कर्नूल: फूल से बच्चे हैं, धूप में तपते और कैसे चलते इसलिए पिता ने दोनों को कंधे पर उठा लिया. आंध्र प्रदेश से छत्तीसगढ़ के सफर पर निकला ये मजदूर अपने बच्चों को कंधे पर उठाए हुए था. जैसे ही इसकी खबर प्रशासनिक अधिकारियों को मिली, उन्होंने उसके घर पहुंचने की व्यवस्था कराई. ये तस्वीर देखकर आप पिता की बेबसी और उसकी हिम्मत पर हजार शब्द लिख सकते हैं लेकिन सवाल ये कि जो दावे सरकारों ने इनकी मदद के लिए किए हैं, वो कहां हैं.
देशभर से मजदूरों की बेबसी की खबरों के बीच उनके साथ हुई दुर्घटनाओं ने दिल दहलाना शुरू कर दिया है. शनिवार की सुबह उत्तर प्रदेश के औरैया में हुए रोड एक्सीडेंट ने सबका दिल दहला दिया. केंद्र सरकार ने भी कहा है कि मजदूरों को सड़कों पर पैदल न चलने दिया जाए लेकिन श्रमिकों की मजबूरी कम होती नहीं दिखती. भूखे-प्यासे पेट वे लगातार पैदल अपने घर चले जा रहे हैं.
छत्तीसगढ़ के लगभग 1 लाख से ज्यादा मजदूर दूसरे राज्यों में फंसे हुए हैं. कोई यहां से अपने घरों को लौट रहा है तो कोई छत्तीसगढ़ महतारी की गोद में वापस आ रहा है. लेकिन इन मजदूरों का दर्द तमाम ट्रेनें चलाने, तमाम इंतजामों के दावे करने के बाद भी खत्म होता नजर नहीं आ रहा है. छत्तीसगढ़ में भी कोरोना के संक्रमित मरीजों की संख्या 66 हो गई है. इनमें से 56 मरीजों का इलाज हो चुका है. 10 मरीज एम्स में भर्ती हैं. सरकार और प्रशासन का दावा है कि बाहर से आने वाले मरीजों का हेल्थ चेकअप करके उन्हें क्वॉरेंटाइन किया जा रहा है.