ETV Bharat / state

अच्छे कर्मों से मिलता है अच्छा फल, समझें कर्मफल की क्रोनोलाजी

वैदिक पुराणों में कर्म का महत्व बहुत ज्यादा है. ऐसा माना जाता है कि इंसान जो भी कर्म करता है, उसे उसका फल जरुर मिलता है. अच्छे कर्मों का फल अच्छा मिलता है. वहीं बुरे कर्मों का फल इंसान को बुरा मिलता है.

Good deeds yield good results
कर्मफल की क्रोनोलाजी
author img

By

Published : May 2, 2023, 11:18 PM IST

कर्मफल की क्रोनोलाजी

रायपुर: अपने कर्म का फल व्यक्ति को भोगना ही पड़ता है. कर्म ही अगले जन्म को सुखद या दुखद बनाता है. अगले जन्म के भाग्य का निर्माण हमारा कर्मफल ही करता है. यदि हमारे कर्म अच्छे हैं तो शुभ फल मिलेंगे. अगर कर्म अच्छे नहीं है, तो अशुभ फल मिलेंगे. गरुड़ पुराण में व्यक्ति के कर्मों का क्या फल मिलेगा इसका विस्तार से विवेचन किया गया है. कौन से कर्म करने पर अगले जन्म में व्यक्ति क्या होगा, उसको अपने कर्म के फल का कष्ट कितना मिलेगा, क्या मिलेगा, किस प्रकार मिलेगा, इसका विस्तार से उल्लेख है. इसीलिए मृत्यु के पश्चात गरुड़ पुराण के पाठ को महत्वपूर्ण माना जाता है

कर्मों से होती है व्यक्ति की पहचान: ज्योतिष एवं वास्तुविद डॉक्टर महेंद्र कुमार ठाकुर ने बताया कि "गुरु आय का कारक है. 11वें घर उपलब्धियों का, शनि निम्न वर्ग से आता है. केतु आध्यात्म की ओर ले जाता है. यदि नवम भाव का संबंध गुरु से हो जाए तो अगले जन्म में व्यक्ति ब्राह्मण या उच्च कुल में पैदा होता है. शनि होने से निम्न वर्ग में पैदा होता है. केतु के होने से अध्यात्म की ओर और बुध के प्रभाव से व्यक्ति व्यापार की ओर अग्रसर होता है. शुक्र का संबंध होने से व्यक्ति सुविधा युक्त और अपनी कुछ इच्छाओं को भोगने के लिए जो बची रह जाती है."

दूसरों की भलाई ही सबसे बड़ा धर्म: ज्योतिष एवं वास्तुविद डॉक्टर महेंद्र कुमार ठाकुर ने बताया कि "व्यक्ति जब इस संसार में जन्म लेता है. व्यक्ति यदि सरल है, निश्चल है, समर्पण है, ईश्वर के प्रति लोगों की भलाई करता है, जनकल्याण करता है, परोपकार करता है. जैसा कि तुलसीदास जी ने कहा हैं कि परहित सरीस धरम नहि भाई परपीड़ा सम नहि अधमाई अर्थात दूसरे की भलाई से बढ़कर कोई बड़ा धर्म नहीं है, और और दूसरे को कष्ट देने से बढ़कर कोई अधर्म या पाप नहीं है. पूर्व में कही गई बातों का संबंध व्यक्ति की जाति से नहीं बल्कि उसके कर्म के आधार पर है. कोई भी कर्म छोटा या बड़ा नहीं होता. कोई भी जाति हमारी सनातन संस्कृति के अनुसार बड़ी या छोटी नहीं होती."

कर्मों को पुनर्जन्म पर भी पड़ता है असर: ज्योतिष एवं वास्तुविद डॉ महेंद्र कुमार ठाकुर ने बताया कि "कर्म के फल के आधार पर उसके अगले जन्म का निर्धारण होता है. मृत्यु के समय व्यक्ति जो सोचता है, जिसको याद करता है, अगले जन्म में वह उसी योनि को प्राप्त करता है. उसे अपने कर्मों का फल मिलना ही मिलना है. जैसे किसी ने अगर किसी का धन दबाया तो वह अगले जन्म में जिसके धन को वह दबाता है, उसके कुत्ते के रूप में अगले जन्म में आता है और जब तक उसका ऋण पूरा ना हो जाए. वह कुत्ते के रूप में उसकी सेवा करते रहता है. जब उसका कर्ज पूरा हो जाता है. वह मृत्यु को प्राप्त कर लेता है. ऐसे अनेक उदाहरण है. अतः व्यक्ति को हमेशा अच्छे कार्य करना चाहिए. दूसरों का भला करना चाहिए.

