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छत्तीसगढ़ में पांच दिन का वर्किंग वीक : जिन्हें 2 दिन छुट्टी मिली वे भी नाखुश, जिन्हें नहीं मिली उनमें असंतोष - chhattisgarh government office timings change

five day working week in chhattisgarh : सरकार ने छत्तीसगढ़ में पांच दिन का वर्किंग वीक लागू किया है. इससे सरकारी कर्मचारियों के दफ्तर आने और जाने का समय बदल गया है. जिन्हें हफ्ते में दो दिन छुट्टी मिली है और जिन्हें नहीं मिली, दोनों ही वर्ग के कर्मचारियों में असंतोष है. आखिर क्या है इसकी वजह आइये जानते हैं...

five day working week in chhattisgarh
छत्तीसगढ़ में पांच दिन का वर्किंग वीक
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Published : Feb 15, 2022, 5:12 PM IST

Updated : Feb 16, 2022, 6:21 AM IST

रायपुर : राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ में पांच दिन का वर्किंग वीक घोषित किया है. मतलब शासकीय कर्मचारी अब सप्ताह में 7 नहीं बल्कि 5 दिन ही काम करेंगे. जबकि शनिवार और रविवार दो दिन उनकी छुट्टी रहेगी. यह निर्णय कर्मचारियों की कार्यक्षमता और उत्पादकता बढ़ाने के लिए सरकार ने लिया है. लेकिन स्वास्थ्य, पुलिस और शिक्षा सहित कई अन्य विभागों को इसमें शामिल नहीं किया गया है. सरकार के इस निर्णय से एक वर्ग में काफी नाराजगी है. इस पूरे मामले पर कर्मचारी संघ की मांग है कि सरकार द्वारा तय किये गए कार्यालय के समय सुबह 10:00 से शाम 5:30 में उन्हें दफ्तर पहुंचने में असुविधा हो रही है. इसलिए दफ्तर पहुंचने का समय 10:30 बजे से शाम 6:00 बजे तक किया जाए, नहीं तो सरकार 5 दिन का वर्किंग वीक वापस ले ले.

छत्तीसगढ़ में पांच दिन का वर्किंग वीक

10 बजे दफ्तर पहुंचने में होती है परेशानी
छत्तीसगढ़ तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ प्रदेश अध्यक्ष विजय झा का कहना है कि सुबह 10:00 बजे दफ्तर पहुंचने में काफी परेशानी होती है. खासकर महिलाओं को तो घर काम भी करने पड़ते हैं, जिस कारण दफ्तर पहुंचने में लेट हो जाना बड़ी बात नहीं है. कोई कर्मचारी अगर 3 दिन तक लगातार दफ्तर लेट पहुंचता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई का नियम है. जब तक उसके पास पर्याप्त छुट्टी है, तब तक उसका वेतन काटने का किसी को अधिकार नहीं है. छत्तीसगढ़ सरकार केंद्रीय कर्मचारियों की तरह हमसे काम तो लेना चाहती है, लेकिन सुविधा राज्य सरकार वाली दे रही है. इधर स्वास्थ्य, शिक्षा एवं पुलिस विभाग में भी अब दबी जुबान में पांच दिन के वर्किंग वीक की मांग उठाने लगी है.

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भूपेश सरकार सभी वर्ग के लिए करती है काम : धनंजय
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर का कहना है कि भूपेश सरकार सभी वर्ग के लिए काम करती है. चाहे वह किसान, आमजन या फिर शासकीय कर्मचारी ही क्यों न हों. राज्य सरकार द्वारा प्रत्येक शनिवार को अवकाश की घोषणा की गई है. पेंशन में राज्य सरकार द्वारा अनुदान बढ़ाया गया है. सरकार जनता और कर्मचारियों के बीच सेतु को मजबूत करने की ओर काम कर रही है. स्वास्थ्य, शिक्षा एवं पुलिस विभाग को दो दिन छुट्टी न मिलने पर धनंजय ने कहा कि हर विभाग का अलग-अलग दायित्व है. उनके दायित्व के अनुसार ही उन्हें छुट्टी सहित अन्य सुविधाओं का प्रावधान है.

