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राज्यपाल अनुसुइया उइके ने ली वन विभाग के अधिकारियों की बैठक, दिए कई दिशा-निर्देश - अनुसुइया उइके ने जारी किए निर्देश

राजभवन में राज्यपाल अनुसुइया उइके ने वन विभाग के अधिकारियों की बैठक ली. बैठक में तेंदूपत्ता संग्राहकों की बीमा योजना, छात्रवृत्ति योजना, बोनस राशि और अन्य विषयों की समीक्षा की. साथ ही अधिकारियों को जरूरी दिशा-निर्देश दिए.

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राज्यपाल अनुसुइया उइके
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Published : Jul 7, 2020, 2:21 PM IST

रायपुर: राज्यपाल अनुसुइया उइके ने राजभवन में वन विभाग के अधिकारियों की बैठक ली. तेंदूपत्ता संग्राहकों की बीमा योजना, छात्रवृत्ति योजना, बोनस राशि और अन्य विषयों की समीक्षा की. बैठक में वन विभाग के प्रधान मुख्य वन संरक्षक राकेश चतुर्वेदी, श्रम विभाग के सचिव सोनमणि बोरा और छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ के प्रबंध संचालक संजय शुक्ला उपस्थित थे.

राज्यपाल ने कहा कि तेंदूपत्ता संग्राहक परिवारों को अभी वर्तमान में किसी बीमा योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. उन्हें बीमा योजना का लाभ दिया जाए, ताकि उनके परिवार की सुरक्षा हो सके और अन्य परिस्थितियों में उन्हें सहायता मिल सके.

बोनस मिलने से तेंदूपत्ता संग्राहक परिवारों को मिलेगी मदद

राज्यपाल ने कहा कि संग्राहक परिवारों के बच्चों के लिए लंबित छात्रवृत्ति योजना की राशि के संबंध में मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए कार्य करना होगा और ऐसी व्यवस्था बनानी होगी कि बच्चों को छात्रवृत्ति की राशि सीधे और समय पर मिल सके, ताकि उनका अपनी पढ़ाई में उपयोग कर सकें. राज्यपाल ने तेंदूपत्ता संग्राहक परिवारों को लंबित प्रोत्साहन राशि (बोनस) के विषय पर चर्चा करते हुए कहा कि इस समय कोविड-19 के कारण तेंदूपत्ता संग्राहक परिवारों को भी अन्य आय का जरिया नहीं होने के कारण आर्थिक आवश्यकताएं हैं. बोनस मिलने से उनकी आवश्यकताएं पूरी होंगी. उन्होंने बोनस की राशि जल्द जारी करने के निर्देश दिए.

पढ़ें-SPECIAL: कोरोना काल में घर चलाना हुआ मुश्किल, मनरेगा ने भी दिखाया ठेंगा

आदिवासी अंचलों में नेटवर्क की दिक्कत

राज्यपाल अनुसुइया उइके ने बीजापुर, सुकमा जैसे क्षेत्रों में आदिवासियों द्वारा तेंदूपत्ता के पारिश्रमिक के नगद भुगतान किए जाने के विषय पर कहा कि उन क्षेत्रों में बैंकिंग प्रणाली मैदानी क्षेत्रों जैसी नहीं है. साथ ही वहां नेटवर्क की स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण सीधे खाते में भी राशि स्थानांतरित किए जाने में कठिनाई हो रही है. इसलिए आदिवासियों को जो व्यवस्था सुविधाजनक हो, उसके अनुरूप ही राशि प्रदान कि जाए. राज्यपाल ने उनके गोद लिए गए सल्फीपदर गांव में आवश्यक सुविधा मुहैया कराने के निर्देश दिए और कहा कि वन विभाग अन्य विभागों से समन्वय करके वहां के निवासियों की मांग पूरी करें. वहां पर आदिवासी जो काली मिर्च की खेती कर रहे हैं, उसके लिए आवश्यक सहयोग प्रदान करें.

रायपुर: राज्यपाल अनुसुइया उइके ने राजभवन में वन विभाग के अधिकारियों की बैठक ली. तेंदूपत्ता संग्राहकों की बीमा योजना, छात्रवृत्ति योजना, बोनस राशि और अन्य विषयों की समीक्षा की. बैठक में वन विभाग के प्रधान मुख्य वन संरक्षक राकेश चतुर्वेदी, श्रम विभाग के सचिव सोनमणि बोरा और छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ के प्रबंध संचालक संजय शुक्ला उपस्थित थे.

राज्यपाल ने कहा कि तेंदूपत्ता संग्राहक परिवारों को अभी वर्तमान में किसी बीमा योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. उन्हें बीमा योजना का लाभ दिया जाए, ताकि उनके परिवार की सुरक्षा हो सके और अन्य परिस्थितियों में उन्हें सहायता मिल सके.

बोनस मिलने से तेंदूपत्ता संग्राहक परिवारों को मिलेगी मदद

राज्यपाल ने कहा कि संग्राहक परिवारों के बच्चों के लिए लंबित छात्रवृत्ति योजना की राशि के संबंध में मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए कार्य करना होगा और ऐसी व्यवस्था बनानी होगी कि बच्चों को छात्रवृत्ति की राशि सीधे और समय पर मिल सके, ताकि उनका अपनी पढ़ाई में उपयोग कर सकें. राज्यपाल ने तेंदूपत्ता संग्राहक परिवारों को लंबित प्रोत्साहन राशि (बोनस) के विषय पर चर्चा करते हुए कहा कि इस समय कोविड-19 के कारण तेंदूपत्ता संग्राहक परिवारों को भी अन्य आय का जरिया नहीं होने के कारण आर्थिक आवश्यकताएं हैं. बोनस मिलने से उनकी आवश्यकताएं पूरी होंगी. उन्होंने बोनस की राशि जल्द जारी करने के निर्देश दिए.

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आदिवासी अंचलों में नेटवर्क की दिक्कत

राज्यपाल अनुसुइया उइके ने बीजापुर, सुकमा जैसे क्षेत्रों में आदिवासियों द्वारा तेंदूपत्ता के पारिश्रमिक के नगद भुगतान किए जाने के विषय पर कहा कि उन क्षेत्रों में बैंकिंग प्रणाली मैदानी क्षेत्रों जैसी नहीं है. साथ ही वहां नेटवर्क की स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण सीधे खाते में भी राशि स्थानांतरित किए जाने में कठिनाई हो रही है. इसलिए आदिवासियों को जो व्यवस्था सुविधाजनक हो, उसके अनुरूप ही राशि प्रदान कि जाए. राज्यपाल ने उनके गोद लिए गए सल्फीपदर गांव में आवश्यक सुविधा मुहैया कराने के निर्देश दिए और कहा कि वन विभाग अन्य विभागों से समन्वय करके वहां के निवासियों की मांग पूरी करें. वहां पर आदिवासी जो काली मिर्च की खेती कर रहे हैं, उसके लिए आवश्यक सहयोग प्रदान करें.

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