ETV Bharat / state

शहीद वीरनारायण सिंह की पुण्यतिथि : रायपुर जयस्तंभ चौक में दी गई थी फांसी

author img

By

Published : Dec 10, 2022, 4:48 PM IST

छत्तीसगढ़ राज्य के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी शहीद वीरनारायण सिंह की आज पुण्यतिथि है. आज ही के दिन 10 दिसंबर 1857 के दिन अंग्रेजों ने रायपुर के जयस्तंभ चौक पर वीरनारायण सिंह को फांसी दे दी थी. तब से लेकर आज तक 10 दिसंबर को पूरे छत्तीसगढ़ में शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है. शहीद दिवस के मौके पर हम आपको शहीद वीर नारायण सिंह की वीर गाथा से रूबरू करवाने जा रहे है.story of Martyr Virnarayan Singh

story of Martyr Virnarayan Singh
शहीद वीरनारायण सिंह की पुण्यतिथि

रायपुर : शहीद वीर नारायण सिंह का जन्म सन् 1795 को बलौदाबाजार जिले एक छोटे से गांव सोनाखान में हुआ था. उस वक्त वीरनारायण सिंह के पिता गांव के जमींदार हुआ करते थे. बताया जाता है कि सोनाखान में वीरनारायण सिंह के पूर्वजों की 300 गांवों की जमींदारी थी. शहीद वीरनारायण सिंह का अपनी प्रजा के प्रति अटूट लगाव और प्रेम था. सन्1856 को सोनाखान में भीषण अकाल पड़ा और सोनाखान की जनता दाने-दाने के लिए मोहताज हो गयी. लोग भूख से मरने लगे. भूख से मर रही जनता का दुख वीरनारायण सिंह से देखा नहीं गया और वीरनारायण सिंह ने कसडोल के साहूकारों का अनाज गोदाम लूटकर अपनी भूखी जनता में बंटवा दिया. साहूकारों ने इसकी शिकायत अंग्रेजों से की.First freedom fighter of Chhattisgarh



अंग्रेजों ने वीर नारायण के खिलाफ खोला मोर्चा : साहूकारों की शिकायत के बाद अंग्रेजों ने शहीद वीरनारायण सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. वीर नारायण को पकड़ने की कवायद शुरू की गई. अंग्रेजों ने वीरनारायण सिंह को पकड़ने के लिए सोनाखान में चढ़ाई कर दिया. वीरनारायण सिंह काफी बहादुर थे और अंग्रेजों से अकेले लोहा लेते थे. अंग्रेजों से मुकाबला करने के लिए वीरनारायण सिंह ने कुरुपाठ नामक पहाड़ी को चुना. घने जंगलों के बीच पहाड़ों में वीरनारायण सिंह गुफाओं में आकर रहने लगे. अंग्रेजों पर जीत हासिल करने के लिए वह दंतेश्वरी देवी की पूजा अर्चना करते थे.Martyr Virnarayan Singh death anniversary

अंग्रेजों को चटाई धूल : अंग्रेज वीरनारायण सिंह को खोजने बार-बार सोनाखान आने लगे और जैसे ही अंग्रेजों को वीरनारायण सिंह के बारे में पता चला. अंग्रेजों ने कुरुपाठ पहाड़ी में धावा बोल दिया. इस बीच अंग्रेजों और वीरनारायण सिंह के बीच भीषण युद्ध हुआ . वीरनारायण सिंह ने अंग्रेजों को कुरुपाठ से मार भगाया. अंग्रेज सैनिकों की मौत से अंग्रेजी हुकूमत हिल गयी .अंग्रेजों ने वीरनारायण सिंह को मारने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी. शहीद वीरनारायण सिंह अंग्रेजों के कब्जे से बाहर थे. इससे बौखलाए अंग्रेजों ने सोनाखान की जनता पर जुल्म करने शुरू कर दिए.story of Martyr Virnarayan Singh