"आत्मा कभी मरती नहीं है": ज्योतिष एवं वास्तुविद डॉक्टर महेंद्र कुमार ठाकुर ने बताया कि "पीड़ित व्यक्ति की मदद करना चाहिए. इससे अगला जन्म स्वयं ही बहुत अच्छा हो जाएगा. और अगर हम किसी को कष्ट पहुंचाते हैं, तो अगले जन्म में हमें उसे भुगतना हीं पड़ता क्योंकि व्यक्ति मरता नहीं है. वह अपना शरीर यहां छोड़ जाता है. जन्म के समय वह अपना भाग्य लेकर आता है, और इस दुनिया से जाते समय वह इस दुनिया से अपने विचार अपना कर्म और अपना संस्कार लेकर जाता है. इसमें उसके पिछले जन्मों के भी किये गए कार्य शामिल होते हैं."

यह भी पढ़ें: Summer Season Tips गर्मी के मौसम में शरीर ठंडा रखने के लिए डाइट में करें ये चीजें शामिल

अच्छे कर्मों का होता है महत्व: ज्योतिष एवं वास्तुविद ने व्यक्ति के कर्मों के आधार पर व्यक्ति के वर्ण का सृजन किया है. जो चार हैं, यह व्यक्ति के कर्म के आधार पर होता है, ना कि जन्म के आधार पर अर्थात व्यक्ति इसी जन्म में ऊंचे कार्य कर परमार्थ कर ऊंची स्थिति को प्राप्त कर सकता है. यह उसका खुद का चुनाव है, कि उसे क्या बनना है. अगर उसे आत्मज्ञान प्राप्त हो वह तपस्वी हो निश्चित रूप से वह ब्राह्मण वर्ण का माना जाएगा. जिसे कोई लोभ लालच ना हो, निष्काम भावना हो, ईश्वर से जुड़ा हो, तो व्यक्ति ब्राह्मण कुल का माना जाएगा. यही पुनर्जन्म का सिद्धांत है.

कर्मफल की क्रोनोलाजी

रायपुर: अपने कर्म का फल व्यक्ति को भोगना ही पड़ता है. कर्म ही अगले जन्म को सुखद या दुखद बनाता है. अगले जन्म के भाग्य का निर्माण हमारा कर्मफल ही करता है. यदि हमारे कर्म अच्छे हैं तो शुभ फल मिलेंगे. अगर कर्म अच्छे नहीं है, तो अशुभ फल मिलेंगे. गरुड़ पुराण में व्यक्ति के कर्मों का क्या फल मिलेगा इसका विस्तार से विवेचन किया गया है. कौन से कर्म करने पर अगले जन्म में व्यक्ति क्या होगा, उसको अपने कर्म के फल का कष्ट कितना मिलेगा, क्या मिलेगा, किस प्रकार मिलेगा, इसका विस्तार से उल्लेख है. इसीलिए मृत्यु के पश्चात गरुड़ पुराण के पाठ को महत्वपूर्ण माना जाता है

कर्मों से होती है व्यक्ति की पहचान: ज्योतिष एवं वास्तुविद डॉक्टर महेंद्र कुमार ठाकुर ने बताया कि "गुरु आय का कारक है. 11वें घर उपलब्धियों का, शनि निम्न वर्ग से आता है. केतु आध्यात्म की ओर ले जाता है. यदि नवम भाव का संबंध गुरु से हो जाए तो अगले जन्म में व्यक्ति ब्राह्मण या उच्च कुल में पैदा होता है. शनि होने से निम्न वर्ग में पैदा होता है. केतु के होने से अध्यात्म की ओर और बुध के प्रभाव से व्यक्ति व्यापार की ओर अग्रसर होता है. शुक्र का संबंध होने से व्यक्ति सुविधा युक्त और अपनी कुछ इच्छाओं को भोगने के लिए जो बची रह जाती है."

