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छत्तीसगढ़ कृषि मंडी संशोधन विधेयक पर राज्यपाल का बड़ा बयान, 'कानूनी सलाह ले रहे हैं' - मंडी संशोधन विधेयक पर राज्यपाल का बयान

राज्यपाल अनुसुइया उइके ने कृषि मंडी संशोधन विधेयक पर अब तक हस्ताक्षर नहीं किए हैं. यह विधेयक भूपेश सरकार की ओर से विधानसभा के विशेष सत्र में पारित किया गया था.

Governor anusiya uike
राज्यपाल अनुसुइया उइके
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Published : Dec 10, 2020, 2:37 PM IST

Updated : Dec 10, 2020, 2:45 PM IST

रायपुर: राज्यपाल अनुसुइया उईके ने छत्तीसगढ़ कृषि उपज मंडी (संशोधन) विधेयक 2020 पर हस्ताक्षर नहीं करने को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि सारी चीजें एक नियम प्रक्रिया के तहत ही होती हैं. कृषि मंडी संशोधन विधेयक जिसे छत्तीसगढ़ सरकार ने लाया है. इसे लेकर हम कानूनी सलाह ले रहे हैं. उन्होंने कहा कि ये केंद्र का मामला है. इसे लेकर किसी भी तरह के आपसी क्लेश के हालात नहीं होना चाहिए. जैसे ही चीजें साफ हो जाएंगे तो इसमें किसी को दिक्कत नहीं होगी.

छत्तीसगढ़ कृषि मंडी संशोधन विधेयक पर राज्यपाल का बड़ा बयान

केंद्र सरकार की ओर से लाए गए कृषि बिल को लेकर कांग्रेस देशभर में विरोध कर रही है. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार ने इस बिल को लेकर विरोध किया है. अब राज्य सरकार किसानों के लिए मंडी संशोधन विधेयक को विधानसभा में पारित करवा लिया है. लेकिन इसके लिए राज्य सरकार की ओर से भेजे गए विधेयक पर राज्यपाल अनुसुईया उईके ने हस्ताक्षर नहीं किया है.

पढ़ें: SPECIAL: राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच टकराव! क्या कहते हैं संविधान विशेषज्ञ ?

सामने आ चुका है टकराव

डॉक्टर सुशील त्रिवेदी ने बताया कि संवैधानिक नियमों के तहत राज्यपाल, पारित विधेयक को एक बार राज्य सरकार को वापस भेज सकती है. इसके बाद यदि यह राज्य सरकार विधेयक उसे फिर से भेजे तो, राज्यपाल को विधेयक को मंजूर करना अनिवार्य हो जाता है. इसके अलावा राज्यपाल विधेयक को राष्ट्रपति को भेज कर उनका भी मत मिलने का इंतजार कर सकती हैं. कई मुद्दों पर राज्यपाल और सरकार के बीच टकराव सामने आ चुका है. विशेष सत्र बुलाने को लेकर, सचिव सोनमणि बोरा को हटाए जाने को लेकर भी राज्यपाल और राज्य सरकार आमने-सामने आ चुके हैं.

पढ़ें: जानिए क्या है छत्तीसगढ़ कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक 2020, राज्यपाल ने अब तक नहीं किए हैं बिल पर दस्तखत


आइए आपको बताते हैं कि छत्तीसगढ़ कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक 2020 में क्या खास है-

संशोधन विधेयक में किसान के हितों के लिए कई प्रावधान किए गए हैं. सबसे अहम प्रावधान मंडियों में फसल की बिक्री को लेकर है.

1- निजी मंडियों को डीम्ड मंडी घोषित किया जाएगा

कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने सदन में चर्चा के दौरान कहा था कि छत्तीसगढ़ में 80 फीसदी लघु और सीमांत किसान हैं. इन किसानों में कृषि उपज भंडारण और मोल-भाव की क्षमता नहीं होने से बाजार मूल्य के उतार-चढ़ाव और भुगतान के जोखिम को ध्यान में रखते हुए उनकी उपज की गुणवत्ता के आधार पर सही कीमत, सही तौल और समय पर भुगतान सुनिश्चित कराने के लिए डीम्ड मंडी और इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म की स्थापना करना जरूरी है, जो इस प्रावधान से संभव हो पाएगा.

