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political situation in Jharkhand राज्यपाल रमेश बैस का बयान, झारखंड में फूट सकता है एटम बम

political situation in Jharkhand झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने सोरेन के कैबिनेट सहयोगियों द्वारा झारखंड सरकार को अस्थिर करने के लिए प्रतिशोध के साथ काम करने का आरोप का जवाब दिया है. रमेश बैस ने कहा कि यदि ऐसा होता तो वे चुनाव आयोग की सिफारिश पर फैसला ले सकते थे.इस मसले के लिए उन्होंने दूसरी राय भी मांगी है.

राज्यपाल रमेश बैस का बयान, झारखंड में फूट सकता है एटम बम
राज्यपाल रमेश बैस का बयान, झारखंड में फूट सकता है एटम बम
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Published : Oct 27, 2022, 4:55 PM IST

Updated : Oct 27, 2022, 5:14 PM IST

रायपुर : लाभ के पद के मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Chief Minister Hemant Soren) को विधानसभा से अयोग्य ठहराने की भाजपा की याचिका के बाद, चुनाव आयोग ने 25 अगस्त को झारखंड के राज्यपाल को अपना फैसला भेजा था. जिससे राज्य में राजनीतिक संकट पैदा हो गया था.हालांकि चुनाव आयोग के फैसले को अभी तक आधिकारिक नहीं बनाया गया है, लेकिन चर्चा है कि चुनाव आयोग ने खनन पट्टे के संबंध में एक विधायक के रूप में मुख्यमंत्री की अयोग्यता की सिफारिश की (political situation in Jharkhand) है.

राज्यपाल ने कहा, "मैं एक संवैधानिक पद पर हूं और मुझे संविधान की रक्षा करनी है. किसी को भी मुझ पर यह कहते हुए उंगली नहीं उठानी चाहिए कि मैंने बदला लेने के लिए काम किया है, इसलिए मैंने दूसरी राय मांगी है."हालांकि, बैस ने चुनाव आयोग की सिफारिश और किससे उन्होंने दूसरी राय मांगी है, के बारे में विस्तार से नहीं बताया. यह पूछे जाने पर कि क्या दूसरी राय मिलने के बाद कोई बड़ा फैसला आएगा, राज्यपाल ने कहा,दिल्ली में पटाखे फोड़ने पर प्रतिबंध है लेकिन झारखंड में नहीं. हो सकता है कि वहां एक एटम बम फट जाए.''

15 अक्टूबर को, सीएम सोरेन ने कहा कि यह एक अभूतपूर्व मामला है जिसमें एक अपराधी या एक आरोपी सजा की गुहार लगा रहा है, जबकि संवैधानिक अधिकारियों को फैसला सुनाना चाहिए था, जो चुप हैं. मुख्यमंत्री भाजपा की एक याचिका के बाद लाभ के पद के मामले में राज्यपाल बैस को कथित चुनाव आयोग की सलाह के आधार पर एक विधायक के रूप में अपनी अयोग्यता की धमकियों का जिक्र कर रहे थे.

सोरेन सरकार ने पिछले महीने विधानसभा में विश्वास मत हासिल किया था, इस आशंका के बीच कि राज्य में झामुमो के नेतृत्व वाले शासन को नीचे लाने के लिए सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस के विधायकों को तोड़ा जा सकता है.

रायपुर : लाभ के पद के मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Chief Minister Hemant Soren) को विधानसभा से अयोग्य ठहराने की भाजपा की याचिका के बाद, चुनाव आयोग ने 25 अगस्त को झारखंड के राज्यपाल को अपना फैसला भेजा था. जिससे राज्य में राजनीतिक संकट पैदा हो गया था.हालांकि चुनाव आयोग के फैसले को अभी तक आधिकारिक नहीं बनाया गया है, लेकिन चर्चा है कि चुनाव आयोग ने खनन पट्टे के संबंध में एक विधायक के रूप में मुख्यमंत्री की अयोग्यता की सिफारिश की (political situation in Jharkhand) है.

राज्यपाल ने कहा, "मैं एक संवैधानिक पद पर हूं और मुझे संविधान की रक्षा करनी है. किसी को भी मुझ पर यह कहते हुए उंगली नहीं उठानी चाहिए कि मैंने बदला लेने के लिए काम किया है, इसलिए मैंने दूसरी राय मांगी है."हालांकि, बैस ने चुनाव आयोग की सिफारिश और किससे उन्होंने दूसरी राय मांगी है, के बारे में विस्तार से नहीं बताया. यह पूछे जाने पर कि क्या दूसरी राय मिलने के बाद कोई बड़ा फैसला आएगा, राज्यपाल ने कहा,दिल्ली में पटाखे फोड़ने पर प्रतिबंध है लेकिन झारखंड में नहीं. हो सकता है कि वहां एक एटम बम फट जाए.''

15 अक्टूबर को, सीएम सोरेन ने कहा कि यह एक अभूतपूर्व मामला है जिसमें एक अपराधी या एक आरोपी सजा की गुहार लगा रहा है, जबकि संवैधानिक अधिकारियों को फैसला सुनाना चाहिए था, जो चुप हैं. मुख्यमंत्री भाजपा की एक याचिका के बाद लाभ के पद के मामले में राज्यपाल बैस को कथित चुनाव आयोग की सलाह के आधार पर एक विधायक के रूप में अपनी अयोग्यता की धमकियों का जिक्र कर रहे थे.

सोरेन सरकार ने पिछले महीने विधानसभा में विश्वास मत हासिल किया था, इस आशंका के बीच कि राज्य में झामुमो के नेतृत्व वाले शासन को नीचे लाने के लिए सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस के विधायकों को तोड़ा जा सकता है.

Last Updated : Oct 27, 2022, 5:14 PM IST
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