आखिर 5 दिन कार्य दिवस की किसने की थी मांग : बृजमोहन
भाजपा विधायक एवं पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि किसने 5 दिन कार्य दिवस की मांग की थी. यह सरकार अपनी मर्जी से तुगलकी शासन कर रही है. सरकार के इस निर्णय के कारण छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था पर काफी बुरा प्रभाव पड़ा है. जो ठेले, खोमचे और ऑटो रिक्शा वाले हैं, इस वजह से उनका भी एक दिन का काम बंद हो गया. सरकार को जो इनकम टैक्स और जीएसटी मिलता था, उसमें भी कमी आई है. बहुत से कर्मचारी बाहर से आते हैं. इस कारण वे इतनी जल्दी सुबह दफ्तर कैसे पहुंच पाएंगे.

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कर्मचारियों के काम और गुणवत्ता की होनी चाहिए समीक्षा : राम अवतार
वरिष्ठ पत्रकार रामअवतार तिवारी का भी मानना है कि जिस उद्देश्य से कर्मचारियों के लिए 5 वर्किंग डे वीक लागू किया गया, उसकी समीक्षा होनी चाहिए. अगर कर्मचारियों को हफ्ते में 5 दिन काम और 2 दिन छुट्टी दी जा रही है तो इसकी समीक्षा होनी चाहिए कि उनका किया काम संतोषजनक है या नहीं. वह दफ्तर में उपस्थित है या नहीं. उनके दफ्तर आने-जाने की निगरानी हो रही है या नहीं. साथ ही अन्य विषयों की भी समीक्षा होनी चाहिए. ऐसा न हो कि छुट्टी देने के बाद काम और प्रभावित होने लगे.
ऐसे में कहा जा सकता है कि सरकार के इस फैसले से जिन्हें सप्ताह में दो दिन छुट्टी मिली वे कर्मचारी भी असंतुष्ट हैं. जिन्हें छुट्टी नहीं मिली, उनमें भी असंतोष है. ऐसे में सरकार के इस निर्णय का कर्मचारियों और लोगों को लाभ मिल रहा है या फिर और नुकसान हो रहा है, यह तो आने वाले समय में ही स्पष्ट हो सकेगा.

रायपुर : राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ में पांच दिन का वर्किंग वीक घोषित किया है. मतलब शासकीय कर्मचारी अब सप्ताह में 7 नहीं बल्कि 5 दिन ही काम करेंगे. जबकि शनिवार और रविवार दो दिन उनकी छुट्टी रहेगी. यह निर्णय कर्मचारियों की कार्यक्षमता और उत्पादकता बढ़ाने के लिए सरकार ने लिया है. लेकिन स्वास्थ्य, पुलिस और शिक्षा सहित कई अन्य विभागों को इसमें शामिल नहीं किया गया है. सरकार के इस निर्णय से एक वर्ग में काफी नाराजगी है. इस पूरे मामले पर कर्मचारी संघ की मांग है कि सरकार द्वारा तय किये गए कार्यालय के समय सुबह 10:00 से शाम 5:30 में उन्हें दफ्तर पहुंचने में असुविधा हो रही है. इसलिए दफ्तर पहुंचने का समय 10:30 बजे से शाम 6:00 बजे तक किया जाए, नहीं तो सरकार 5 दिन का वर्किंग वीक वापस ले ले.

