रायपुर: हलषष्ठी, कमरछठ, हरछठ, ललहीछठ और बलराम जयंती, भाद्र कृष्ण पक्ष की षष्ठी को एक साथ मनाई जाती है. यह पवित्र दिन भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भ्राता बलराम की जयंती के तौर पर भी याद किया जाता है. इस दिन हल की पूजा की जाती है. इस दिन सौभाग्यवती माताएं अपनी संतान की लंबी आयु, सुख शांति, समृद्धि, ऐश्वर्य और कीर्ति की प्राप्ति के लिए उपवास या व्रत रखती हैं. यह पर्व 27 अगस्त के शाम 6:48 से षष्टी तिथि से प्रारंभ हो जाएगा जोकि दूसरे दिन शनिवार रात्रि 8:56 तक रहेगा. शनिवार के दिन उदयाकाल होने की वजह से हलषष्ठी का पर्व इस दिन ही मनाया जाएगा.
हलषष्ठी के व्रत में महिलाएं भैंस के दूध दही और घी का करती है उपयोग
इस दिन सौभाग्यवती माताएं अपने संतानों की शुभ कामना करते हुए भगवान की आराधना करती है. साथ ही स्तुति करते हुए निराहार व्रत रखती हैं. प्रातः काल स्नानादि से निवृत्त होकर इस व्रत को प्रारंभ किया जाता है. इस दिन हल की भी पूजा करने का विधान है और हल से उत्पन्न हुए अन्य को नहीं खाने का विधान है.
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कई जगह इस दिन हल को आराम दिया जाता है. माताएं इस दिन भैंस के दूध दही और घी का उपयोग करती हैं. इस दिन पर शहर के चावल दही लाई 6 तरह की भाजियों और महुआ के फल को खाने का विधान है. 6 तरह के दलहन का भी उपयोग किया जाता है. इस दिन 6 की संख्या का बड़ा महत्व है. आज के शुभ दिन त्रिपुष्कर योग और रवि योग भी बन रहा है.
माताएं पीठ थपथपा कर देती है आशीर्वाद
भरणी नक्षत्र वृद्धि योग गर और वव करण योग में और मेष राशि के चंद्रमा में शश योग भद्र योग में यह पर्व सुभोषित हो रहा है. शनिवार रात्रि 8:56 से भद्रा का प्रवेश हो रहा है. इसके पूर्व ही पारण करना व्रत खोलना और भगवान की पूजा अर्चना करना बहुत शुभ रहेगा. माताएं इस दिन भीगे हुए कपड़े से 6 बार संतान की पीठ पर थपथपा कर उन्हें आशीर्वाद प्रदान करती है. इससे संतान की अला बला और मुश्किलें दूर हो जाती हैं.