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Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti 2023 : फादर ऑफ इंडियन नेवी के नाम से विख्यात वीर शिवाजी

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Published : Feb 18, 2023, 6:51 PM IST

Updated : Feb 19, 2023, 8:18 AM IST

मराठा साम्राज्य की नींव रखने वाले वीर छत्रपति शिवाजी का इतिहास काफी रोचक है. उनकी शौर्यगाथा और पराक्रम के किस्से आज भी लोगों के शरीर में ऊर्जा भर देते है.एक कुशल नेतृत्व और वीरता की मिसाल छत्रपति शिवाजी की 393वीं जयंती पूरा देश मनाने जा रहा है. आइए आपको बताते हैं वीर शिवाजी से जुड़े कुछ अनोखे तथ्य

Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti 2023
फादर ऑफ इंडियन नेवी के नाम से विख्यात वीर शिवाजी

रायपुर /हैदराबाद : 19 फरवरी को महाराष्ट्र के महान शासक वीर छत्रपति शिवाजी की जयंती मनाई जाएगी. शिवाजी का जन्म शिवनेरी किले जो कि पुणे में स्थित है वहां हुआ था. शिवाजी बचपन से ही शौर्य और पराक्रम के प्रतीक थे. शिवाजी के पिता का नाम शाहजी राजे और माता का नाम जीजाबाई था. जीजाबाई शुरु से ही धार्मिक प्रवृत्ति की थी.इसलिए बचपन से ही शिवाजी का रुझान धर्म के प्रति हो गया.शिवाजी ने छह शादियां की थी. जिनमें से सईबाई,सोयराबाई, काशीबाई,पुतलाबाई,सकवरबाई और सुगना बाई उनकी पत्नियां थी.

वीर शिवाजी का इतिहास : वीर शिवाजी को साईबाई से पुत्र संभाजी, सोयराबाई से पुत्र राजाराम, और पुत्री दीपाबाई, सगुनाबाई से राज कुंवर बाई और सकवरबाई से पुत्री कमलाबाई मिले थे. वीर शिवाजी ने अपने शासन में कई युद्ध लड़े. मुगलों के खिलाफ लड़ाई लड़ते हुए उन्होंने मराठा साम्राज्य की स्थापना की.लेकिन एक वीर की मौत का रहस्य आज भी गहराया हुआ है. बताया जाता है कि शिवाजी को 3 अप्रैल 1680 को तेज बुखार हुआ.इसके बाद उन्हें दस्त पड़ने लगे. पहले तो लगा कि दवा से शिवाजी ठीक हो जाएंगे.लेकिन दस्त नहीं रुके. आखिरकार 52 साल की उम्र में मराठा झंडा बुलंद करने वाले वीर शिवाजी ने आखिरी सांस ली.देश भर में 19 फरवरी 2023 को शिवाजी की 393 जयंती मनेगी.

सर्वधर्म के प्रणेता थे शिवाजी : मराठा इतिहास की यदि बात की जाए तो शिवाजी पहले छत्रपति हुए. जिन्होंने मराठा साम्राज्य की स्थापना 1674 ईस्वी में की. शिवाजी काफी धार्मिक भी थे. उनकी शौर्य गाथा के किस्से तो काफी लोग जानते ही है.लेकिन ये कम लोग जानते हैं कि उनकी नजर में हिंदू और मुसलमान दोनों ही धर्म सामान थे.उनकी फौज में मुसलमानों को भी जगह दी गई थी. साथ ही साथ शिवाजी के शासन में संतों के साथ फकीरों को भी सम्मान दिया जाता था.

फादर ऑफ इंडियन नेवी : शिवाजी को फादर ऑफ इंडियन नेवी की उपाधि भी मिली है. क्योंकि आज जो भी नौसेना का बेड़ा है उसकी परिकल्पना शिवाजी ने 3 सौ साल पहले ही कर ली थी. अंग्रेजों और मुगलों को रोकने के लिए शिवाजी ने जलमार्ग में भी नावों के जरिए अपनी सेना की तैनाती की थी. इसलिए महाराष्ट्र में पुर्तगाली और अंग्रेज सीधे पानी के रास्ते आक्रमण करने से बचते रहे हैं

रायपुर /हैदराबाद : 19 फरवरी को महाराष्ट्र के महान शासक वीर छत्रपति शिवाजी की जयंती मनाई जाएगी. शिवाजी का जन्म शिवनेरी किले जो कि पुणे में स्थित है वहां हुआ था. शिवाजी बचपन से ही शौर्य और पराक्रम के प्रतीक थे. शिवाजी के पिता का नाम शाहजी राजे और माता का नाम जीजाबाई था. जीजाबाई शुरु से ही धार्मिक प्रवृत्ति की थी.इसलिए बचपन से ही शिवाजी का रुझान धर्म के प्रति हो गया.शिवाजी ने छह शादियां की थी. जिनमें से सईबाई,सोयराबाई, काशीबाई,पुतलाबाई,सकवरबाई और सुगना बाई उनकी पत्नियां थी.

वीर शिवाजी का इतिहास : वीर शिवाजी को साईबाई से पुत्र संभाजी, सोयराबाई से पुत्र राजाराम, और पुत्री दीपाबाई, सगुनाबाई से राज कुंवर बाई और सकवरबाई से पुत्री कमलाबाई मिले थे. वीर शिवाजी ने अपने शासन में कई युद्ध लड़े. मुगलों के खिलाफ लड़ाई लड़ते हुए उन्होंने मराठा साम्राज्य की स्थापना की.लेकिन एक वीर की मौत का रहस्य आज भी गहराया हुआ है. बताया जाता है कि शिवाजी को 3 अप्रैल 1680 को तेज बुखार हुआ.इसके बाद उन्हें दस्त पड़ने लगे. पहले तो लगा कि दवा से शिवाजी ठीक हो जाएंगे.लेकिन दस्त नहीं रुके. आखिरकार 52 साल की उम्र में मराठा झंडा बुलंद करने वाले वीर शिवाजी ने आखिरी सांस ली.देश भर में 19 फरवरी 2023 को शिवाजी की 393 जयंती मनेगी.

सर्वधर्म के प्रणेता थे शिवाजी : मराठा इतिहास की यदि बात की जाए तो शिवाजी पहले छत्रपति हुए. जिन्होंने मराठा साम्राज्य की स्थापना 1674 ईस्वी में की. शिवाजी काफी धार्मिक भी थे. उनकी शौर्य गाथा के किस्से तो काफी लोग जानते ही है.लेकिन ये कम लोग जानते हैं कि उनकी नजर में हिंदू और मुसलमान दोनों ही धर्म सामान थे.उनकी फौज में मुसलमानों को भी जगह दी गई थी. साथ ही साथ शिवाजी के शासन में संतों के साथ फकीरों को भी सम्मान दिया जाता था.

फादर ऑफ इंडियन नेवी : शिवाजी को फादर ऑफ इंडियन नेवी की उपाधि भी मिली है. क्योंकि आज जो भी नौसेना का बेड़ा है उसकी परिकल्पना शिवाजी ने 3 सौ साल पहले ही कर ली थी. अंग्रेजों और मुगलों को रोकने के लिए शिवाजी ने जलमार्ग में भी नावों के जरिए अपनी सेना की तैनाती की थी. इसलिए महाराष्ट्र में पुर्तगाली और अंग्रेज सीधे पानी के रास्ते आक्रमण करने से बचते रहे हैं

Last Updated : Feb 19, 2023, 8:18 AM IST
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