ETV Bharat / state

राज्यपाल ने शहीद वीर नारायण सिंह के परिवार को 2 लाख रुपए की आर्थिक मदद देने का एलान किया

राज्यपाल अनुसुइया उइके ने शहीद वीर नारायण सिंह को श्रद्धांजलि दी है. साथ ही उन्होंने शहीद वीर नारायण सिंह के परिवार को 2 लाख रुपए की आर्थिक सहायता देने की भी घोषणा की है. 10 दिसंबर 1857 को ब्रिटिश सरकार ने छत्तीसगढ़ के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी वीर नारायण सिंह को सरेआम तोप से उड़ा दिया था. जयस्तंभ चौक शहीद वीर नारायण सिंह की शहादत की याद में ही स्थापित किया गया है.

Governor Anusuiya Uikey
राज्यपाल ने शहीद वीर नारायण सिंह को दी श्रद्धांजलि
author img

By

Published : Dec 10, 2020, 1:56 PM IST

Updated : Dec 10, 2020, 2:44 PM IST

रायपुर: शहीद वीर नारायण सिंह के शहादत दिवस पर राज्यपाल अनुसुइया उइके ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है. जय स्तंभ चौक पहुंचकर राज्यपाल ने शहीद वीर नारायण सिंह को याद करते हुए पुष्पांजलि अर्पित की है. राज्यपाल अनुसूइया उईके ने शहीद वीर नारायण सिंह के परिवार को 2 लाख रुपए की आर्थिक सहायता देने की भी घोषणा की है.

राज्यपाल ने शहीद वीर नारायण सिंह को दी श्रद्धांजलि

राज्यपाल ने कहा कि ऐसी जानकारी मिली है कि, 'उनके परिवार की आर्थिक स्थिति सही नहीं है. ऐसी परिस्थिति में मैं उनके परिवार के लिए 2 लाख रुपए की आर्थिक मदद करने की घोषणा करती हूं.' जयस्तंभ चौक शहीद वीर नारायण सिंह की शहादत की याद में ही स्थापित किया गया है.

अमर रहेंगे शहीद वीर नारायण सिंह: राज्यपाल

राज्यपाल ने कहा कि वह चाहते थे कि प्रदेश की जनता खुशहाल रहे. इस प्रदेश की प्रगति हो. वह आदिवासी समाज के लिए ऐसे वीर पुरुष थे, जिन्होंने अंग्रेजों के साथ संघर्ष की लड़ाई लड़ी है. राज्यपाल ने कहा कि जिस तरह से उन्होंने अंग्रेजों के साथ लड़ाई लड़ी है, छत्तीसगढ़ की जनता के लिए संघर्ष किया है, वह हमेशा अमर रहेंगे.

पढ़ें: 10 दिसंबर को वीर नारायण सिंह का शहादत दिवस, जानिए उनके जीवन से जुड़े रोचक तथ्य

'जमींदारों का अनाज लूटकर गरीबों में बंटवाया था'

10 दिसंबर 1857 को ब्रिटिश सरकार ने छत्तीसगढ़ के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी वीर नारायण सिंह को सरेआम तोप से उड़ा दिया था. उनके बारे में एक किस्सा जो आज भी लोग याद करते हैं. उन्होंने जमींदारों से अनाज लूटकर गरीबों में बंटवा दिया था. 500 आदिवासियों की फौज बना कर अंग्रेजों की सेना से भिड़ गए थे. जमींदार परिवार में जन्म लेने वाले वीर नारायण चाहते तो अंग्रेजों के राज में आराम की जिंदगी गुजार सकते थे. लेकिन उन्होंने आजादी को चुना और लड़ते-लड़ते शहीद हो गए.

मजदूरी करके पेल पाल रहा है परिवार

वीर नारायण सिंह के वंशज राजेंद्र सिंह दीवान ने बताया कि एक तरफ शहीद वीर नारायण सिंह को छत्तीसगढ़ का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कहा जाता है. लेकिन आज तक प्रमाणित दस्तावेज के रूप में स्वीकार नहीं किया गया है. आज तक राजपत्र में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के रूप में वीर नारायण सिंह का उल्लेख नहीं मिलता है. आज शहीद के वंशजों कि स्थिति इतनी खराब है कि उनको अपने जीवन यापन के लिए दूसरों के घर में मजदूरी कर पेट पालना पड़ रहा है. सरकार की ओर से दी जाने वाली पेंशन भी उनकों नही मिल पा रही है.