ये भी पढ़े- क्यों मनाया जाता है विश्व पर्वत दिवस

पत्नी के कहने पर किया था आत्मसमर्पण : अंग्रेजों के बढ़ते जुल्म को देखते हुए वीरनारायण की पत्नी ने उन्हें आत्मसमर्पण करने को कहा. तब वीरनारायण ने अंग्रेजों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. उनके आत्मसर्मपण करते ही उन्हें रायपुर जेल भेज दिया गया. 10 दिसंबर 1857 को रायपुर के जयस्तंभ चौक पर फांसी दे दी गई.Hanging was given in Raipur Jaistambh Chowk

रायपुर : शहीद वीर नारायण सिंह का जन्म सन् 1795 को बलौदाबाजार जिले एक छोटे से गांव सोनाखान में हुआ था. उस वक्त वीरनारायण सिंह के पिता गांव के जमींदार हुआ करते थे. बताया जाता है कि सोनाखान में वीरनारायण सिंह के पूर्वजों की 300 गांवों की जमींदारी थी. शहीद वीरनारायण सिंह का अपनी प्रजा के प्रति अटूट लगाव और प्रेम था. सन्1856 को सोनाखान में भीषण अकाल पड़ा और सोनाखान की जनता दाने-दाने के लिए मोहताज हो गयी. लोग भूख से मरने लगे. भूख से मर रही जनता का दुख वीरनारायण सिंह से देखा नहीं गया और वीरनारायण सिंह ने कसडोल के साहूकारों का अनाज गोदाम लूटकर अपनी भूखी जनता में बंटवा दिया. साहूकारों ने इसकी शिकायत अंग्रेजों से की.First freedom fighter of Chhattisgarh



अंग्रेजों ने वीर नारायण के खिलाफ खोला मोर्चा : साहूकारों की शिकायत के बाद अंग्रेजों ने शहीद वीरनारायण सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. वीर नारायण को पकड़ने की कवायद शुरू की गई. अंग्रेजों ने वीरनारायण सिंह को पकड़ने के लिए सोनाखान में चढ़ाई कर दिया. वीरनारायण सिंह काफी बहादुर थे और अंग्रेजों से अकेले लोहा लेते थे. अंग्रेजों से मुकाबला करने के लिए वीरनारायण सिंह ने कुरुपाठ नामक पहाड़ी को चुना. घने जंगलों के बीच पहाड़ों में वीरनारायण सिंह गुफाओं में आकर रहने लगे. अंग्रेजों पर जीत हासिल करने के लिए वह दंतेश्वरी देवी की पूजा अर्चना करते थे.Martyr Virnarayan Singh death anniversary

अंग्रेजों को चटाई धूल : अंग्रेज वीरनारायण सिंह को खोजने बार-बार सोनाखान आने लगे और जैसे ही अंग्रेजों को वीरनारायण सिंह के बारे में पता चला. अंग्रेजों ने कुरुपाठ पहाड़ी में धावा बोल दिया. इस बीच अंग्रेजों और वीरनारायण सिंह के बीच भीषण युद्ध हुआ . वीरनारायण सिंह ने अंग्रेजों को कुरुपाठ से मार भगाया. अंग्रेज सैनिकों की मौत से अंग्रेजी हुकूमत हिल गयी .अंग्रेजों ने वीरनारायण सिंह को मारने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी. शहीद वीरनारायण सिंह अंग्रेजों के कब्जे से बाहर थे. इससे बौखलाए अंग्रेजों ने सोनाखान की जनता पर जुल्म करने शुरू कर दिए.story of Martyr Virnarayan Singh

ये भी पढ़े- क्यों मनाया जाता है विश्व पर्वत दिवस

पत्नी के कहने पर किया था आत्मसमर्पण : अंग्रेजों के बढ़ते जुल्म को देखते हुए वीरनारायण की पत्नी ने उन्हें आत्मसमर्पण करने को कहा. तब वीरनारायण ने अंग्रेजों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. उनके आत्मसर्मपण करते ही उन्हें रायपुर जेल भेज दिया गया. 10 दिसंबर 1857 को रायपुर के जयस्तंभ चौक पर फांसी दे दी गई.Hanging was given in Raipur Jaistambh Chowk

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.