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छत्तीसगढ़ में वन कर्मचारी हड़ताल पर : जंगलों में आग तो गांवों में कोहराम मचा रहे हाथी - Elephants terror in Chhattisgarh

गर्मी के दिनों में जंगल की आग एक बड़ी चुनौती होती है. ऐसे में कर्मचारियों के अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने से निश्चित तौर पर जंगलों को काफी नुकसान हो रहा है. वन कर्मचारियों का (Forest workers strike in Chhattisgarh) कहना है कि सरकार उनकी मांगें जल्द मान लें, ताकि वे जंगलों को जलने से बचा सकें.

Forest workers strike in Chhattisgarh
जंगलों में आग तो गांवों में कोहराम मचा रहे हाथी
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Published : Mar 23, 2022, 10:15 PM IST

Updated : Mar 24, 2022, 10:36 AM IST

रायपुर : गर्मी का मौसम आ गया है. इन दिनों अक्सर जंगलों में आगजनी की घटनाएं बढ़ जाती हैं. वनों की सुरक्षा व देख-रेख की जिम्मेदारी वन विभाग की होती है, लेकिन इन दिनों छत्तीसगढ़ के वन कर्मचारी (Forest workers strike in Chhattisgarh) हड़ताल पर हैं. कर्मचारियों के आंदोलन में जाने से जंगलों की देखरेख करने वाला कोई नहीं है. कहीं आगजनी की घटना सामने आ रही है तो कुछ जगहों पर हाथी गांवों में घुसकर कोहराम मचा रहे हैं. ऐसे में छत्तीसगढ़ के जंगल इन दिनों भगवान भरोसे हैं.

जंगलों में आग तो गांवों में कोहराम मचा रहे हाथी

कई जगहों पर आग लगने की आ रही खबर: गर्मी के दिनों में जंगल की आग बड़ी चुनौती होती है. ऐसे में कर्मचारियों के अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने से निश्चित तौर पर जंगलों को काफी नुकसान हो रहा है. सरगुजा के उदयपुर के जंगलों में भीषण आग लगी है. अब यह तेजी से बढ़ती ही जा रही है. इतना ही नहीं बल्कि बालोद के भी जंगलों में आग लगने की खबर आ रही है. इसी के साथ हाथी भी अब गांव की ओर पलायन करने लगे हैं. हालात यह है कि हाथियों का दो दल मंगलवार को राजधानी के निकट आरंग ब्लॉक तक पहुंच गया था. उन्हें ग्रामीणों और पुलिस की मदद से खदेड़ा गया.

यह भी पढ़ें : छत्तीसगढ़ : खरसिया पोस्ट ऑफिस समेत कई दुकानों में लगी आग, कारण अज्ञात

हमारे हड़ताल पर जाने से जंगलों को नुकसान : छत्तीसगढ़ वन कर्मचारी संघ के रायपुर जिलाध्यक्ष भूपेन्द्र यादव ने बताया कि वे 12 सूत्री मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं. आज उनका तीसरा दिन है. उनकी हड़ताल से बहुत नुकसान हो रहा है. पत्थल गांव में आग की घटना हुई है. बीजापुर में लकड़ी तस्करी की घटना हुई. इसके अलावा आरंग ब्लॉक में हाथियों का दल पहुंच गया. हाथी गांव की गलियों में घूम रहे हैं, जिसे संभालने वाला कोई नहीं है. जंगलों में शिकार के साथ ही अतिक्रमण की घटनाएं भी बढ़ने लगी हैं. शासन प्रशासन को हमारी मांगों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है.

जंगल की हालत देख हमें भी चिंता : छत्तीसगढ़ वन कर्मचारी संघ के प्रांताध्यक्ष मूलचंद शर्मा ने बताया कि हम लोगों की अनिश्चितकालीन हड़ताल से हमें भी पीड़ा है. वनों में आग की बहुत घटनाएं हो रही हैं. अवैध शिकार हो रहे हैं. अवैध कटाई और परिवहन हो रहे हैं. अभी उदयपुर और कई जिलों में अगलगी की घटनाएं सामने आ रही हैं. इससे जंगल को काफी नुकसान हो रहा है. शासन से हम अपेक्षा करते हैं कि जल्द से जल्द हमारी मांगें पूरी करें, ताकि हम फिर से अपने वन क्षेत्र को संवार सकें.

यह भी पढ़ें : वन कर्मचारी हड़ताल पर, बालोद में जल रहे जंगल

इन मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं वनकर्मी

  • वनरक्षक का वेतन वर्ष 2003 से 3050 स्वीकृत किया जाए.
  • वनरक्षक/वनपाल/उ.प. क्षेत्रपाल कर्मचारियों का वेतनमान मांग अनुसार किया जाए.
  • पुरानी पेंशन योजना लागू किया जाए.
  • छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद नया सेटअप पुनरीक्षण किया जाए.
  • महाराष्ट्र सरकार की तरह 5000/ पौष्टिक आहार/ वर्दी भत्ता दिया जाए.
  • पदनाम वर्दी के लिए संबोधित नाम अन्य पहचान निर्धारण आदेश जारी किया जाए.
  • वनोपज संघ के कार्य के लिए एक माह अतिरिक्त वेतन दिया जाए.
  • काष्ठ वनोपज प्रदाय से कमी मात्रा की वसूली निरस्त/ राइटऑफ किया जाए.
  • विभागीय पर्यटन स्थल में वन कर्मचारियों एवं सेवानिवृत्त कर्मचारियों को निशुल्क प्रवेश दिया जाए.
  • वनपाल प्रशिक्षण अवधि 45 दिन की जाए. वनपाल प्रशिक्षण केंद्र कोनी (बिलासपुर) प्रारंभ किया जाए.
  • भृत्य, वानिकी चौकीदार का समायोजन किया जाए.
  • दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों को नियमित किया जाए.