पढ़ें: अंग्रेजों के छक्के छुड़ाने वाले शहीद वीर नारायण सिंह की कहानी

जारी हो चुका है स्टाम्प

वंशज बताते हैं कि मौजूदा कांग्रेस सरकार को जानकारी दी गई है. जो सम्मान वीर नारायण सिंह को मिलनी चाहिए और उनके वंशज को जो सुविधाएं मिलनी चाहिए थी. वो अभी तक नही मिल पाई हैं. ऐसे में उन्हें मदद की जरूरत है. बता दें शहीद वीर नारायण सिंह को श्रद्धांजलि देने के लिए उनकी 130वीं बरसी पर 1987 में सरकार ने 60 पैसे का स्टाम्प जारी किया था. जिसमें वीर नारायण सिंह को तोप के आगे बंधा दिखाया गया.

रायपुर: शहीद वीर नारायण सिंह के शहादत दिवस पर राज्यपाल अनुसुइया उइके ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है. जय स्तंभ चौक पहुंचकर राज्यपाल ने शहीद वीर नारायण सिंह को याद करते हुए पुष्पांजलि अर्पित की है. राज्यपाल अनुसूइया उईके ने शहीद वीर नारायण सिंह के परिवार को 2 लाख रुपए की आर्थिक सहायता देने की भी घोषणा की है.

राज्यपाल ने शहीद वीर नारायण सिंह को दी श्रद्धांजलि

राज्यपाल ने कहा कि ऐसी जानकारी मिली है कि, 'उनके परिवार की आर्थिक स्थिति सही नहीं है. ऐसी परिस्थिति में मैं उनके परिवार के लिए 2 लाख रुपए की आर्थिक मदद करने की घोषणा करती हूं.' जयस्तंभ चौक शहीद वीर नारायण सिंह की शहादत की याद में ही स्थापित किया गया है.

अमर रहेंगे शहीद वीर नारायण सिंह: राज्यपाल

राज्यपाल ने कहा कि वह चाहते थे कि प्रदेश की जनता खुशहाल रहे. इस प्रदेश की प्रगति हो. वह आदिवासी समाज के लिए ऐसे वीर पुरुष थे, जिन्होंने अंग्रेजों के साथ संघर्ष की लड़ाई लड़ी है. राज्यपाल ने कहा कि जिस तरह से उन्होंने अंग्रेजों के साथ लड़ाई लड़ी है, छत्तीसगढ़ की जनता के लिए संघर्ष किया है, वह हमेशा अमर रहेंगे.

पढ़ें: 10 दिसंबर को वीर नारायण सिंह का शहादत दिवस, जानिए उनके जीवन से जुड़े रोचक तथ्य

'जमींदारों का अनाज लूटकर गरीबों में बंटवाया था'

10 दिसंबर 1857 को ब्रिटिश सरकार ने छत्तीसगढ़ के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी वीर नारायण सिंह को सरेआम तोप से उड़ा दिया था. उनके बारे में एक किस्सा जो आज भी लोग याद करते हैं. उन्होंने जमींदारों से अनाज लूटकर गरीबों में बंटवा दिया था. 500 आदिवासियों की फौज बना कर अंग्रेजों की सेना से भिड़ गए थे. जमींदार परिवार में जन्म लेने वाले वीर नारायण चाहते तो अंग्रेजों के राज में आराम की जिंदगी गुजार सकते थे. लेकिन उन्होंने आजादी को चुना और लड़ते-लड़ते शहीद हो गए.

मजदूरी करके पेल पाल रहा है परिवार

वीर नारायण सिंह के वंशज राजेंद्र सिंह दीवान ने बताया कि एक तरफ शहीद वीर नारायण सिंह को छत्तीसगढ़ का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कहा जाता है. लेकिन आज तक प्रमाणित दस्तावेज के रूप में स्वीकार नहीं किया गया है. आज तक राजपत्र में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के रूप में वीर नारायण सिंह का उल्लेख नहीं मिलता है. आज शहीद के वंशजों कि स्थिति इतनी खराब है कि उनको अपने जीवन यापन के लिए दूसरों के घर में मजदूरी कर पेट पालना पड़ रहा है. सरकार की ओर से दी जाने वाली पेंशन भी उनकों नही मिल पा रही है.

पढ़ें: अंग्रेजों के छक्के छुड़ाने वाले शहीद वीर नारायण सिंह की कहानी

जारी हो चुका है स्टाम्प

वंशज बताते हैं कि मौजूदा कांग्रेस सरकार को जानकारी दी गई है. जो सम्मान वीर नारायण सिंह को मिलनी चाहिए और उनके वंशज को जो सुविधाएं मिलनी चाहिए थी. वो अभी तक नही मिल पाई हैं. ऐसे में उन्हें मदद की जरूरत है. बता दें शहीद वीर नारायण सिंह को श्रद्धांजलि देने के लिए उनकी 130वीं बरसी पर 1987 में सरकार ने 60 पैसे का स्टाम्प जारी किया था. जिसमें वीर नारायण सिंह को तोप के आगे बंधा दिखाया गया.

Last Updated : Dec 10, 2020, 2:44 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.