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हाथियों को वन विभाग खिलाएगा धान, प्रयोग के तौर पर की गई शुरुआत- वन मंत्री

रमन सिंह द्वारा हाथियों को लेकर दिए गए बयान पर वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने सरकार की योजनाओं को गिनाया है. वन मंत्री ने कहा कि हाथियों को रेडियो कॉलर लगाया है, जिससे उनकी लोकेशन के बारे में पता लगाया जा सकता है.

Forest Minister Mohammad Akbar
वन मंत्री मोहम्मद अकबर
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Published : Aug 4, 2021, 8:33 PM IST

रायपुर: मंगलवार को पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह ने हाथियों को लेकर बयान दिया था कि कांग्रेस को पता ही नहीं है कि कितने हाथी हैं. उन्होंने कहा था कि सरकार धान किस तरह उन हाथियों को खिलाएगी. क्या मंत्री खुद धान लेकर हाथियों के पीछे- पीछे घूमेंगे. रमन सिंह के बयान पर बुधवार को वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने बताया कि वन विभाग की तरह से हाथियों को धान खिलाया जाएगा.

वन मंत्री मोहम्मद अकबर

वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा कि इस समय प्रदेश में 307 हाथियों के 16 दल अलग-अलग स्थानों में विचरण कर रहे हैं. प्रमुख रूप से रेहन, तमोर पिंगला, बादलखोल अभ्यारण, प्रतापपुर, रघुनाथपुर, तपकरा, कुनकुरी, मनोरा, दुलदुला, छाल, कापू, बोरा, बाकारुमा में हाथियों का दल विचरण कर रहा है, वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा कि आपने देखा होगा कि हाथी मानव द्वंद को रोकने के लिए जो प्रयास विभाग के द्वारा किया जा रहा है उसमें एक अलर्ट सिस्टम है.

रहवासी क्षेत्रों में आते हैं हाथी

हाथियों का दल जिस ओर जाता है, वन विभाग के द्वारा वहां पर अलर्ट करके गांव वालों को सूचित किया जाता है. बताया जाता है कि हाथियों का दल इस तरफ आ रहा है. हाथी भोजन की तलाश में रहवासी क्षेत्र में जाएंगे और उसी क्षेत्र को नुकसान पहुंचाएंगे. जहां पर उसके लिए धान, महुआ या चावल रखा हुआ हो .

नई सरकार आने के बाद 9 हाथियों को रेडियो कॉलर लगाया गया है और बाकी भारत सरकार की तरफ से और अन्य साथियों को भी रेडियो कॉलिंग करने की अनुमति मिल चुकी है.

वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा एक प्रयोग के तौर पर हाथी जाते हैं और मकानों को क्षतिग्रस्त करके धान की बोरियो को बाहर निकालते हैं. हाथी जब भी किसी गांव में जाते हैं तो वन विभाग अलर्ट सिस्टम से संबंधित गांव में सूचना भेजता है कि हाथियों का दल इस गांव में आ रहा है. इन्हीं क्षेत्रों में धान की व्यवस्था की गई है. यह व्यवस्था इसलिए की गई है कि हाथियों का जो दल गांव जा रहा है. उन गांव के लोगों को पहले अलर्ट करें, ताकि लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जा सके. धान को खाने के लिए वहां पर रख दिया जाए, ताकि हाथी आए और यदि उनको खाने को मिल जाएगा तो मकानों को क्षतिग्रस्त नहीं करेंगे.

फिर विवादों में विधायक बृहस्पति सिंह, सरगुजा के पत्रकारों को अनपढ़ कहने का आरोप

सूरजपुर, बंसीपुर, तुकुडांड में धान रखा गया था. एक जगह 4 क्विंटल, दूसरी जगह 4 क्विंटल धान और 6 क्विंटल तीसरी जगह रखा गया. यानि 14 क्विंटल धान हाथियों ने खाया. मतलब यह प्रयोग के तौर पर है. अगर यह सफल हुआ तो इसे आगे भी प्रयोग में लाया जाएगा.

बाकी स्थानों पर भी हाथियों के लिए धान रखा गया लेकिन वहां हाथियों ने धान नहीं खाया. हमे सिर्फ एक स्थान पर बस सफलता प्राप्त मिली है. कुछ साथियों द्वारा यह बयान दिया था कि 2050 में धान क्यों खरीदा गया, तो वन विभाग ने कोई धान नहीं खरीदा है. यह खाद्य विभाग की तरफ से वन विभाग को ट्रांसफर किया गया है. वन मंत्री ने कहा कि धान की कोई खरीदी नहीं हुई है. वन विभाग धान की जो कीमत होगी वह सीधे खाद्य विभाग को ट्रांसफर कर दी जाएगी. उन्होंने कहा कि प्रदेश में हाथियों के 16 दल है. जिस गांव में ये हाथी जाएंगे वहां धान रखा जाएगा.

वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने जानकारी देते हुए बताया कि 2007 में भारत सरकार से अनुमति प्राप्त हुई थी कि लेमरू हाथी रिजर्व को नोटिफिकेशन किया जाए. तत्कालीन सरकार के द्वारा यह नहीं किया गया. अब 1995 वर्ग किलोमीटर का प्रेजेंटेशन वन विभाग की तरफ से मंत्रिमंडल के सामने रखा गया है. अब उसकी अंतिम प्रक्रिया चल रही है. आगे चलकर 1995 वर्ग किलोमीटर नोटिफिकेशन किया जाना है.

