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जड़ी-बूटियों से बने 'आयुर्वेदिक गणपति', कोरोना काल में दे रहे काढ़ा पीने का संदेश

राजधानी रायपुर में इस बार गणेश चतुर्थी के मौके पर जड़ी-बूटियों से बने गजानन विराजेंगे. कोरोना संकट काल में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए काढ़ा पीना सबसे कारगर माना जा रहा है. इसी तर्ज पर इस बार मूर्तिकार शिवचरण यादव ने लोगों को सुरक्षित रहने और लगातार काढ़ा बनाकर पीने का संदेश देते हुए जड़ी-बूटियों और खड़े मसालों से गणपति की प्रतिमा बनाई है. यह प्रतिमा 3 फीट की है.

raipur herbal ganesh 2020
रायपुर में जड़ी-बूटी से बनाए गए गजानन
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Published : Aug 21, 2020, 2:45 PM IST

Updated : Aug 21, 2020, 3:05 PM IST

रायपुर: कोरोना संकट काल में राशन सामग्री में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली खाद्य सामग्रियों की भारी-भरकम डिमांड है. इस बार गणेश चतुर्थी पर गजानन भी हर्बल अवतार में अपने भक्तों को दर्शन देने को तैयार हैं. राजधानी रायपुर में हर साल इको फ्रेंडली गणेश की मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकार शिवचरण यादव ने इस बार जड़ी-बूटियों और मसालों से भगवान लंबोदर को आकार दिया है.

रायपुर में जड़ी-बूटियों से बने गजानन

कोरोना महामारी से बचने और इम्यून पावर बढ़ाने के लिए जड़ी-बूटियों से बने काढ़ा को कारगर माना जा रहा है. काली मिर्च, सोंठ, दालचीनी, हल्दी, इलायची, लौंग सहित 3-4 जड़ी-बूटियों को मिलाकर काढ़ा बनाया जाता है. कोरोना से बचने इस संजीवनी उपाय को ध्यान में रखते हुए मूर्तिकार शिवचरण ने भी लोगों को काढ़ा पीने का संदेश देते हुए काढ़ा वाले गणपति बनाया है.

ganesh chaturthi 2020 raipur
3 फीट के हैं जड़ी-बूटी वाले लंबोदर

3 फीट की है जड़ी-बूटी वाले गणेश जी की प्रतिमा

गणपति की इस मूर्ति को बनाने में मूर्तिकार को एक महीने का समय लग गया. मूर्तिकार शिवचरण ने बताया कि 3 फीट की गणेश की इस मूर्ति को बनाने में किसी भी तरह के रंगों का कहीं भी इस्तेमाल नहीं किया गया है. सिर्फ काढ़ा बनाने के लिए उपयोग में लाई जाने वाली जड़ी-बूटियों से ही इस हर्बल गणपति को बनाया गया है. पहली बार ऐसी मूर्ति बनाई गई है. इसके अलावा छोटी मूर्तियां भी बनाई गई है, जिनको बनाने में मौली(धागा), लकड़ी, धान और मसालों का इस्तेमाल किया गया है.

ganesh chaturthi 2020 raipur
मौली, धान और लकड़ी से बनी गणेश प्रतिमा

गणपति बनाने में लगने वाली सामग्री

⦁ गजानन के सिर को बनाने में आधा किलो दालचीनी का उपयोग किया गया है.

⦁ धोती पांच किलो सोंठ से बनाई गई है.

⦁ पगड़ी बनाने के लिए आधा किलो हल्दी और एक पाव लौंग लिया गया है.

ganesh idol made up of herbs
कोरोना काल में 'आयुर्वेदिक गणपति'

⦁ माला बनाने के लिए एक पाव जावित्री और जायफल का उपयोग किया गया है.

⦁ आशीर्वाद वाले हाथ बनाने के लिए 50 ग्राम मुलेठी लिया गया है.

⦁ कान बनाने में भी दालचीनी का उपयोग किया गया है.

⦁ पूरे शरीर में ढाई किलो गिलोय का इस्तेमाल किया गया है.

ganesh chaturthi 2020 raipur
जड़ी-बूटियों से बनी गणेश जी की मूर्ति

मूर्तिकार ने बताया कि महामारी की वजह से शासन-प्रशासन के आदेश के मुताबिक गणेश की बड़ी प्रतिमाओं की स्थापना पर प्रतिबंध लगाया गया है. अब लोग गणपति की मूर्ति को लेकर खास तरह की चॉइस रख रहे हैं. इस बार शिवचरण ने 20 प्रतिमाएं बनाई हैं, जो पहले से बहुत अलग हैं.

