाम से ट्वीट कर इंसाफ की मांग की है. उन्होंने कहा कि लाख कोशिशों के बाद भी आज हरदेव जीवन की लड़ाई हार गया.
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आख़िर हरदेव आज जीवन की लड़ाई हार गया. @bhupeshbaghel जी आपके द्वार पर प्रदेश के युवा ने खुद को आग लगा ली. आप जनता का विश्वास खो चुके हैं. मेरी मांग है कि हरदेव के परिवार को तत्काल आर्थिक मदद, उनकी पत्नी को नौकरी और बच्चों के शिक्षा की पूरी जिम्मेदारी सरकार ले. #JusticeForHardev pic.twitter.com/BbzrJwFa90
— Renuka Singh (@renukasinghbjp) July 22, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— Renuka Singh (@renukasinghbjp) July 22, 2020
बता दें कि सीएम हाउस के बाहर धमतरी के रहने वाले हरदेव ने खुद को आग लगा ली थी. हरदेव सीएम से मिलने पहुंचा था. मुख्यमंत्री से मुलाकात न होने पर उसने आत्मघाती कदम उठा लिया था. आनन-फानन में परिसर में मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने युवक पर कपड़ा और पानी डालकर आग बुझाने की कोशिश की थी, लेकिन जब तक आग पर काबू पाया जाता, युवक बुरी तरह झुलस गया था. हरदेव को इलाज के लिए अंबेडकर अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां से प्राथमिक उपचपार के बाद उसे एक निजी अस्पताल में रेफर कर दिया गया था.
29 जून को हरदेव ने सीएम हाउस के सामने खुदकुशी करने की कोशिश की थी. इस बीच हरदेव के मानसिक रूप से बीमार होने की बात सामने आई थी, लेकिन परिवार का कहना है कि उसका मानसिक संतुलन बिल्कुल ठीक है, वह बेरोजगारी से बेहद परेशान था. कई दिनों से घर में खाने को भी कुछ नहीं था.
हरदेव की पत्नी बसंती ने ETV भारत से बात करते हुए बताया था कि लॉकडाउन से पहले उनका परिवार सुखी से जीवनयापन कर रहा था, लेकिन लॉकडाउन के कारण काम छूट गया और हरदेव की आर्थिक स्थिति बिगड़ती चली गई. बसंती ने बताया कि महीनेभर पहले रोजगार गारंटी योजना के तहत उसे 4 सप्ताह और हरदेव को 12 दिनों तक काम मिला था, लेकिन उस दौरान कमाए पैसे खत्म हो गए, जिसके बाद कुछ दिनों तक काम मिलने की आस में परिवारवालों से उधार लेकर काम चलता रहा. जब काम मिलने की सभी उम्मीदें लगभग खत्म हो गईं, तो उसने ऐसा कदम उठा लिया.
घटना पर सियासत
इस घटना के बाद सियासत भी गरमाई हुई थी. विपक्ष ने सरकार से कई सवाल किए थे. पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने ट्वीट कर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से पूछा था कि राज्य की जनता हरदेव की इस दशा को आपकी विफलता माने या सफलता. इस घटना को लेकर नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा था कि यह प्रदेश के लिए दुर्भाग्यजनक घटना है. उन्होंने कहा कि सीएम हाउस के सुरक्षाकर्मियों के रहते ऐसी घटनाएं घटित होना बेहद दुखद है.
घटना की होगी जांच
हालांकि बीजेपी के इन सियासी बयानों के पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बयान जारी कर अपील की थी कि किसी को भी भावावेश में आकर ऐसा नकारात्मक कदम नहीं उठाना चाहिए. इतना ही नहीं सरकार ने इस घटना की दंडाधिकारी जांच के आदेश भी दे दिए थे. वहीं टीएस सिंहदेव ने भी ट्टीट के जरिए बेरोजगार युवाओं को संदेश देते हुए कहा कि राज्य सरकार अपने वादे निभाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है.