रायपुर: चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा यानी कि प्रथम तिथि को घट स्थापना की जाती है. कोई भी पूजा घट स्थापना से शुरू होती है. खासकर नवरात्रि में मां दुर्गा की स्थापना, घट स्थापना से होती है. इस बार घट स्थापना का मुहूर्त, उत्तराभाद्र नक्षत्र प्रतिपदा तिथि के सुंदर प्रभाव में सुबह 11:36 से दोपहर 12:24 तक रहेगा. यह अभिजीत मुहूर्त भी कहलाता है. ऐसी मान्यता है कि इस अभिजीत मुहूर्त में ही भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था. अनेक परंपराओं में इसे अभिजित नक्षत्र भी कहा जाता है. यह घट स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त माना गया है.
ऐसे होती है घटस्थापना: पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि शारदीय और चैत्र नवरात्रि में घट स्थापन का सबसे खास महत्व होता है. घटस्थापन से ही नवरात्रि प्रतिपदा की शुरूआत होती है. घटस्थापन सर्वदा प्रतिपदा तिथि को ही किया जाता है. सनातन काल से ही घटस्थापना का विशेष महत्व होता है. इसमें सप्त धान्य का बीजारोपण किया जाता है. महानवमी तक इसमें जौ का शुभारंभ बड़े-बड़े रूप में हो जाता है. यानी कि लगाए गए बीज निखर कर सामने आते हैं. चारों तरफ हरियाली का वातावरण दिखलाई पड़ता है. यह सनातन काल से ही उपयोग में लाई जाने वाली महत्वपूर्ण आध्यात्मिक विधि है. जिस स्थान पर घटस्थापना की जाती है. वहां पर साफ सफाई का खासतौर पर ध्यान रखा जाता है.
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कलश स्थापित करते समय रखें इन बातों का ध्यान: पंडित विनीत शर्मा बताते हैं कि आम तौर पर मिट्टी के कलश स्थापित किए जाते हैं. इनके चारों ओर सुंदर-सुंदर आकृतियां मन को आनंदित करती है. बहुत ही सुंदर और अनुशाशासित तरीके से इसे रखा जाना चाहिए. इन्हें एक क्रम में रखना चाहिए. सप्तधान्य के साथ हल्दी, सुपारी, चावल, रोली, कुमकुम, गुलाल, सिंदूर आदि पूजन सामग्रियों को डाला जाता है. इनमें प्राय: आम के पत्तों का उपयोग किया जाता है. इसके अलावा बरगद, पीपल, अशोक के भी पत्ते भी उपयोग में लाए जा सकते हैं. इनके ऊपर कलश को रखा जाता है. कलश भी पूरी तरह से शुद्ध और अखंडित होना चाहिए. कोई भी खंडित पदार्थ इसमें उपयोग में नहीं लाया जाना चाहिए.