पढ़ें- SPECIAL: हे विघ्नहर्ता! कोरोना काल में 'भगवान' को बनाने वाला भी सो रहा है भूखा

छत्तीसगढ़ में लगातार कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ते जा रहे हैं. इस महामारी ने सारे त्योहारों का रंग फीका कर दिया. पहली बार ऐसा होगा जब प्रदेश में गणेश उत्सव की रौनक कम होगी. जड़ी-बूटियों से बने ये गणपति लोगों को घर पर रहकर काढ़ा पीने और सुरक्षित रहने का संदेश दे रहे हैं. कहते हैं भगवान समय-समय पर अपने भक्तों के लिए नए-नए रूप लेते हैं. इस बार विघ्नहर्ता ने जड़ी-बूटी को रक्षाकवच बताते हुए आकार लिया है.

रायपुर: कोरोना संकट काल में राशन सामग्री में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली खाद्य सामग्रियों की भारी-भरकम डिमांड है. इस बार गणेश चतुर्थी पर गजानन भी हर्बल अवतार में अपने भक्तों को दर्शन देने को तैयार हैं. राजधानी रायपुर में हर साल इको फ्रेंडली गणेश की मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकार शिवचरण यादव ने इस बार जड़ी-बूटियों और मसालों से भगवान लंबोदर को आकार दिया है.

रायपुर में जड़ी-बूटियों से बने गजानन

कोरोना महामारी से बचने और इम्यून पावर बढ़ाने के लिए जड़ी-बूटियों से बने काढ़ा को कारगर माना जा रहा है. काली मिर्च, सोंठ, दालचीनी, हल्दी, इलायची, लौंग सहित 3-4 जड़ी-बूटियों को मिलाकर काढ़ा बनाया जाता है. कोरोना से बचने इस संजीवनी उपाय को ध्यान में रखते हुए मूर्तिकार शिवचरण ने भी लोगों को काढ़ा पीने का संदेश देते हुए काढ़ा वाले गणपति बनाया है.

ganesh chaturthi 2020 raipur
3 फीट के हैं जड़ी-बूटी वाले लंबोदर

3 फीट की है जड़ी-बूटी वाले गणेश जी की प्रतिमा

गणपति की इस मूर्ति को बनाने में मूर्तिकार को एक महीने का समय लग गया. मूर्तिकार शिवचरण ने बताया कि 3 फीट की गणेश की इस मूर्ति को बनाने में किसी भी तरह के रंगों का कहीं भी इस्तेमाल नहीं किया गया है. सिर्फ काढ़ा बनाने के लिए उपयोग में लाई जाने वाली जड़ी-बूटियों से ही इस हर्बल गणपति को बनाया गया है. पहली बार ऐसी मूर्ति बनाई गई है. इसके अलावा छोटी मूर्तियां भी बनाई गई है, जिनको बनाने में मौली(धागा), लकड़ी, धान और मसालों का इस्तेमाल किया गया है.

ganesh chaturthi 2020 raipur
मौली, धान और लकड़ी से बनी गणेश प्रतिमा

गणपति बनाने में लगने वाली सामग्री

⦁ गजानन के सिर को बनाने में आधा किलो दालचीनी का उपयोग किया गया है.

⦁ धोती पांच किलो सोंठ से बनाई गई है.

⦁ पगड़ी बनाने के लिए आधा किलो हल्दी और एक पाव लौंग लिया गया है.

ganesh idol made up of herbs
कोरोना काल में 'आयुर्वेदिक गणपति'

⦁ माला बनाने के लिए एक पाव जावित्री और जायफल का उपयोग किया गया है.

⦁ आशीर्वाद वाले हाथ बनाने के लिए 50 ग्राम मुलेठी लिया गया है.

⦁ कान बनाने में भी दालचीनी का उपयोग किया गया है.

⦁ पूरे शरीर में ढाई किलो गिलोय का इस्तेमाल किया गया है.

ganesh chaturthi 2020 raipur
जड़ी-बूटियों से बनी गणेश जी की मूर्ति

मूर्तिकार ने बताया कि महामारी की वजह से शासन-प्रशासन के आदेश के मुताबिक गणेश की बड़ी प्रतिमाओं की स्थापना पर प्रतिबंध लगाया गया है. अब लोग गणपति की मूर्ति को लेकर खास तरह की चॉइस रख रहे हैं. इस बार शिवचरण ने 20 प्रतिमाएं बनाई हैं, जो पहले से बहुत अलग हैं.

पढ़ें- SPECIAL: हे विघ्नहर्ता! कोरोना काल में 'भगवान' को बनाने वाला भी सो रहा है भूखा

छत्तीसगढ़ में लगातार कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ते जा रहे हैं. इस महामारी ने सारे त्योहारों का रंग फीका कर दिया. पहली बार ऐसा होगा जब प्रदेश में गणेश उत्सव की रौनक कम होगी. जड़ी-बूटियों से बने ये गणपति लोगों को घर पर रहकर काढ़ा पीने और सुरक्षित रहने का संदेश दे रहे हैं. कहते हैं भगवान समय-समय पर अपने भक्तों के लिए नए-नए रूप लेते हैं. इस बार विघ्नहर्ता ने जड़ी-बूटी को रक्षाकवच बताते हुए आकार लिया है.

Last Updated : Aug 21, 2020, 3:05 PM IST
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