2- राज्य सरकार के अधिसूचित अधिकारी को मंडी की जांच का अधिकार

राज्य में सभी मंडी खासकर डीम्ड मंडियों की जांच का अधिकार राज्य सरकार की तरफ से नियुक्त अधिकारी को होगा. वह मंडियों में सभी तरफ के ऑपरेशनल प्रक्रिया की जांच कर सकेगा.

3- अनाज की आवाजाही निरीक्षण में जब्ती का अधिकार

मंडियों में गड़बड़ी होने और अनाज को स्टोरेज कर लाने और ले जाने के दौरान अनियमितता होने पर अनाज की जब्ती का अधिकार भी मंडी से जुड़े अधिकारियों को दिया गया है.

4- निजी मंडियों में अधिकारियों को भंडारण की तलाशी का होगा अधिकार

सिर्फ सरकारी मंडियों में नहीं बल्कि निजी और डीम्ड मंडियों में भी भंडारण की तलाशी का अधिकार मंडी के अधिकारियों को दिया गया है, जिसका प्रावधान इस नए विधेयक में है.

5- मंडी समिति और अधिकारियों पर केस दायर करने का अधिकार

मंडी समिति पर नकेल कसने के लिए भी इस बिल में प्रावधान है. अगर मंडी में गड़बड़ी पाई जाती है, तो मंडी समिति और उससे जुड़े अधिकारियों पर केस दायर करने का अधिकार होगा.

6- इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म और ऑनलाइन भुगतान संचालन राज्य सरकार में बने नियम से होगा.

कृषि से जुड़े व्यापार और उससे जुड़े प्लेटफॉर्म पर ऑनलाइन भुगतान की व्यवस्था राज्य सरकार के बने नियमों से किया जाएगा.

7- सजा का भी प्रावधान

जानकारी छिपाने और गलत जानकारी देने पर 3 महीने की सजा या 5 हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान इसके अलावा दूसरी बार गलती होने पर 6 महीने की सजा और 10 हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान है.

रायपुर: राज्यपाल अनुसुइया उईके ने छत्तीसगढ़ कृषि उपज मंडी (संशोधन) विधेयक 2020 पर हस्ताक्षर नहीं करने को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि सारी चीजें एक नियम प्रक्रिया के तहत ही होती हैं. कृषि मंडी संशोधन विधेयक जिसे छत्तीसगढ़ सरकार ने लाया है. इसे लेकर हम कानूनी सलाह ले रहे हैं. उन्होंने कहा कि ये केंद्र का मामला है. इसे लेकर किसी भी तरह के आपसी क्लेश के हालात नहीं होना चाहिए. जैसे ही चीजें साफ हो जाएंगे तो इसमें किसी को दिक्कत नहीं होगी.

छत्तीसगढ़ कृषि मंडी संशोधन विधेयक पर राज्यपाल का बड़ा बयान

केंद्र सरकार की ओर से लाए गए कृषि बिल को लेकर कांग्रेस देशभर में विरोध कर रही है. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार ने इस बिल को लेकर विरोध किया है. अब राज्य सरकार किसानों के लिए मंडी संशोधन विधेयक को विधानसभा में पारित करवा लिया है. लेकिन इसके लिए राज्य सरकार की ओर से भेजे गए विधेयक पर राज्यपाल अनुसुईया उईके ने हस्ताक्षर नहीं किया है.

पढ़ें: SPECIAL: राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच टकराव! क्या कहते हैं संविधान विशेषज्ञ ?