रायपुर: मंगलवार को पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह ने हाथियों को लेकर बयान दिया था कि कांग्रेस को पता ही नहीं है कि कितने हाथी हैं. उन्होंने कहा था कि सरकार धान किस तरह उन हाथियों को खिलाएगी. क्या मंत्री खुद धान लेकर हाथियों के पीछे- पीछे घूमेंगे. रमन सिंह के बयान पर बुधवार को वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने बताया कि वन विभाग की तरह से हाथियों को धान खिलाया जाएगा.

वन मंत्री मोहम्मद अकबर

वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा कि इस समय प्रदेश में 307 हाथियों के 16 दल अलग-अलग स्थानों में विचरण कर रहे हैं. प्रमुख रूप से रेहन, तमोर पिंगला, बादलखोल अभ्यारण, प्रतापपुर, रघुनाथपुर, तपकरा, कुनकुरी, मनोरा, दुलदुला, छाल, कापू, बोरा, बाकारुमा में हाथियों का दल विचरण कर रहा है, वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा कि आपने देखा होगा कि हाथी मानव द्वंद को रोकने के लिए जो प्रयास विभाग के द्वारा किया जा रहा है उसमें एक अलर्ट सिस्टम है.

रहवासी क्षेत्रों में आते हैं हाथी

हाथियों का दल जिस ओर जाता है, वन विभाग के द्वारा वहां पर अलर्ट करके गांव वालों को सूचित किया जाता है. बताया जाता है कि हाथियों का दल इस तरफ आ रहा है. हाथी भोजन की तलाश में रहवासी क्षेत्र में जाएंगे और उसी क्षेत्र को नुकसान पहुंचाएंगे. जहां पर उसके लिए धान, महुआ या चावल रखा हुआ हो .

नई सरकार आने के बाद 9 हाथियों को रेडियो कॉलर लगाया गया है और बाकी भारत सरकार की तरफ से और अन्य साथियों को भी रेडियो कॉलिंग करने की अनुमति मिल चुकी है.

वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा एक प्रयोग के तौर पर हाथी जाते हैं और मकानों को क्षतिग्रस्त करके धान की बोरियो को बाहर निकालते हैं. हाथी जब भी किसी गांव में जाते हैं तो वन विभाग अलर्ट सिस्टम से संबंधित गांव में सूचना भेजता है कि हाथियों का दल इस गांव में आ रहा है. इन्हीं क्षेत्रों में धान की व्यवस्था की गई है. यह व्यवस्था इसलिए की गई है कि हाथियों का जो दल गांव जा रहा है. उन गांव के लोगों को पहले अलर्ट करें, ताकि लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जा सके. धान को खाने के लिए वहां पर रख दिया जाए, ताकि हाथी आए और यदि उनको खाने को मिल जाएगा तो मकानों को क्षतिग्रस्त नहीं करेंगे.

फिर विवादों में विधायक बृहस्पति सिंह, सरगुजा के पत्रकारों को अनपढ़ कहने का आरोप

सूरजपुर, बंसीपुर, तुकुडांड में धान रखा गया था. एक जगह 4 क्विंटल, दूसरी जगह 4 क्विंटल धान और 6 क्विंटल तीसरी जगह रखा गया. यानि 14 क्विंटल धान हाथियों ने खाया. मतलब यह प्रयोग के तौर पर है. अगर यह सफल हुआ तो इसे आगे भी प्रयोग में लाया जाएगा.

बाकी स्थानों पर भी हाथियों के लिए धान रखा गया लेकिन वहां हाथियों ने धान नहीं खाया. हमे सिर्फ एक स्थान पर बस सफलता प्राप्त मिली है. कुछ साथियों द्वारा यह बयान दिया था कि 2050 में धान क्यों खरीदा गया, तो वन विभाग ने कोई धान नहीं खरीदा है. यह खाद्य विभाग की तरफ से वन विभाग को ट्रांसफर किया गया है. वन मंत्री ने कहा कि धान की कोई खरीदी नहीं हुई है. वन विभाग धान की जो कीमत होगी वह सीधे खाद्य विभाग को ट्रांसफर कर दी जाएगी. उन्होंने कहा कि प्रदेश में हाथियों के 16 दल है. जिस गांव में ये हाथी जाएंगे वहां धान रखा जाएगा.

वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने जानकारी देते हुए बताया कि 2007 में भारत सरकार से अनुमति प्राप्त हुई थी कि लेमरू हाथी रिजर्व को नोटिफिकेशन किया जाए. तत्कालीन सरकार के द्वारा यह नहीं किया गया. अब 1995 वर्ग किलोमीटर का प्रेजेंटेशन वन विभाग की तरफ से मंत्रिमंडल के सामने रखा गया है. अब उसकी अंतिम प्रक्रिया चल रही है. आगे चलकर 1995 वर्ग किलोमीटर नोटिफिकेशन किया जाना है.

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