रायपुर: छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके मंगलवार को महाराष्ट्र के पालघर में आदिवासी एकता परिषद् की ओर से आयोजित 27वें आदिवासी सांस्कृतिक एकता महासम्मेलन में शामिल हुईं. यहां उन्होंने सम्मेलन को संबोधित किया.
राज्यपाल ने कहा कि 'देश में जनजातीय समाज की संस्कृति-परम्पराओं का गौरवशाली इतिहास रहा है. हर प्रदेश की संस्कृति वहां की भौगोलिक स्थिति के मुताबिक अलग-अलग रही है. हमें अपने वैभवशाली इतिहास को जानना चाहिए'.
अधिकारों के लिए 5वीं अनुसूची: राज्यपाल
राज्यपाल ने कहा कि 'संविधान में आदिवासियों के अधिकारों के संरक्षण के लिए 5वीं अनुसूची सहित विभिन्न प्रावधान किए गए हैं. यह प्रयास किया जाए कि सभी को प्रावधानों का फायदा मिले. जनजाति क्षेत्रों में शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए एकलव्य विद्यालय स्थापित किए गए हैं. इसी तरह जनजातीय विश्वविद्यालय भी स्थापित किया जाना चाहिए'.
'विस्थापित आदिवासियों को मुआवजा मिलना चाहिए'
राज्यपाल ने कहा कि 'देश के विभिन्न क्षेत्रों में उद्योग और विभिन्न प्रोजेक्ट के कारण जहां-जहां भी आदिवासी विस्थापित किए गए हैं, उन्हें पर्याप्त मुआवजा दिया जाना चाहिए. साथ ही विधिवत विस्थापन भी होना चाहिए'. उन्होंने सभी विस्थापित किए गए जमीनों का डाटा बैंक बनाने का सुझाव दिया.
एकता में बहुत ताकत होती है: राज्यपाल
राज्यपाल ने कहा कि 'एकता में बहुत बड़ी ताकत होती है. जनजातीय परिषद जैसे संस्थाओं से आपको संरक्षण प्राप्त होता है. राज्यपालों के सम्मेलन में मैने सुझाव दिया गया था कि 'इसका अध्यक्ष गैर राजनीतिक व्यक्ति और जनजातीय समाज का होना चाहिए'. उन्होंने कहा कि 'मैं आपकी बेटी के रूप में यहां आई हूं'. उन्होंने आग्रह किया कि इस सम्मेलन की रिपोर्ट मुझे दें, 'मैं इस पर राष्ट्रपति और संबंधित राज्य के मुख्यमंत्री से चर्चा करूंगी'.
कैलेंडर का किया विमोचन
कार्यक्रम में राज्यपाल अनुसुइया उइके का आदिवासी एकता परिषद के महासम्मेलन में पहुंचने पर हार्दिक अभिनंदन किया गया. आदिवासी संस्कृति, कला और संगीत के माध्यम से उनका स्वागत किया गया. उइके ने जनजाति समाज के महापुरुषों की पूजा अर्चना की. इस अवसर पर कार्यक्रम की स्मारिका तथा गोंडी कैलेण्डर का विमोचन भी किया गया.