रायपुर: छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों मिड डे मील में अंडा दिए जाने को लेकर बवाल मचा हुआ है. इधर स्कूल स्कूल शिक्षा विभाग ने जिला कलेक्टरों को मध्याह्न भोजन के मेन्यू के संबंध में स्पष्टीकरण जारी किया गया है. जिसके मुताबिक अगले दो हफ्ते के अंदर शाला विकास समिति और पालकों की बैठक शाला स्तर पर आयोजित की जाएगी. अगर मीटिंग में मध्याह्न भोजन में अंडा दिए जाने को लेकर सहमति नहीं बनी तो सरकार घर-घर अंडे बांट सकती है.
पत्र में यह भी कहा गया है कि अगर पालकों की बैठक में मध्याह्न भोजन में अंडा दिए जाने के लिए आम सहमति न हो, तो ऐसी शालाओं में मिड डे मील के साथ अंडा न देकर घर पहुंचाया जाएगा. साथ ही दूसरे पौष्टिक आहारों पर भी विचार किया जा रहा है.
पत्र में क्या लिखा गया है-
- पत्र में कहा गया है कि विभाग के एक अन्य के तहत प्रोटीन और कैलोरी की पूर्ति के लिए मध्याह्न भोजन के साथ हफ्ते में कम से कम दो दिन अंडा या दूध या फिर दूध के समान पौष्टिक आहार दिए जाने का उल्लेख और सुझाव है. एक ही शाला में शाकाहारी, मांसाहारी छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं और एक साथ ही खाना खाते हैं इसलिए स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा सुझाव के क्रियान्वयन के संबंध में कलेक्टरों को स्पष्टीकरण जारी किया गया है.
- इस स्पष्टीकरण के तहत स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव ने कलेक्टरों को निर्देशित किया है कि आगामी दो हफ्ते में शाला विकास समिति एवं पालकों की बैठक शाला स्तर पर आयोजित कराई जाए. इस बैठक में ऐसे छात्र-छात्राओं को चिन्हित किया जाए जो मध्याह्न भोजन में अंडा नहीं खाना चाहते हैं. उनके लिए मिड डे मील तैयार करने के बाद अलग से अंडे से उबालने और पकाने के इंतजाम किए गए.
- इसके तहत जिन छात्र-छात्राओं को चिन्हित किया गया है, उन्हें मध्यान्ह भोजन के समय अलग लाइन में बैठाकर मध्याह्न भोजन परोसा जाए.
- पत्र में कहा गया है कि जिन शालाओं में अंडा वितरण किया जाना हो, वहां शाकाहारी छात्र-छात्राओं के लिए अन्य प्रोटीनयुक्त खाद्य पदार्थ और सुगंधित सोया दूध, सुगंधित मिल्क, प्रोटीन क्रंच, फोर्टिफाइड बिस्किट, फोर्टिफाइड सोयाबड़ी, सोया मूंगफल्ली चिकी, सोया पापड़, फोर्टिफाइड दाल इत्यादि विकल्प की व्यवस्था की जाए.