रायपुर: नवरात्रि के पावन पर्व की शुरुआत हो गई है. नवरात्र पर अंबे मां की आराधना के साथ ही उपवास और पूजन का विशेष महत्व है. आज नवरात्रि का दूसरा दिन है. ये मां के ब्रह्मचारिणी स्वरूप के पूजा और अराधना का दिन है.
तो आइए मां की इस स्वरूप और इनके महात्मय को जानते हैं..
- देवी ने भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी. इस कठिन तपस्या के कारण इस देवी को तपश्चारिणी अर्थात् ब्रह्मचारिणी नाम से जाना गया.
- मांदुर्गा की नवशक्ति का दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी का है. यहां ब्रह्म का अर्थ तपस्या से है. मां दुर्गा का यह स्वरूप भक्तों को अनंत फल देने वाला है. इनकी उपासना से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की वृद्धि होती है. ब्रह्मचारिणी का अर्थ तप की चारिणी यानी तप का आचरण करने वाली. देवी का यह रूप पूर्ण ज्योतिर्मय और अत्यंत भव्य है. इस देवी के दाएं हाथ में जप की माला है और बाएं हाथ में यह कमण्डल धारण किए हैं.
मिलता है ये फल
- मां ब्रह्मचारिणी का रूप सभी के लिए फलदाई है और लोगों के लिए शुभ कारक है.
- जिनकी कुंडली में बुध कमजोर है उनको भी मां ब्रह्मचारिणी की आराधना करनी चाहिए, इससे बुध का दोष कम हो सकते है.
- आज सोमवार का दिन है और नवरात्रि में दो सोमवार आने वाले हैं इससे विशेष संयोग बन रहा है.
ऐसे करें पूजाः
- देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करते समय सबसे पहले हाथों में एक फूल लेकर उनका ध्यान करें और प्रार्थना करते हुए ये मंत्र पढ़ें.
वन्दे वांछित लाभायचन्द्रार्घकृतशेखराम्।
जपमालाकमण्डलु धराब्रह्मचारिणी शुभाम्॥
गौरवर्णा स्वाधिष्ठानस्थिता द्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम।
धवल परिधाना ब्रह्मरूपा पुष्पालंकार भूषिताम्॥
परम वंदना पल्लवराधरां कांत कपोला पीन।
पयोधराम् कमनीया लावणयं स्मेरमुखी निम्ननाभि नितम्बनीम्॥
- इसके बाद देवी को पंचामृत स्नान कराएं, फिर अलग-अलग तरह के फूल,अक्षत, कुमकुम, सिन्दुर, अर्पित करें. देवी को सफेद और सुगंधित फूल चढ़ाएं। इसके अलावा कमल का फूल भी देवी मां को चढ़ाएं और इन मंत्रों से प्रार्थना करें.
या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता.
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।