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guru ghasidas jayanti 2022 सत्य और अहिंसा का संदेश देने वाले बाबा गुरु घासीदास कौन थे, जानिए

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Published : Nov 28, 2022, 11:17 PM IST

guru ghasidas jayanti 2022 छत्तीसगढ़ में सतनाम समाज के लिए 18 दिसंबर का दिन काफी अहम होता है. इस दिन यहां बाबा गुरुघासी दास की जयंती मनाई जाती है. बाबा के अनुयायी दूर दूर से बलौदाबाजार स्थित गिरौदपुरी धाम में उनके दर्शन करने आते हैं.

guru ghasidas jayanti 2022
बाबा गुरु घासीदास

रायपुर: 'मनखे मनखे एक समान' और सत्य अहिंसा का संदेश जनता तक पहुंचाने वाले बाबा गुरु घासीदास की आज 266वीं जयंती है. जोंक नदी के संगम पर स्थित गिरौदपुरी धाम में जन्मे घासीदास बाबा ने सतनाम समाज की स्थपना की थी. हर साल 18 दिसंबर को सतनामी समाज द्वारा गुरु घासीदास बाबा की जयंती बड़े ही धूमधाम से मनाई जाती है. guru ghasidas jayanti 2022

गिरौदपुरी में हुआ था गुरु घासीदास का जन्म: 18 दिसंबर 1756 को कसडोल ब्लॉक के छोटे से गांव गिरौदपुरी में एक अनुसूचित जाति परिवार में बाबा गुरु घासीदास का जन्म हुआ था. गुरु घासीदास के पिता महंगूदास और माता अमरौतिन बाई थीं. घासीदास के जन्म के समय समाज में छुआछूत और भेदभाव चरम पर था. घासीदास ने समाज में व्याप्त बुराइयों को जब देखा, तब उन्होंने समाज से छुआछूत मिटाने के लिए 'मनखे मनखे एक समान' का संदेश दिया.

कैसे हुआ सतनामी समाज का उदय: जोंक नदी के संगम पर स्थित गिरौदपुरी धाम में जन्मे घासीदास को सतनामी समाज का जनक कहा जाता है. उन्होंने समाज को सत्य और अहिंसा के रास्ते पर चलने का उपदेश दिया. उन्होंने मांस और मदिरा सेवन को पूरी तरह से बंद करवा दिया था. उनके द्वारा दिये गए उपदेश को जिन्होंने अपनाया, उसी समाज को आगे चलकर सतनामी समाज के रूप में जाना जाने लगा.

यह भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस पर साहित्यकारों की राय

ये है मान्यता: माना जाता है कि गिरौदपुरी धाम में बुधारू नामक व्यक्ति को जब जहरीले सर्प ने काटा, तब बाबा ने उनके ऊपर जल छिड़ककर उनको दोबारा जीवित कर दिया था. इस चमत्कार के बाद समाज बाबा को भगवान की तरह पूजने लगा. मान्यता है कि बाबा को स्मरण कर जो मन्नत मांगी जाती है, उसे वे पूरा करते हैं. मन्नत पूरा होने पर श्रद्धालु जमीन में लोटते हुए उनके द्वार तक पहुंचते हैं.

घासीदास की जन्मस्थली गिरौदपुरी धाम: घासीदास की जन्मस्थली गिरौदपुरी धाम में हर साल उनके वंशज और अनुयायी मुख्य मंदिर में पालो चढ़ावा करते हैं. बाबा की वंदना पंथी नृत्य के माध्यम से होता है. गिरौदपुरी धाम में दिल्ली के कुतुबमीनार से भी ऊंचे श्वेत जैतखाम का निर्माण किया गया है. इस खूबसूरत जैतखाम की ऊंचाई 77 मीटर है. समाज के लोग दूर-दूर से छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले के गिरौदपुरी धाम (Giroudpuri Dham of balodabazar) बाबा के दर्शन करने आते हैं.

रायपुर: 'मनखे मनखे एक समान' और सत्य अहिंसा का संदेश जनता तक पहुंचाने वाले बाबा गुरु घासीदास की आज 266वीं जयंती है. जोंक नदी के संगम पर स्थित गिरौदपुरी धाम में जन्मे घासीदास बाबा ने सतनाम समाज की स्थपना की थी. हर साल 18 दिसंबर को सतनामी समाज द्वारा गुरु घासीदास बाबा की जयंती बड़े ही धूमधाम से मनाई जाती है. guru ghasidas jayanti 2022

गिरौदपुरी में हुआ था गुरु घासीदास का जन्म: 18 दिसंबर 1756 को कसडोल ब्लॉक के छोटे से गांव गिरौदपुरी में एक अनुसूचित जाति परिवार में बाबा गुरु घासीदास का जन्म हुआ था. गुरु घासीदास के पिता महंगूदास और माता अमरौतिन बाई थीं. घासीदास के जन्म के समय समाज में छुआछूत और भेदभाव चरम पर था. घासीदास ने समाज में व्याप्त बुराइयों को जब देखा, तब उन्होंने समाज से छुआछूत मिटाने के लिए 'मनखे मनखे एक समान' का संदेश दिया.

कैसे हुआ सतनामी समाज का उदय: जोंक नदी के संगम पर स्थित गिरौदपुरी धाम में जन्मे घासीदास को सतनामी समाज का जनक कहा जाता है. उन्होंने समाज को सत्य और अहिंसा के रास्ते पर चलने का उपदेश दिया. उन्होंने मांस और मदिरा सेवन को पूरी तरह से बंद करवा दिया था. उनके द्वारा दिये गए उपदेश को जिन्होंने अपनाया, उसी समाज को आगे चलकर सतनामी समाज के रूप में जाना जाने लगा.

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ये है मान्यता: माना जाता है कि गिरौदपुरी धाम में बुधारू नामक व्यक्ति को जब जहरीले सर्प ने काटा, तब बाबा ने उनके ऊपर जल छिड़ककर उनको दोबारा जीवित कर दिया था. इस चमत्कार के बाद समाज बाबा को भगवान की तरह पूजने लगा. मान्यता है कि बाबा को स्मरण कर जो मन्नत मांगी जाती है, उसे वे पूरा करते हैं. मन्नत पूरा होने पर श्रद्धालु जमीन में लोटते हुए उनके द्वार तक पहुंचते हैं.

घासीदास की जन्मस्थली गिरौदपुरी धाम: घासीदास की जन्मस्थली गिरौदपुरी धाम में हर साल उनके वंशज और अनुयायी मुख्य मंदिर में पालो चढ़ावा करते हैं. बाबा की वंदना पंथी नृत्य के माध्यम से होता है. गिरौदपुरी धाम में दिल्ली के कुतुबमीनार से भी ऊंचे श्वेत जैतखाम का निर्माण किया गया है. इस खूबसूरत जैतखाम की ऊंचाई 77 मीटर है. समाज के लोग दूर-दूर से छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले के गिरौदपुरी धाम (Giroudpuri Dham of balodabazar) बाबा के दर्शन करने आते हैं.

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