दूसरों की भलाई ही सबसे बड़ा धर्म: ज्योतिष एवं वास्तुविद डॉक्टर महेंद्र कुमार ठाकुर ने बताया कि "व्यक्ति जब इस संसार में जन्म लेता है. व्यक्ति यदि सरल है, निश्चल है, समर्पण है, ईश्वर के प्रति लोगों की भलाई करता है, जनकल्याण करता है, परोपकार करता है. जैसा कि तुलसीदास जी ने कहा हैं कि परहित सरीस धरम नहि भाई परपीड़ा सम नहि अधमाई अर्थात दूसरे की भलाई से बढ़कर कोई बड़ा धर्म नहीं है, और और दूसरे को कष्ट देने से बढ़कर कोई अधर्म या पाप नहीं है. पूर्व में कही गई बातों का संबंध व्यक्ति की जाति से नहीं बल्कि उसके कर्म के आधार पर है. कोई भी कर्म छोटा या बड़ा नहीं होता. कोई भी जाति हमारी सनातन संस्कृति के अनुसार बड़ी या छोटी नहीं होती."

कर्मों को पुनर्जन्म पर भी पड़ता है असर: ज्योतिष एवं वास्तुविद डॉ महेंद्र कुमार ठाकुर ने बताया कि "कर्म के फल के आधार पर उसके अगले जन्म का निर्धारण होता है. मृत्यु के समय व्यक्ति जो सोचता है, जिसको याद करता है, अगले जन्म में वह उसी योनि को प्राप्त करता है. उसे अपने कर्मों का फल मिलना ही मिलना है. जैसे किसी ने अगर किसी का धन दबाया तो वह अगले जन्म में जिसके धन को वह दबाता है, उसके कुत्ते के रूप में अगले जन्म में आता है और जब तक उसका ऋण पूरा ना हो जाए. वह कुत्ते के रूप में उसकी सेवा करते रहता है. जब उसका कर्ज पूरा हो जाता है. वह मृत्यु को प्राप्त कर लेता है. ऐसे अनेक उदाहरण है. अतः व्यक्ति को हमेशा अच्छे कार्य करना चाहिए. दूसरों का भला करना चाहिए.

"आत्मा कभी मरती नहीं है": ज्योतिष एवं वास्तुविद डॉक्टर महेंद्र कुमार ठाकुर ने बताया कि "पीड़ित व्यक्ति की मदद करना चाहिए. इससे अगला जन्म स्वयं ही बहुत अच्छा हो जाएगा. और अगर हम किसी को कष्ट पहुंचाते हैं, तो अगले जन्म में हमें उसे भुगतना हीं पड़ता क्योंकि व्यक्ति मरता नहीं है. वह अपना शरीर यहां छोड़ जाता है. जन्म के समय वह अपना भाग्य लेकर आता है, और इस दुनिया से जाते समय वह इस दुनिया से अपने विचार अपना कर्म और अपना संस्कार लेकर जाता है. इसमें उसके पिछले जन्मों के भी किये गए कार्य शामिल होते हैं."

यह भी पढ़ें: Summer Season Tips गर्मी के मौसम में शरीर ठंडा रखने के लिए डाइट में करें ये चीजें शामिल

अच्छे कर्मों का होता है महत्व: ज्योतिष एवं वास्तुविद ने व्यक्ति के कर्मों के आधार पर व्यक्ति के वर्ण का सृजन किया है. जो चार हैं, यह व्यक्ति के कर्म के आधार पर होता है, ना कि जन्म के आधार पर अर्थात व्यक्ति इसी जन्म में ऊंचे कार्य कर परमार्थ कर ऊंची स्थिति को प्राप्त कर सकता है. यह उसका खुद का चुनाव है, कि उसे क्या बनना है. अगर उसे आत्मज्ञान प्राप्त हो वह तपस्वी हो निश्चित रूप से वह ब्राह्मण वर्ण का माना जाएगा. जिसे कोई लोभ लालच ना हो, निष्काम भावना हो, ईश्वर से जुड़ा हो, तो व्यक्ति ब्राह्मण कुल का माना जाएगा. यही पुनर्जन्म का सिद्धांत है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.