रायपुर : गर्मी का मौसम आ गया है. इन दिनों अक्सर जंगलों में आगजनी की घटनाएं बढ़ जाती हैं. वनों की सुरक्षा व देख-रेख की जिम्मेदारी वन विभाग की होती है, लेकिन इन दिनों छत्तीसगढ़ के वन कर्मचारी (Forest workers strike in Chhattisgarh) हड़ताल पर हैं. कर्मचारियों के आंदोलन में जाने से जंगलों की देखरेख करने वाला कोई नहीं है. कहीं आगजनी की घटना सामने आ रही है तो कुछ जगहों पर हाथी गांवों में घुसकर कोहराम मचा रहे हैं. ऐसे में छत्तीसगढ़ के जंगल इन दिनों भगवान भरोसे हैं.

जंगलों में आग तो गांवों में कोहराम मचा रहे हाथी

कई जगहों पर आग लगने की आ रही खबर: गर्मी के दिनों में जंगल की आग बड़ी चुनौती होती है. ऐसे में कर्मचारियों के अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने से निश्चित तौर पर जंगलों को काफी नुकसान हो रहा है. सरगुजा के उदयपुर के जंगलों में भीषण आग लगी है. अब यह तेजी से बढ़ती ही जा रही है. इतना ही नहीं बल्कि बालोद के भी जंगलों में आग लगने की खबर आ रही है. इसी के साथ हाथी भी अब गांव की ओर पलायन करने लगे हैं. हालात यह है कि हाथियों का दो दल मंगलवार को राजधानी के निकट आरंग ब्लॉक तक पहुंच गया था. उन्हें ग्रामीणों और पुलिस की मदद से खदेड़ा गया.

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हमारे हड़ताल पर जाने से जंगलों को नुकसान : छत्तीसगढ़ वन कर्मचारी संघ के रायपुर जिलाध्यक्ष भूपेन्द्र यादव ने बताया कि वे 12 सूत्री मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं. आज उनका तीसरा दिन है. उनकी हड़ताल से बहुत नुकसान हो रहा है. पत्थल गांव में आग की घटना हुई है. बीजापुर में लकड़ी तस्करी की घटना हुई. इसके अलावा आरंग ब्लॉक में हाथियों का दल पहुंच गया. हाथी गांव की गलियों में घूम रहे हैं, जिसे संभालने वाला कोई नहीं है. जंगलों में शिकार के साथ ही अतिक्रमण की घटनाएं भी बढ़ने लगी हैं. शासन प्रशासन को हमारी मांगों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है.

जंगल की हालत देख हमें भी चिंता : छत्तीसगढ़ वन कर्मचारी संघ के प्रांताध्यक्ष मूलचंद शर्मा ने बताया कि हम लोगों की अनिश्चितकालीन हड़ताल से हमें भी पीड़ा है. वनों में आग की बहुत घटनाएं हो रही हैं. अवैध शिकार हो रहे हैं. अवैध कटाई और परिवहन हो रहे हैं. अभी उदयपुर और कई जिलों में अगलगी की घटनाएं सामने आ रही हैं. इससे जंगल को काफी नुकसान हो रहा है. शासन से हम अपेक्षा करते हैं कि जल्द से जल्द हमारी मांगें पूरी करें, ताकि हम फिर से अपने वन क्षेत्र को संवार सकें.

यह भी पढ़ें : वन कर्मचारी हड़ताल पर, बालोद में जल रहे जंगल

इन मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं वनकर्मी

  • वनरक्षक का वेतन वर्ष 2003 से 3050 स्वीकृत किया जाए.
  • वनरक्षक/वनपाल/उ.प. क्षेत्रपाल कर्मचारियों का वेतनमान मांग अनुसार किया जाए.
  • पुरानी पेंशन योजना लागू किया जाए.
  • छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद नया सेटअप पुनरीक्षण किया जाए.
  • महाराष्ट्र सरकार की तरह 5000/ पौष्टिक आहार/ वर्दी भत्ता दिया जाए.
  • पदनाम वर्दी के लिए संबोधित नाम अन्य पहचान निर्धारण आदेश जारी किया जाए.
  • वनोपज संघ के कार्य के लिए एक माह अतिरिक्त वेतन दिया जाए.
  • काष्ठ वनोपज प्रदाय से कमी मात्रा की वसूली निरस्त/ राइटऑफ किया जाए.
  • विभागीय पर्यटन स्थल में वन कर्मचारियों एवं सेवानिवृत्त कर्मचारियों को निशुल्क प्रवेश दिया जाए.
  • वनपाल प्रशिक्षण अवधि 45 दिन की जाए. वनपाल प्रशिक्षण केंद्र कोनी (बिलासपुर) प्रारंभ किया जाए.
  • भृत्य, वानिकी चौकीदार का समायोजन किया जाए.
  • दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों को नियमित किया जाए.
Last Updated : Mar 24, 2022, 10:36 AM IST
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