छत्तीसगढ़ में पांच दिन का वर्किंग वीक

10 बजे दफ्तर पहुंचने में होती है परेशानी
छत्तीसगढ़ तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ प्रदेश अध्यक्ष विजय झा का कहना है कि सुबह 10:00 बजे दफ्तर पहुंचने में काफी परेशानी होती है. खासकर महिलाओं को तो घर काम भी करने पड़ते हैं, जिस कारण दफ्तर पहुंचने में लेट हो जाना बड़ी बात नहीं है. कोई कर्मचारी अगर 3 दिन तक लगातार दफ्तर लेट पहुंचता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई का नियम है. जब तक उसके पास पर्याप्त छुट्टी है, तब तक उसका वेतन काटने का किसी को अधिकार नहीं है. छत्तीसगढ़ सरकार केंद्रीय कर्मचारियों की तरह हमसे काम तो लेना चाहती है, लेकिन सुविधा राज्य सरकार वाली दे रही है. इधर स्वास्थ्य, शिक्षा एवं पुलिस विभाग में भी अब दबी जुबान में पांच दिन के वर्किंग वीक की मांग उठाने लगी है.

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भूपेश सरकार सभी वर्ग के लिए करती है काम : धनंजय
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर का कहना है कि भूपेश सरकार सभी वर्ग के लिए काम करती है. चाहे वह किसान, आमजन या फिर शासकीय कर्मचारी ही क्यों न हों. राज्य सरकार द्वारा प्रत्येक शनिवार को अवकाश की घोषणा की गई है. पेंशन में राज्य सरकार द्वारा अनुदान बढ़ाया गया है. सरकार जनता और कर्मचारियों के बीच सेतु को मजबूत करने की ओर काम कर रही है. स्वास्थ्य, शिक्षा एवं पुलिस विभाग को दो दिन छुट्टी न मिलने पर धनंजय ने कहा कि हर विभाग का अलग-अलग दायित्व है. उनके दायित्व के अनुसार ही उन्हें छुट्टी सहित अन्य सुविधाओं का प्रावधान है.

आखिर 5 दिन कार्य दिवस की किसने की थी मांग : बृजमोहन
भाजपा विधायक एवं पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि किसने 5 दिन कार्य दिवस की मांग की थी. यह सरकार अपनी मर्जी से तुगलकी शासन कर रही है. सरकार के इस निर्णय के कारण छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था पर काफी बुरा प्रभाव पड़ा है. जो ठेले, खोमचे और ऑटो रिक्शा वाले हैं, इस वजह से उनका भी एक दिन का काम बंद हो गया. सरकार को जो इनकम टैक्स और जीएसटी मिलता था, उसमें भी कमी आई है. बहुत से कर्मचारी बाहर से आते हैं. इस कारण वे इतनी जल्दी सुबह दफ्तर कैसे पहुंच पाएंगे.

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कर्मचारियों के काम और गुणवत्ता की होनी चाहिए समीक्षा : राम अवतार
वरिष्ठ पत्रकार रामअवतार तिवारी का भी मानना है कि जिस उद्देश्य से कर्मचारियों के लिए 5 वर्किंग डे वीक लागू किया गया, उसकी समीक्षा होनी चाहिए. अगर कर्मचारियों को हफ्ते में 5 दिन काम और 2 दिन छुट्टी दी जा रही है तो इसकी समीक्षा होनी चाहिए कि उनका किया काम संतोषजनक है या नहीं. वह दफ्तर में उपस्थित है या नहीं. उनके दफ्तर आने-जाने की निगरानी हो रही है या नहीं. साथ ही अन्य विषयों की भी समीक्षा होनी चाहिए. ऐसा न हो कि छुट्टी देने के बाद काम और प्रभावित होने लगे.
ऐसे में कहा जा सकता है कि सरकार के इस फैसले से जिन्हें सप्ताह में दो दिन छुट्टी मिली वे कर्मचारी भी असंतुष्ट हैं. जिन्हें छुट्टी नहीं मिली, उनमें भी असंतोष है. ऐसे में सरकार के इस निर्णय का कर्मचारियों और लोगों को लाभ मिल रहा है या फिर और नुकसान हो रहा है, यह तो आने वाले समय में ही स्पष्ट हो सकेगा.

Last Updated : Feb 16, 2022, 6:21 AM IST
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