सामने आ चुका है टकराव

डॉक्टर सुशील त्रिवेदी ने बताया कि संवैधानिक नियमों के तहत राज्यपाल, पारित विधेयक को एक बार राज्य सरकार को वापस भेज सकती है. इसके बाद यदि यह राज्य सरकार विधेयक उसे फिर से भेजे तो, राज्यपाल को विधेयक को मंजूर करना अनिवार्य हो जाता है. इसके अलावा राज्यपाल विधेयक को राष्ट्रपति को भेज कर उनका भी मत मिलने का इंतजार कर सकती हैं. कई मुद्दों पर राज्यपाल और सरकार के बीच टकराव सामने आ चुका है. विशेष सत्र बुलाने को लेकर, सचिव सोनमणि बोरा को हटाए जाने को लेकर भी राज्यपाल और राज्य सरकार आमने-सामने आ चुके हैं.

पढ़ें: जानिए क्या है छत्तीसगढ़ कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक 2020, राज्यपाल ने अब तक नहीं किए हैं बिल पर दस्तखत


आइए आपको बताते हैं कि छत्तीसगढ़ कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक 2020 में क्या खास है-

संशोधन विधेयक में किसान के हितों के लिए कई प्रावधान किए गए हैं. सबसे अहम प्रावधान मंडियों में फसल की बिक्री को लेकर है.

1- निजी मंडियों को डीम्ड मंडी घोषित किया जाएगा

कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने सदन में चर्चा के दौरान कहा था कि छत्तीसगढ़ में 80 फीसदी लघु और सीमांत किसान हैं. इन किसानों में कृषि उपज भंडारण और मोल-भाव की क्षमता नहीं होने से बाजार मूल्य के उतार-चढ़ाव और भुगतान के जोखिम को ध्यान में रखते हुए उनकी उपज की गुणवत्ता के आधार पर सही कीमत, सही तौल और समय पर भुगतान सुनिश्चित कराने के लिए डीम्ड मंडी और इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म की स्थापना करना जरूरी है, जो इस प्रावधान से संभव हो पाएगा.

2- राज्य सरकार के अधिसूचित अधिकारी को मंडी की जांच का अधिकार

राज्य में सभी मंडी खासकर डीम्ड मंडियों की जांच का अधिकार राज्य सरकार की तरफ से नियुक्त अधिकारी को होगा. वह मंडियों में सभी तरफ के ऑपरेशनल प्रक्रिया की जांच कर सकेगा.

3- अनाज की आवाजाही निरीक्षण में जब्ती का अधिकार

मंडियों में गड़बड़ी होने और अनाज को स्टोरेज कर लाने और ले जाने के दौरान अनियमितता होने पर अनाज की जब्ती का अधिकार भी मंडी से जुड़े अधिकारियों को दिया गया है.

4- निजी मंडियों में अधिकारियों को भंडारण की तलाशी का होगा अधिकार

सिर्फ सरकारी मंडियों में नहीं बल्कि निजी और डीम्ड मंडियों में भी भंडारण की तलाशी का अधिकार मंडी के अधिकारियों को दिया गया है, जिसका प्रावधान इस नए विधेयक में है.

5- मंडी समिति और अधिकारियों पर केस दायर करने का अधिकार

मंडी समिति पर नकेल कसने के लिए भी इस बिल में प्रावधान है. अगर मंडी में गड़बड़ी पाई जाती है, तो मंडी समिति और उससे जुड़े अधिकारियों पर केस दायर करने का अधिकार होगा.

6- इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म और ऑनलाइन भुगतान संचालन राज्य सरकार में बने नियम से होगा.

कृषि से जुड़े व्यापार और उससे जुड़े प्लेटफॉर्म पर ऑनलाइन भुगतान की व्यवस्था राज्य सरकार के बने नियमों से किया जाएगा.

7- सजा का भी प्रावधान

जानकारी छिपाने और गलत जानकारी देने पर 3 महीने की सजा या 5 हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान इसके अलावा दूसरी बार गलती होने पर 6 महीने की सजा और 10 हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान है.

Last Updated : Dec 10, 2020, 2:45 PM IST
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